रविवार, 12 जनवरी 2020

सीडी-64 जांच रोकेगा ड्रग रजिस्टेंस.....पीजीआइ ने स्थापित किया जांच- नई योजना से मिलेगी मरीजों को राहत





संजय गांधी पीजीआइ में इमरजेंसी मरीजों के लिए 2020 में काफी हद तक राहत लाएगा। संस्थान में केवल 30 बेड की इमरजेंसी है जिसके कारण हर घंटे चार से पांच मरीजों को वापस किसी दूसरे संस्थान में भेजना पड़ता है। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. अमित अग्रवाल के मुताबिक 210 बेड की इमरजेंसी नए साल में शुरू करने की योजना पर तेजी से काम हो रहा है। हम लोगों की इसे शुरू करना पहली प्राथमिकता है। इसमें दिमाग, दिल, पेट से जुडी सहित अन्य इमरजेंसी के लिए विशेष यूनिट होगी।
-    संक्रमण बैक्टीरिया का है या वायरस का यह पता करने में चार से पांच दिन लग जाते है। बल्ड कल्चर के जरिए बैक्टीरियल इंफेक्शन की पुष्टि होती है। संस्थान के क्लीनिकल इम्यूनोलिस्ट प्रो.विकास अग्रवाल ने सीडी64 टेस्ट खोजा जिससे मात्र दो घंटे में पता लगता है कि किस तरह का इंफेक्शन है। इस टेस्ट को अभी ट्रायल के तौर पर चलाया जा रहा था दो सौ से अदिक मरीजों में सफल पुष्टि के बाद इसे रूटीन में इस साल शुरू करने के लिए हास्पिटल इंफारमेशन सिस्टम में जोड़ जा रहा है। नए साल में संस्थान का कोई भी संकाय सदस्य, रेजीडेंट डाक्टर टेस्ट के लिए आर्डर रेज कर सकेगा। प्रो.विकास के मुताबिक यदि किसी को बुखार है कारण बैक्टीरियल है तो तुरंत एंटीबायोटिक शुरू कर राहत दी जा सकती है यदि वायरल है तो मरीज को एंटीबायोटिक से कोई फायदा नहीं होगा बिना मतलब एंटीबायोटिक नहीं चलेगा और ड्रग रजिस्टेट की समस्या पर कुछ हद तक लगाम लगेगा।
-     ब्रेन एन्यूरिज्म विथ वाइड माउथ का इलाज बिना दिमाग खोले वेब तकनीक से संभव हो गया है। इस तकनीक को डाक्टरी भाषा में इंडो वेस्कुलर एम्बोलाइजेशन आफ ब्रेन एन्यूरिज्म यूजिंग वेब डिवाइस कहते है। इस तकनीक से देश में केवल चार पाच मरीजों में इलाज हुआ है। पीजीआइ में पहला केस इस तकनीक से किया गया जो पूरी तरह सफल रहा। तकनीक को आंजाम देने में इंटरवेंशन रेडियोलाजिस्ट प्रो. विवेक सिंह तकनीक स्थापित होने के बाद आगे मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक मरीजों को काफी राहत मिलेगी
-      मूवमेंट डिसआर्डर के मरीजों के लिए स्पेशल क्लीनिक शुरू होगी जिसमें न्यूरो सर्जरी और न्यूरोलाजी विभाग के विशेषज्ञ एक साथ इलाज की दिशा तय करेंगे। न्यूरोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान के मुताबिक
-    बुधवार को स्पेशल क्लीनिक शुरू करने की योजना है। पहले मरीज का बैठ करलिटा करफिर खडे होने की स्थित में रक्त दाब देखने के साथ चाल भी देखी कर उसकी रिकार्डिग की जाएगी जिसके आधार पर आगे जांच कर कारण का पता लगा कर इलाज की दिशा तय होगी। पार्किंसनडिस्टोनिया और ट्रेमर सहित अन्य ऐसी परेशानियां है जिसमें शरीर का कोई एक आंग सामान्य से अधिक कंपन करने लगता है जिसके कारण शरीर का बैलेस बिगड़ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ परेशानी बढने की आशंका रहती है।    

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