अधूरी नींद से बढ़ रहा विद्यार्थियों में तनाव
लखनऊ: देर रात तक पढ़ाई करना,
सुबह देर से उठना। नींद पूरी न होने से दिन भर सिर में भारीपन रहना। यह लक्षण छात्र-छात्राओं में तनाव बढ़ा रहे हैं। लवि के जंतु विज्ञान विभाग की ओर से राजधानी के विभिन्न स्कूलों में कक्षा नौ से 12वीं तक के 884 छात्र-छात्राओं पर शोध में यह तथ्य सामने आए हैं। शोध में छात्र छात्राओं में क्रोनोटाइप (किसी व्यक्ति की आंतरिक जैविक घड़ी के आधार पर सोने व जागने के लिए उसके पसंदीदा समय का विवरण) के साथ साथ उनकी लार लेकर नींद व तनाव के लिए मेलाटोनिन और कोर्टिसोल हामौस की जांच की गई थी। शोध रिपोर्ट को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भेजी जाएगी।
विभाग की प्रो. शैली मलिक को वर्ष 2021 में सीएसटी से 'डेली पैटन्सं आफ क्लाक रिलेटेड फिजियोलाजी एंड विर्हवियर इन यंग स्टूडेंट्स' शोध प्रोजेक्ट मिला था। बताया कि लखनऊ के कई स्कूलों के कक्षा नौ से 12वीं तक के 13 से 19 वर्ष की आयु वाले छात्र-छात्राओं पर यह शोध पूरा हुआ है। इसमें तीन प्रकार की प्रश्नावली का प्रयोग किया गया। क्रोनोटाइप सर्वेक्षण
में एमईक्यू (प्रातःकालीन, सायंकालीन प्रश्नावली), नींद की गुणवत्ता के लिए पिट्सबर्ग स्लीप क्वालिटी स्केल (पीएसक्यूआई), दिन में नींद आने के लिए ईएसएस (एप्वोर्थ नींद संबंधित प्रश्न पत्रिका) और थकान के स्तर के लिए एफएसएस (थकान संबंधित प्रश्नपत्रिका) पर प्रश्न पूछे गए। क्रोनोटाइप में विद्यार्थियों की पूरे दिन की गतिविधियां देखी गईं। 40 प्रतिशत (354) छात्र-छात्राएं सुबह से ही अपने कार्यों को लेकर सक्रिय मिले। 50 प्रतिशत (442) छात्र-छात्राओं का कोई निश्चित समय नहीं निर्धारित था। उन्हें नीदर टाइम की श्रेणी में रखा गया। सायंकालीन प्रकार वालों में 10 प्रतिशत विद्यार्थी देर रात तक जागने और सुबह देर से दिन की शुरुआत करने में रुचि रखते हैं। इनको पर्याप्त नींद न मिलने की वजह से उनमें तनाव का स्तर बढ़ा मिला। उसकी
दिए गए सुझाव
• विद्यार्थियों के पढ़ने और सोने का समय निर्धारित होना जरूरी
• विद्यार्थियों के लिए फ्री आवर हो, जिसमें एक्टिविटी कराई जाएं
• अभिभावक बच्चों को तनाव से दूर रखने का प्रयास करें।
गुणवत्ता खराब थी। 30 प्रतिशत आबादी थकान से पीड़ित थी।
लार से हुई हार्मोंस की जांच परीक्षा और विना परीक्षा के दिनों में सभी छात्र-छात्राओं के दो हार्मोस मेलाटोनिन और मेलाटोनिन की जांच उनकी लार से की गई। मेलाटोनिन हामौस नींद से संबंधित है। शोध के अनुसार सुबह के समय और नीदर टाइम वाले 50 प्रतिशत विद्यार्थियों में हामाँस का स्तर यह सही था। 10 प्रतिशत वालों में रात के समय हार्मोस का स्तर उच्च नहीं था। लेकिन दोपहर के समय देखने पर स्तर उच्च पाया गया। परीक्षा के दौरान सभी छात्र-छात्राओं में मेलाटोनिन का स्तर कम पाया गया। मतलब उनकी नींद पूरी नहीं हो पा रही। कोर्टिसोल हामौस से विद्यार्थियों में सुबह और रात में जांच में तनाव देखा तो सुबह इसका स्तर बढ़ा पाया गया।

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