बुधवार, 1 जनवरी 2020

पीजीआइ के बडे प्रोफेसरों की कार्य प्रणाली से तंग छोड़ रहे है संस्थान डाक्टर

पेट रोग विशेषज्ञ ने कहा पीजीआइ को अलविदा , कई कर रहे है छोड़ने की तैयारी 
कई तो विभाग की कार्य प्रणाली से तंग होकर छोड़ देते है संस्थान


संजय गांधी पीजीआइ के एक और संकाय सदस्य ने संस्थान को अलविदा कह दिया तो कई कतार में है।  गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के पेट रोग विशेषज्ञ प्रो. अभय वर्मा
ने त्यागपत्र देकर मेदांता ज्वाइन कर लिया है। संस्थान छोडने के पीछे वह व्यक्तिगत कारण बता रहे है। हाल में ही इनको मिला कर तीन संकाय सदस्य संस्थान छोड़ चुके है । कई डॉक्टर संस्थान छोड़ने के लिए विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर भी दे दिया है। हाल में ही  पूर्व निदेशक और किडनी ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट प्रो राकेश कपूर के अलावा संस्थान के छह अन्य डॉक्टरों ने वीआरएस (स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना) के लिए शासन को पत्र दिया था। शासन ने डॉ. राकेश कपूर का वीआरएस छोड़कर अन्य का नामंजूर कर दिया था।  कार्डियो वेस्कुलर थोरेसिक सर्जरी (सीवीटीएस) विभाग के हार्ट सर्जन प्रो. गौरंग मजूमदार ने संस्थान छोड़ दिया। ऐसे में पेट रोग विशेषज्ञ डॉ. अभय वर्मा के जाने से संस्थान को बहुत बड़ा झटका लगा है। संस्थान में चर्चा है कि गेस्ट्रो सर्जरी विभाग के एक वरिष्ठ सर्जन जल्द ही संस्थान को छोड़ देंगे। पीजीआई छोड़ने वाले डॉक्टर तो यही कहत है कि व्यक्गित कारणों से छोड़ रहे है लेकिन असलियत के बारे में संस्थान के एक संकाय सदस्य कहते है कि संस्थान के बडे प्रोफेसर के चहेते नहीं है तो  इन्हें काम नहीं करने देते है।  कई बार प्रमोशन भी रोक देते है। ऐेसे में विकल्प की तलाश में रहते है जैसे ही मौका मिलता है निकल लेते है। 

रोज सर्जरी की क्षमता ओटी केवल एक दिन
एक संकाय सदस्य का कहना है मेरी क्षमता रोज सर्जरी करने की है लेकिन सप्ताह में केवल एक दिन ओटी मिलती है बाकी दिन बैठ कर हम अपने क्षमता को नष्ट नहीं कर सकते है। इसके आलावा कारपोरेट अस्पताल के बारबर वेतन , भत्ते ,सुविधा न मिलना भी बडा कारण है। सरकार को विशेषज्ञों को रोकने के लिए कारपोरेट आस्पतालों की तरह डाक्टर सहित अन्य पैरामेडिकल विशेषज्ञों को फेलेक्सी वेतन देने पर विचार करना होगा। 

संकाय सदस्य ही टेक्नोलाजिस्ट और नर्सेज भी छोड़ गए संस्थान
नर्सिग एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा शुक्ला का कहना है कि हाल में आउट सोर्सिग पर तैनात लगभग 15   लैब, ओटी टेक्नोलाजिस्ट , नर्सेज कारपोरेट अस्पताल चले गए यहां पर 16 हजार मिलता था वहां पर 35 से 40 हजार पर गए है। यह लोग संस्थान में लंबे समय से काम कर रहे थे अपने कार्य के मास्टर थे और पीजीआइ का एक्सपोजर  मिलने से ऐर दक्षता आयी जिसका फायदा कारपोरेेट अस्पताल के मरीजो को मिलेगा। एम्स में संविदा पर वेतन 54 हजार है लेकिन पीजीआइ में 16 हजार ऐसे में पलायन तो होगा ही। 

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