पीजीआई में डायग्नोस्टिक वायरोलॉजी वर्कशाप
डेंगू के आलावा बीस और वायरस जिसमें कम हो सकता है प्लेटलेट्स
एआई के आधार पर बताया श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाला वायरस कर सकता है हमला
सतर्क रहे । भीड़-भाड़ में मास्क का इस्तेमाल करें। हाथ की सफाई पर ध्यान रखें क्यों कि कभी भी श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाला वायरस का हमला हो सकता है। यह सलाह संजय गांधी पीजीआई के सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रो. रूग्मी एस के मारक और पो. अतुल गर्ग ने विभाग में हैंड आन नेशनल वर्कशॉप के मौके पर आयोजित सीएमई में दी।
विशेषज्ञों ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए पहले के आउट ब्रेक के डाटा के आधार पर आगे आने वाले वायरल आउट ब्रेक का अंदाजा लगा कर पहले से तैयारी की जा सकती है। विज्ञानियों ने इसी आधार पर अनुमान लगाया है कि अगला संक्रमण भी श्वसन तंत्र को प्रभावित करने वाली ही वायरस अटैक कर सकता है। किंग जार्ज मेडिकल विवि की प्रो. अमिता जैन ने बताया कि डेंगू के आलावा भी इबोला, मारबर्ग, केएफडी सहित बीस वायरस है जिनमें प्लेटलेट्स कम हो सकता है। प्लेटलेट्स कम होने के कारण रक्तस्राव की आशंका बो सकती है। किसी भी व्यक्ति में प्लेटलेट्स कम हो और डेंगू का संक्रमण नहीं है तो दूसरे वायरस के संक्रमण का परीक्षण करा कर इलाज की दिशा तय करनी चाहिए।
प्रो. अतुल गर्ग ने बताया कि वायरस के संक्रमण का पता लगाने के लिए परीक्षण तकनीक के विस्तार के लिए पहली बार वर्कशॉप का आयोजन किया जा रहा है जिसमें वायरस कल्चर से जीन सिक्वेंसिंग तक सिखाया जा रहा है। इससे परीक्षण के सुविधा देश के हर कोने में उपलब्ध होगी। दो सौ लोगों ने आवेदन किया था लेकिन हम देश हर कोने से 20 लोगों को वर्कशॉप के लिए चयनित किया।लोहिया संस्थान की डा. ज्योत्स्ना अग्रवाल, एसपीजीआई की डा. प्रेरणा कपूर ने बताया कि दो या अधिक बीमारियों के सह-अस्तित्व और मलेरिया एवं टाइफाइड जैसी आम बीमारियों के बारे में जानकारी दी। न्यूरोलॉजी विभाग के प्रो.वीके पालीवाल ने वायरल इंसेफेलाइटिस के बारे में जानकारी दी। सीसीएम के डा. मोहन गुर्जर आईसीयू रोगियों में साइटोमेगालोवायरस संक्रमण और इसके पुनः सक्रिय होने से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में बताया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें