मंगलवार, 7 जनवरी 2020

बिना सिर खोले संभव होगा एन्यूरिज्म का इंडोवैस्कुलर ट्रीटमेंट- रेडियोलाजी विभाग ने इन मरीजों को जल्दी से जल्दी राहत दिलाने के स्पेशल अपीडी शुरू

बिना सिर खोले संभव होगा एन्यूरिज्म का इंडोवैस्कुलर ट्रीटमेंट


पीजीआइ में अब सेरीब्रल एन्यूरिज्म के इलाज का पक्का इंतजाम
रेडियोलाजी विभाग ने शुरू की ओपीडी


ब्रेन स्ट्रोक के हेमोरेजिक स्ट्रोक में एन्यूरिज्म के इलाज के लिए संजय गांधी पीजीआई के रेडियोलाजी विभाग ने इन मरीजों को जल्दी से जल्दी राहत दिलाने के स्पेशल अपीडी शुरू की है । विभाग के इंटरवेंशन रेडियोलाजिस्ट  प्रो.विवेक सिंह एवं प्रो.सूर्या नंदन के मुताबिक इन मरीजों को देखने और सलाह के विभाग में रोज डीएसए में शुरू की गयी है। विभाग के नाम से मरीज का पंजीकरण भी शुरू हो गया है। विभाग के पास तीस बेड उपपलब्ध हो जाने के कारण अब भर्ती करने की सुविधा है। बताया कि  मस्तिष्क में होने वाले एन्यूरिज्म के इंडोवैस्कुलर ट्रीटमेंट किया जाता है।  सर्जिकल क्लिपिंग और इंडोवैस्कुलर क्वॉयलिंग के जरिए एन्यूरिज्म में रक्त के प्रवाह को खत्म करना है। मस्तिष्क में होने वाले एन्यूरिज्म (सेरीब्रल एन्यूरिज्म) के इलाज में मेडिकल थेरेपी तब कारगर सिद्ध होती हैजब एन्यूरिज्म फटता नहीं है। वस्तुत: छोटे आकार का एन्यूरिज्म भी फट सकता है। एन्यूरिज्म के फटने (रप्चर) की स्थिति में इलाज के दूसरे विकल्प के रूप में सर्जिकल क्लिपिंग का इस्तेमाल किया जाता है।
यह ले सकते है सलाह
विशेषज्ञों ने बताया कि सिर में तेज दर्द, उल्टी, गर्दन में दर्द, हाथ –पैर में कमरोजी या लकवा, धुंधला या दो दिखना, आंख के ऊपर और नीचे दर्द, चक्कर आना की परेशानी हो तो वह लोग अपीडी में दिखा सकते है। कुछ लोगों में दौरा पड़ने की परेशानी हो सकती है

क्या है एन्यूरिज्म
 एन्यूरिज्म रक्तवाहिनी के एक भाग(धमनी) या कार्डिएक चैंबर में सूजन होने पर होती है। इसमें
तो रक्त वाहिनी नष्ट हो जाती है या फिर इसकी दीवार कमजोर हो जाती है। जब ब्लड प्रेशर का दबाव बढ़ता हैतब  रक्तवाहिनी कमजोर भाग पर गुब्बारे की तरह का आकार बना लेती है। एन्यूरिज्म के बढ़ने पर इसके फटने का खतरा बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।

दिमाग में रक्तस्राव की मात्रा के आधार पर तय होता है इलाज

स्ट्रोक के कारण मस्तिष्क के अंदर 10 एम.एल.से कम रक्त बहा है।  तब सूजन कम करने वाली दवाएं दी जाती हैं। अगर रक्त 60 एम.एल. से ज्यादा निकला तब गंभीर स्थित होती है। 10 से 60 एम.एल. के बीच वाले रोगियों की स्थिति के अनुसार यह तय किया जाता है कि दवाओं से रोगी को लाभ मिलेगा या फिर सर्जरी से। स्ट्रोक के कारण रक्त नलिकाओं (आर्टरीज) के सिकुड़ना बडी परेशानी  है । इसमें मस्तिष्क में क्वायलिंग के साथ स्टेंट भी डालते हैं। इस कारण दिमाग की रक्त नलिकाएं खुली रहती हैं।

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