बुधवार, 19 मार्च 2025

परिस्थितियों ने इन्हें बना दिया लंबे समय तक अंतरिक्ष का निवासी


वेलकम विलियम्स ! 



 कुछ लोग इतिहास लिखते हैं, कुछ लोग इतिहास बनते हैं और कुछ विरली शख्सियत ऐसी होती है जिनके पीछे इतिहास चलता है। भारत की बेटी सुनीता विलियम्स ऐसा ही स्वर्णिम हस्ताक्षर हैं, जिसने अंतरिक्ष की पगडंडी पर ऐसे पदचिन्ह बना दिए है, जिन पर चलकर पूरी दुनिया महागाथा लिखेगी। 286 दिन अंतरिक्ष की महायात्रा यात्रा से लौटी सुनीता ने जब धरती पर पाव रखा तो हर भारतवासी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। सुनीता ने साबित कर दिया कि आदमी मन से ठान ले तो कुछ भी असंभव नहीं। गोस्वामी तुलसीदास ने कोटि कोटि ब्रह्मांड की बात लिखी है और सनातन धर्म में ऐसे तमाम चरित्र है जो कि सम्पूर्ण ब्रह्मांड को अपनी इच्छा शक्ति के दम पर विजित कर लेते हैं। सनातन की इसी शक्ति के दम पर सुनीता विलियम्स ने भी नीले आकाश पर शौर्य की लाल रेखाएं खींच दीं। अंतरिक्ष का सफर रोमांचक तो होता है लेकिन कई बार यह चुनौतीपूर्ण और अनिश्चितताओं से भरा भी साबित होता है। ताजा उदाहरण सुनीता विलियम्स और बूच विलमोर का है, जो आठ दिन के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन गए थे लेकिन वहां उन्हें पूरे 286 दिन बिताने पड़े। आखिरकार स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन अंतरिक्ष यान के जरिए वे सुरक्षित धरती पर लौट आए। हालांकि वे पहले अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं जिनका मिशन अचानक लंबा हो गया हो। इतिहास के पन्नों में कई ऐसे अंतरिक्ष यात्रियों के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने अनचाहे हालात में महीनों तक स्पेस स्टेशन में रहकर नया कीर्तिमान रचा। 1991 में सोवियत अंतरिक्ष यात्री सर्गेई क्रिकालेव को मिर स्पेस स्टेशन पर चार महीने के मिशन पर भेजा गया था। लेकिन उसी दौरान सोवियत संघ में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई और देश ही टूट गया। हालात ऐसे हो गए कि सरकार के पास उन्हें वापस लाने के लिए फंड नहीं था। मजबूरन सर्गेई को अंतरिक्ष में रहना पड़ा और वे पूरे 313 दिन बाद 1992 में धरती पर लौटे। मजे की बात यह है कि जिस देश से वे गए थे वह उनकी वापसी तक अस्तित्व में ही नहीं था। इसीलिए उन्हें मजाक में सोवियत यूनियन का आखिरी नागरिक भी कहा जाता है। 2003 में नासा ने केन बोर्सेक्स, डोनाल्ड पेटिट और निकोलाई बुखारिन को तीन महीने के मिशन पर आईएसएस भेजा था। लेकिन तभी एक बड़ी दुर्घटना हुई। उस दौरान अंतरिक्ष यान 'कोलंबिया' पृथ्वी पर लौटते वक्त नष्ट हो गया, जिसमें भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला सहित सात लोगों की जान चली गई। इस हादसे के बाद नासा ने सभी उड़ानें रोक दीं, जिससे आईएसएस पर मौजूद तीनों अंतरिक्ष यात्रियों को भी मजबूरी में 5 महीने तक रुकना पड़ा। बाद में रूसी कैप्सूल के जरिए उन्हें वापस लाया गया। 2022 में नासा के फ्रैंक रुबियो और रूसी अंतरिक्ष यात्री सर्गेई प्रोकोपयेव व दिमित्रि पेतलिन आईएसएस पर छह महीने के मिशन के लिए गए थे। लेकिन जब उन्हें लाने के लिए भेजा गया सोयुज कैप्सूल अंतरिक्ष में तैरते मलबे से टकरा गया और क्षतिग्रस्त हो गया। इससे तीनों यात्री फंस गए और 371 दिन तक उन्हें स्पेस में ही रहना पड़ा जो किसी अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री का अब तक का सबसे लंबा मिशन बन गया। आखिरकार 2023 में नासा ने एक दूसरा कैप्सूल भेजकर उन्हें सुरक्षित वापस लाया।

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