पीजीआई के डाक्टर देखेंगे बाहरी इलाज की दुनिया
न्यूरोलाजी विभाग डीएम छात्रों के शुरू किया आउट रीच प्रोग्राम
रीहैबिलेटेशन एंड स्पेशल एजूकेशन सेंटर से शुरूअात
कुमार संजय। लखनऊ
संजय गांधी पीजीआई का न्यूरोलाजी विभाग अपने डीएम छात्रों को तंत्रिका तंत्र के इलाज में चिकित्सा विज्ञान के अलावा दूसरे इलाज के तरीके के बारे में जानकारी देने के लिए आउट रीच प्रोग्राम शुरू किया है। विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान ने इसके लिए संस्थान से अनुमति ले ली है। इसकी शुरूअात विभाग उम्मीद संगठन द्वारा चलाए जा रहे है स्पेशल एजूकेशन सेंटर से किया। सेरीब्रल पल्सी, डाउन सिड्रोम, स्ट्रोक सहित दूसरी परेशानियों के इलाज में दवाअों को अलावा फिजियोथिरेपी जिसमें वायस थिरेपी, विहैवियरल थिरेपी की अमह भूमिका है। इन थिरेपी के जरिए बच्चों और बडो में स्ट्रोक सहित दूसरी परेशानी के कारण शरीर के सुस्त बडे अंगों को विशेष तरीके के एक्ससाइज के जरिए क्रिया शील किया जाता है। इससे बच्चों और बडो की जिंदगी अासान हो जाती है। संस्थान में हम लोग दवाअों से इलाज करते है साथ ही विशेष थिरेपी की सलाह भी देते है लेकिन यह विशेष थिरेपी विशेषज्ञ के देख-रेख में होनी चाहिए । इन विशेष थिरेपी के बारे में यहां से डीएम करने वाले छात्रों को भी जानकारी होनी चाहिए जिससे यहां से निकलने के बाद वह मरीजों का हर पहलू से इलाज करें। इसी उद्देश्य से आउट रीच प्रोग्राम शुरू किया है। इसके जरिए किताबी ज्ञान के अलावा इलाज की बाहरी दुनिया भी दिखाना भी संभव होगा। टीम में प्रो.संजीव झा, प्रो. वीके पालीवाल, प्रो. विनीता के अलावा विभाग के अन्य सदस्य शामिल हुए ।
मास पेशियां हो जाती है जाम
विशेषज्ञों का कहना है सेरीब्रल पल्सी होने पर शरीर के मास पेशियां जाम हो जाती है जिससे बच्चा रोटी का टुकडा तक नहीं पकड़ पाता है स्पेशल एक्ससाइज को जरिए धीरे-धीरे मांसपेशियों को लचीला बनाया जाता है। इसी तरह डाउन सिड्रोम होने पर कई तरह की परेशानी होती है । ब्रेन स्ट्रोक होने पर जिस अंग पर अधिक प्रभाव होता है उस अंग की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है जिसमें मजबूती लाना उद्देश्य होता है।
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