घुटने के टूटे लिगामेंट को हटाकर लगाया नया लिगामेंट आ गयी जान
पीजीआइ एपेक्स ट्रामा सेंटर हुआ पहला आर्थोस्कोपी लिगामेंट रिपेयर
थैक्स.. डाक्टर बच गयी नौकरी ,मिला गया था अनफिट करने का अल्टीमेटम
कुमार संजय। लखनऊ
सीआरपीएफ के जवान 30 वर्षीय जितेंद्र की नौकरी जाने वाली थी । विभाग उन्हें अनफिट करने की चेतावनी दे चुका था क्योंकि उनके घुटने के जवाब दे दिया था। घुटने में दम न लगने के कारण चलने में पैर लचक जाता था। संजय गांधी पीजीआइ के एपेक्ट ट्रामा सेंटर के विशेषज्ञों ने बिना घुटना खोले आर्थोस्कोप से जितेंद्र के घुटेने में खराब हो चुका लिगामेंट को हटा कर दूसरा मजबूत लिगामेंट रोपित कर घुटने में जान डाल दिया। जितेंद्र के घुटने में दम आ गया लेकिन अभी एक महीने तक पूरा जोर नहीं देना । अभी हाल में ही लिगामेंट रोपित किया है मजबूत होने लिए समय देना होगा। एपेक्स ट्रामा सेंटर का यह पहला केस है जिसमें बिना घुटना खोले आर्थोस्कोप से लिगामेंट रोपित किया गया। एपेक्स ट्रामा सेंटर के प्रभारी प्रो. अमित अग्रवाल और आर्थोपैडिक सर्जन प्रो. पुलक शर्मा ने बताया कि यह बडी सफलता है। नई तकनीक स्थापित हो गयी है। इससे तमाम उन लोगों को फायदा मिलेगा जिनका चोट के कारण घुटने का लिगामेंट टूट जाता है और चलने फिरने में लाचार हो जाते है। जितेंद्र ने बताया कि वह पटना के रहने वाले सीआरपीएफ में जवान है। नक्सली क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान घुटने में चोट के कारण पैर में दम नहीं लग रहा था कई जगह इलाज कराया लेकिन कहीं फायदा नहीं मिला। विभाग ने अनफिट करने का अल्टीमेट दे दिया था तभी पीजीआइ का नाम सनु कर यहां आए तो ट्रामा सेंटर भेजा गया जहां पर इलाज के बाद फिट महसूस कर रहे हैं।
कैसे किया गया लिगामेट का रोपण
विशेषज्ञों ने बताया कि घुटने का लिगामेंट टूटने पर पूरा घुटना खोल कर रिपेयर किया जाता रहा है जिसमें तमाम रिस्क होता है लेकिन आर्थोस्कोप में केवल 2 मिमी के छेद से घुटने अंदर जा कर खराब एंटीरियर क्रुशिएट लिगामेंट्स को हटाकर घुटने पास ही बिना काम वाले मौजूद लिगामेंट को निकाल कर रोपित किया गया। इसके साथ ही मिनिसकस वाशर को भी रिपेयर किया गया क्यों वह भी रैप्चर हो गया था। परेशानी पता करने के लिए क्लीनिकल एक्जमनेशन के साथ एमआरआई जांच घुटने की जाती है ।
लिगामेंट इंजरी क्या है?
घुटनों को अपनी जगह पर स्थिर बनाये रखने का काम लिगामेंट्स करते हैं। घुटने में दो तरह के लिगामेंट होते है कोलेटरल लिगामेंट्स और क्रुशिएट लिगामेंट्स होते हैं। कोलेटरल लिगामेंट्स घुटने की गति को नियंत्रित और संतुलित करते हैं। क्रुशिएट लिगामेंट्स घुटने को आगे-पीछे मोड़ने का काम करते हैं। लिगामेंट्स सॉफ्ट टिश्यू होते हैं और इन लिगामेंट्स के कारण ही हड्डियां एकदूसरे से जुड़ी रहती है लेकिन जब कभी अचानक तेजी से गिरने, ऊंचाई से कूदने या दबाव पड़ने से लिगामेंट टूट जाते हैं तो घुटनों को मोड़ना बहुत तकलीफदेह हो जाता है। कई बार चोट लगने पर हड्डी टूटती नहीं है लेकिन उस जगह पर काफी चोट पहुँचती है। अगर उस हिस्से में सूजन और दर्द रहता है और वो जगह नीली पड़ जाती है तो ये लिगामेंट की इंजरी का संकेत है।
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