बुधवार, 1 जनवरी 2020

न्यू इयर ब्लू के शिकार तीस फीसदी लोग ...इसकी जद में २५-३० और ५०-६० वर्ष के लोग


न्यू इयर ब्लू के शिकार तीस फीसदी लोग
...इसकी जद में २५-३० और ५०-६० वर्ष के लोग
...न्यू ईयर सेलिब्रेशन की हाइप डील नहीं कर पाते
कुमार संजय। लखनऊ
 यूं तो नए साल की पूर्व संध्या मौज-मस्ती का मौका होता है लेकिन एक निजी कंपनी में काम करने वाले अभिषेक पाण्डेय हर साल पहली जनवरी को एक तरह की मानसिक परेशानी का शिकार हो जाते हैं। चिंता सताने लगती है कि बीते साल में परेशानियां होती गई। जो सोचा हुआ उसका उलटा। अब फिर नया सालनया लक्ष्य और नई परेशानियों आएंगी। ऐसा अकेले इनके  साथ नहीं होता हैविशेषज्ञों की मानें तो नए साल की पूर्व संध्या से लेकर जनवरी के शुरूआती 15 दिन तक २० से ३० फीसदी लोग डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। इस डिप्रेशन को विशेषज्ञ  न्यू ईयर ब्लू कहते हैं।
न्यू ईयर से पहले लंबे समय तक फेस्टिवल सीजन रहता है। न्यू ईयर ईव पर मन को लगता है कि एक अर्से से चला आ रहा मौज-मस्ती का टाइम समाप्त हो गया। विशेषज्ञ कहते हैं कि इस परेशानी का दूसरा बड़ा कारण यह होता है कि साल बीतने पर मन में विचार आता है कि एक साल और बीत गया। अगला साल पता नहीं कैसा होगा। जिन लोगों पर जिम्मेदारियां होती हैं और वह जिम्मेदारी को पूरा नहीं कर पाए हैं तो उन्हें लगता कि एक साल और बीत गया जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाए।
मेडिकल विवि के  मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. एस के कारण कहते हैं जनवरी के पहले सप्ताह में उन लोगों में सबसे अधिक डिप्रेशन होता है जिनकी उम्र २५ से ३० एवं ५० से ६० के बीच होती है। वह कहते हैं कि न्यू ईयर सेलिब्रेशन को ले·र बहुत ज्यादा हाइप क्रिएट कर दी जाती है लेकिन जब यह सब हो जाता है तो लोग उसके बाद की स्थित को ठीक तरह से डील नहीं कर पाते हैं। लोग डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। यह साल का वह समय है जब आपको अपनी उर्जा को कुछ पांचिटिव कामों में चैनलाइज करने की जरूरत है।
पुरानी बाते भूल कर नए सिरे से प्लानिंग की जरूरत
 संजय गांधी पीजीआइ के चिकित्सकीय सामाज शास्त्री इंचार्ज गैस्ट्रो मेडिसिन अपीडी रमेश कुमार  कहते हैं कि इस मौके पर खुद को अकेला महसूस करना कामन है। इस तरह की भावना आ रही है तो उसे व्यक्त करिए। पिछले बातों की चिंता छोड़ अपने अगले लक्ष्य पर ध्यान लगाएं। कंपनी को एंजाव्य करना सीखें। विशेषज्ञ कहते हैं कि कुछ लोग शराब की बोतलों में गम गलफ ·र लेतें है और नए साल में नई उर्जा के साथ काम में लग जाते हैं। पर जो लोग गम को नहीं भुला पाते वह डिप्रेशन के साथ जिंदगी में आगे बढ़ते हैं। मौके है कि पुरानी बातों को भूल कर नए सिरे से जिंदगी की शुरुआत करें।

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