रविवार, 7 जनवरी 2018

छुट्टी पर होने के बाद भी पीजीआई के विशेषज्ञ दे रहे है सलाह

विंटर वेकेशन पर है तो क्या हुअा किसी की मदद हो जाए तो सबसे बडा सुकुन


छुट्टी पर होने के बाद भी पीजीआई के विशेषज्ञ दे रहे है सलाह

जैसा सुना था उससे भी अधिक है यह मददगार
कुमार संजय। लखनऊ

सीन -एक -  न्यूरोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान के कक्ष के सामने पडी कुर्सियों से सात -अाठ लोग इंतजार करते हुए। कहा कि वह तो छुट्टी पर है लेकिन मरीज के तीमरादारों ने कहा कि छुट्टी पर है क्या वह अभी अाएंगे हमारी परेशानी सुनेंगे उनसे बडी उम्मीद लेकिन दूर से अाएं है। इन्ही में से एक है   
गोरखपुर की मनोरमा मिश्र के तीमारदार जो संजय गांधी पीजीआई के प्रो.सुनील प्रधान के पास नाम सुनकर अाते है । प्रो.सुनील प्रधान से परिजनों की मुलाकात होती है। प्रो.प्रधान सारी रिपोर्ट देखने के बाद कहते है  कि ले अा अो तीमारदारा मरीज को यहां लाते है। इमरजेंसी में उनके रेजीडेंट डा.सुमित देखने के बाद भर्ती करने का फैसला लेते है। डा.सुमित पूरी बात प्रो.प्रधान को बताते है लेकिन वह अाठ रात में इमरजेंसी में खुद अाते है और देखने के बाद कहते है कि हार्ट की समस्या भी है वह कार्डियोलाजी के प्रो.सुदीप कुमार से खुद बात करते है । प्रो.सुदीप सारी स्थिति जानने के बाद अपने वार्ड में एमअाईसीयू में भर्ती कर लेते है । प्रो. प्रधान रोज खुद कार्डियोलाजी में जा कर मरीज को देखते है फिर उन्होंने वार्ड में शिफ्ट कर लिया जहां इलाज चल रहा है। प्रो. प्रधान इस विंटर वेकेशन पर है लेकिन मनोरमा की तरह कई मरीजों को अपने चेम्बर में देख कर सलाह देते रहते है। 
सीन दो- नेफ्रोलाजी विभाग के प्रो.नरायन प्रसाद का कक्ष जिसके सामने लगभग 15 लोग खडे है। इनसे भी कहा कि वह तो छुट्टी पर है लेकिन एक तीमारदार ने कहा कि यदि लखनऊ में तो वह जरूर अाएंगे ..इसी बीच विभाग के पीएस संतोष ने बताया कि हां सर अाएंगे । तभी प्रो.नरायन अाते है एक-एक करके सबको बुलाते है किसी को कहते है कि बुखार अा रहा है तो दवा खाने के बाद बताना। तभी देवरिया के रहने वाली सुमित्रा के परिजन अाते है कहते है कि चल फिर नहीं पा रही है। हालत ठीक नहीं है तुरंत प्रो.नरायन प्रसाद वार्ड में फोन कर किसी डाक्टर से बात करते है । सुमित्रा के परिजन को वार्ड भेजते है जहां उन्हे भर्ती कर लिया जाता है। सभी को सलाह देने के बाद खुद वार्ड की तरफ चल देते है। 
प्रो. प्रधान और प्रो.नरायन ने कहा कि यदि छुट्टी में शहर से बाहर है तो मदद संभव नहीं है लेकिन लखनऊ में है तो विभाग में अाते है । खुद को  लगता है किसी परेशान की मदद हो जाएगी । जिसके लिए यह प्रोफेशन चुना है।  तीमारदार और मरीजों ने कहा कि जितना सुना था उससे भी अधिक मददगार है। यह मिशाल उन लोगों के लिए है जो मरीजों के दर्द को दरकिनार जिम्मेदारियों से भागते है।

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