मंगलवार, 4 फ़रवरी 2025

धर्म और जनहित के मुद्दे करेंगे तेज

 

पहले की अपेक्षा महिलाओं में संन्यास की भावना बढ़ी है। इसमें वंचित समाज की महिलाएं भी शामिल हैं। महाकुंभ में विदेशी महिलाओं ने भी संन्यास लिया है। यह सनातन धर्म का बढ़ता वैभव है। इस परिणाम से हम उत्साहित हैं। धर्म और जनहित में मुहिम तेज करेंगे।


- डा. देव्या गिरि, अध्यक्ष दशनामी संन्यासिनी अखाड़ा, मनकामेश्वर मंदिर लखनऊ



महाकुंभ नगर धर्म ज्ञान है, वैराग्य है। धर्म काम और मोक्ष है। धर्म व्यक्ति का आधार है। धर्म संस्कारों का संसार है। धर्म सत्य सनातन है। उसी सनातन के धर्म ध्वजावाहक बने हैं नए नागा। अखाड़े उनका नया ठिकाना हैं। इस बार महाकुंभमें अलग-अलग अखाड़ों में 8.715 नए नागा संन्यासी और संन्यासिनी बने। इनमें 1850 दलित, आदिवासी हैं। महिलाओं की संख्या लगभग 250 है। महाकुंभ में पहली बार वंचित समाज से इतने अधिक लोगों ने संन्यास लिया है। अधिकतर छत्तीसगढ़, बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मध्य प्रदेश के पिछड़े क्षेत्रों के हैं।


मतांतरण रोकने के लिए अखाड़े देश के सीमावर्ती क्षेत्रों, आदिवासियों व उपेक्षितों के बीच अभियान चला रहे हैं। शिक्षा, चिकित्सा व भंडारा चलाने के साथ धार्मिक गतिविधियां चलाई जा रही हैं। इसलिए बड़ी संख्या में लोग संन्यास लेकर सनातन धर्म से जुड़े हैं। अखाड़ों ने महाकुंभ में 16 जनवरी से पहली फरवरी के बीच नागा संन्यासी बनाए।




4700 संन्यासी, 2170 संन्यासिनी, महानिर्वाणी में 250 संन्यासी, निरंजनी में 1100 संन्यासी व 150 संन्यासिनी, अटल में 85 संन्यासी, आवाहन में 150 संन्यासी, बड़ा उदासीन में 110 तंगतोड़ा (नागा) बनाए गए। 



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