शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

29.35 फीसदी बच्चों के अांख में मिली कोई न कोई परेशानी

29.35 फीसदी स्कूली बच्चों के अांख में मिली कोई न कोई परेशानी



48 सौ  बच्चों के अांख के परीक्षण के बाद मिली जानकारी

ग्रमीण क्षेत्र के बच्चों के बच्चो में शहरी के मुूकाबले अधिक है अांख की परेशानी
 कुमार संजय। लखनऊ
बच्चों की अांख की परेशानी दिन -ब-दिन बढ़ती जा रही है इन परेशानियों का समय से इलाज न होने पर इनमें रोशनी जाने की आशंका रहती है।  इंडियन जर्नल अाफ अाप्थेमोलाजी ने अपने रिपोर्ट में बताया है कि प्रदेश के  29.35 फीसदी बच्चों के अांख में कोई न कोई परेशानी है जिसका इलाज समय पर संभव है। सबसे अधिक परेशानी पांच से दस साल के उम्र के बच्चों में देखी गयी है । रिपोर्ट में कहा गया है कि अांख की परेशानी से ग्रस्त बच्चों में से 11 से 15 अायु वर्ग के 35.5 फीसदी बच्चों के अांख में परेशानी मिली जबकि पांच से 10 अायु वर्ग के 22.73 बच्चों के अांख में परेशानी मिली। विशेषज्ञों ने 4838 स्कूली बच्चों में अांख की परेशानी का अध्यन किया जिसमें धुंधला दिखने, नजदीक देखने, पलकों में सूजन, विटामिन ए की कमी, एल्रजी, एक अाख में जंम से रोशनी की कमी सहित कई परेशानी देखने को मिली। देखा गया कि स्क्रीनिंग में शामिल कुल बच्चों मे से 1420 बच्चों( 29.35 फीसदी) के अांख में किसी न किसी तरह की परेशानी देखने को मिली। देखा गया कि लड़के और लडकियों में अांख की परेशानी लगभग बराबर देखने को मिली। रिपोर्ट के मुूताबिक अांख की परेशानी ग्रामीण क्षेत्र के 30.5 फीसदी और शहरी क्षेत्र के 28.65 फीसदी बच्चो में परेशानी देखने को मिली। विटामिन ए की कमी ग्रामीण क्षेत्र के 3.03 और शहरी क्षेत्र के 1.15 फीसदी बच्चों में देखने को मिली। यह शोध शंकर नेत्रालय चेन्नई के डा. वीर सिंह के अगुवाई में सुभारती मेडिकल कालेज के डा.केपीएस मलिक, डा.वीके मलिक , डा. कीर्ती जैन ने किया। 

किस में मिली कौन सी परेशानी फीसदी

रीफरेक्टिव इरर( धुंधला दिखना) - 17.36
कनवरजेंश इन सफीएंसी( नजदीक का कम दिखना)- 2.79
वेलीफराइिटस( पलकों में सूजन) -2.11
विटामिन ए की कमी- 2.09
एलर्जी - 1.92
बैक्टीरियन कंजेक्टेवाइिटस- 0.95
एम्बीलायोपिया( जंम से एक अांख में कम रोशनी)- 0.41 
स्कुंयट(भेंगा) - 0.27


20 की  उम्र के पहले 30 फीसदी की नजर कमजोर
संजय गांधी पीजीआई के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अालोक कुमार का कहना है कि विटामिन ए की कमी को पूरा कर अांख को बचाया जा सकता है । ग्रामीण क्षेत्र में पोषण की कमी भी बडा कारण है। डा. अालोक का कहना है कि शोध रिपोर्ट के मुूताबिक  एक हजार में से 4.9  बच्चों में अांख की परेशानी है और एक हजार में से 0.62 बच्चों में अंधता की परेशानी है । देखा गया है कि बीस साल की उम्र से पहले 30 फीसदी बच्चों की नजर कमजोर हो जाती है केवल स्कूल स्क्रीनिंग प्रोग्राम को सही तरीके से लागू कर समय पर इलाज दिया जाए तो काफी बच्चों की रोशनी बचायी जा सकती है 


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