आर्टिफिशल इंटेलिजेंस खोलेगा फेफडे की परेशानी का राज
आर्टीफीसियल इंटेलीजेंस साफ्टवेयर फाऱ चेस्ट एक्स-रे बता देगा फेफडे की बीमारी की जानकारी
रेडियोलाजिस्ट की कमी के कारण नहीं हो पाती है चेस्ट एक्स-रे की रिपोर्टिंग
इलाज करने वाले डाक्टर ही खुद देखते है एक्स-रे
कुमार संजय। लखनऊ
भारतीय द यूनिवर्सटी आफ क्वींनलैंड आस्ट्रेलिया के डा. अंकित शुक्ला ने ऐसा आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस साफ्ट वेयर बनाया है जो चेस्ट एक्स-रे को पढ़ कर फेफडो के तमाम परेशानियों को बता देगा । इस साफ्टवेयर को भारत में जानकल्याण के नजरिए से स्थापित करने के लिए संजय गांधी पीजीआइ के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के प्रो. एके शुक्ला के साथ मिल कर काम कर रहे हैं। देश –प्रदेश के अस्पतालों में चेस्ट –एक्स रे होने के बाद सीधे मरीज को फिल्म पकड़ा दी जाती है क्योंकि रेडियोलाजिस्ट की संख्या इतनी कम है कि उनके पास एक्स-रे पढने रिपोर्ट करने का टाइम नहीं होता खास तौर बड़े अस्पतालों में, सीचएसी, पीएचसी स्तर पर रेडियोलाजिस्ट होते ही नहीं है। इलाज करने वाले डाक्टर ही एक्स-रे देख कर बीमारी का अनुमान लगाते है जबकि एक्स-रे रिपोर्टिंग एक्सपर्ट से होनी चाहिए साफ्टवेयर फार चेस्ट –एक्स रे स्थापित होने के बाद काफी हद कर रिपोर्टिंग के साथ ही रेडियोलाजिस्ट पर लोड कम होगा साथ ही इलाज करने वाले डाक्टर को भी काफी सहूलियत होगी।
खत्म हो जाएगी एक्स-रे फिल्म रखने की झंझट
डा. अंकित शुक्ला के मुताबिक इससे एक्स-रे फिल्म की भी जरूरत खत्म हो जाएगी। एक्स-रे की डिटिटल फोटो को ही इस्तेमाल कर साफ्टवेयर फेफडे में परेशानी का पता लगा लेगा। डिटिटल फिल्म न होने की दशा में एक-रे फिल्म की फोटो लेकर भी साफ्टवेयर एप्लाई कर रिपोर्ट की जा सकती है।
फेफडे की 15 बीमारी की आशंका कितनी
फेफडे में टीबी, निमोनिया, गांठ, पानी, आईएलडी सहित 15 बीमारियां देखने को मिलती है। कई बार एक्स-रे में बीमारी की शुरूआत को डाक्टर नहीं भांप पाते है ऐसे में साफ्ट वेयर शुरूआती बदलाव को भी पकड़ कर बीमारी की जानकारी दे देगा। डा. अंकित शुक्ला लखनऊ के रहने वाले है। बायो इंफार्मेटिक्स में क्वींस लैड यूनीवर्सटी आस्ट्रेलिया में पीएचडी कर रहे हैं।
कैसे काम करता है साफ्ट वेयर
साफ्ट वेयर में एकस-रे की पिक्टर डाउन लोड की जाती है फिर साफ्ट वेयर पूरे फिल्म को एलनाइज कर जो बदलाव होता है कितने फीसदी तक बदलाव है सामान्य के मुकाबले बता देता है। एक्स-रे की रिपोर्टिंग के लिए प्रो.एके शुक्ला से 9935330272 पर संपर्क कर फिल्म भेजी जा सकती है। डा. अंकित के मुताबिक साफ्ट वेयर कई हजार सामान्य और बीमारी वाले फिल्म को डाला गया जिससे वह बनावटी बौद्धिकता से किसी नए एक्स-रे फिल्म को अनलाइज कर बीमारी को बताता है।
रेटिनोपैथी कितनी बताएगा एआई
डा. अंकित शुक्ला ने मुताबिक डायबीटीज के कारण आंखों के परदे (रेटिना) की समस्या रेटिनोपैथी है। मरीजों के पर्दों के फोटो का ऐनालिसिस कर एक एआई मशीन बता देगी रेटिनोपैथी कितनी है और उसके इलाज के लिए आगे क्या किया जाना चाहिए। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के जरिए इस रेटिनोपैथी के लिए भी साफ्ट वेयर तैयार कर चुके हैं।
फायदे: मेडिकल के तमाम क्षेत्रों में लगभग डॉक्टरों की तरह ही डायग्नोज और ट्रीट कर सकने की क्षमता। धीरे-धीरे यह और बढ़ेगी। फिर मनुष्य की जगह ये मशीनें काम करने लगेंगी।
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