पीजीआइ के गैस्ट्रो सर्जन प्रो आनंद प्रकाश दिया स्तीफा
बडे प्रोफेसर की मोनोपोली से हो रहा है पलायन
60 से अधिक डाक्टर छोड़ चुके है संस्थान
यहां काम करने के लिए है लिमिटेशन इससे दक्षता में आ रही थी कमी
संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रो सर्जन प्रो. आनंद प्रकाश ने
स्तीफा दे दिया है। प्रो. प्रकाश ने 15 जनवरी 2007 में संस्थान ज्वाइन किया था । 13 साल की सेवा में लगभग 25 से 27 हजार मरीजों में जटिल सर्जरी को अंजाम दिया जिसमें 25 से अधिक सर्जरी की नई तकनीक खोजा । यह उपलब्धि तब है जब ओटी
की कमी सहित कई संसाधन की कमियों का सामना किया। प्रो. प्रकाश ने बताया कि साल में
2 से 250 सौ मरीजों में
सर्जरी करते रहे जिसमें छोटी, बडी आंत के कैंसर, खाने की नली के जटिलता, पैक्रियाज की
सर्जरी सहित अन्य शामिल है। संस्थान छोडने के पीछे कारण निजि बताया लेकिन संस्थान
के संकाय सदस्यों का कहना है कि इनका प्रमोशन विभाग के बडे प्रोफेसर नहीं होने
दिया जिसके बाद यह कोर्ट गए जहां से प्रमोशन का आदेश जारी हुआ । एक दिन ओटी मिलती थी जबकि क्षमता रोज दो से
तीन सर्जरी करने की है। विभाग के पास ओटी की कमी भी नहीं है नई हिपैटोबिलेरी भवन
मे काफी बेड और ओटी है > यहां पर काम करने की लिमिटेशन है जिसके कारण आगे
हमारी दक्षता में कमी आ रही है। हमारे पास
मेंदांता का आफर है वहां ज्वाइन करेंगे। इनसे पहले गैस्ट्रो इंट्रोलाजिस्ट प्रो.
अभय वर्मा और हार्ट सर्जन प्रो. गौरंग मजुमदार इसी महीने स्तीफा देकर चले गए। इन
लोगों का भी कहना है कि संस्थान में बडे प्रोफेसरों की मोनोपोली है बिना इनके
मर्जी के आप कुछ नहीं कर सकते है। आप उनके चहेते नहीं है तो सरवाइस करने के लिए
तमाम समझौते करने पड़ते है इसी लिए मौका मिलते ही लोग यहां से चले जाते है।
संस्थान के 30 साल में 60 से अदिक संकाय
सदस्य छोड़ कर चले गए ।
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