गुरुवार, 7 नवंबर 2019

उम्रेंद्र बनकर उमरी की उम्मीद पूरी--पीजीआइ ने बनाया लड़का

तो उमरी अब बन जाएगा उमेंद्र


बचपन से लड़की की तरह पला लेकिन निकला लड़का
पीजीआइ दो विभाग मिल कर निकाले  फीमेल आर्गन  विकसित कर रहे है मेल आर्गन

कुमार संजय़। लखनऊ


वह उमरी थी। बचपन से शारीरिक विकास लड़की की तरह हुआ तो पालन-पोषण भी उसी तरह किया गया। हां, उमरी को मानसिक उलझन हमेशा बनी रही। वह खुद को लड़की मानने के लिए तैयार नहीं हुआ। वजह, बढ़ती उम्र के साथ शरीर में मेल हार्मोन प्रभावी होते रहे। असमंजस के बीच आखिर परिजन लखनऊ स्थित संजय गांधी पीजीआइ में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रो. अंकुर भटनागर के पास पहुंचे। तमाम परीक्षण के बाद तय किया कि यह लड़का ही बन सकता है। अब पहली सर्जरी के बाद महिला वाले अंग निकाल दिए गए जिससे फीमेल हारमोन का असर खत्म हो रहा है। हारमोन रिप्लेसमेंट थिरेपी देकर मेल हारमोन को बढा कर पहले से बने पुरूष लिंग को विकसित किया जा रहा है। शाहजहां पुर के रहने वाले एक उमरी के नाम इस बच्चे का पालन पोषण हुआ। उम्र बढने के साथ स्तन पूरा विकसित हो गया। जंम से पुरूष लिंग, अंडकोश कम वकसित बना था साथ ही यूट्रस, योनि, ओवरी भी बना था । इस परेशानी को डिजीज आफ सेक्सुअल डिफ्रेनसिएशन कहते है जिसमें महिला और पुरूष के दोनो अंग बने होते है। इसका प्रभाव जब यौवन अवस्था पर पहुंचता तब लगता या तो जंम के समय ही विशेषज्ञ ध्यान दे तो लगता है। जब उमरी 13 साल का हुआ तो उसे लगा कि वह लड़की नहीं है। जब यहां आए तो पहले हमने साइकोलाजिकल एनालसिस कराया तो साइकोलाजिस्ट ने कहा कि मेल हारमोन ही प्रभावी है और लड़को की तरह की रह सकता है। इसके साथ हारमोन और क्रोमोसमल स्टडी भी कराया जिससे साभित हुआ कि एक्स -वाई क्रमोजोम ही प्रभावी है।

 दो सर्जरी के बाद बना लड़का
उमरी में यूरो सर्जन प्रो.एमएस अंसारी के साथ मिल कर पहले चरण में ओवरी, यूट्रस निकाला इसके साथ योनि को बंद किया।  साथ ही विकसित स्तन को इनफीरियर पेडिकल रेडिकल रीडक्शन सर्जरी  तकनीक से स्तन को निकाला।   इसमें विशेष ध्यान देना होता है चेस्ट परूषो जैसा ही दिखे। फीमेल आर्गन निकल जाने से फीमेल हारमोन प्रोजेस्ट्रान, ईस्ट्रोजन का स्तर भी कम हो जाता है। इसके बाद पहले से बने पुरूष लिंग को विकसित करने के लिए थिरेपी शुरू की गयी है। प्रो. भटनागर के मुताबिक दवा से जितना पूरा विकसित नहीं हुुआ तो उसके लिए भी विशेष सर्जरी की जाएगी। इसके बाद पेशाब का रास्ता जो बना है उसका छिद्र सही जगह पर करने की सर्जरी होगी। उमरी ने अपना नाम भी उमेंद्र कर लिया है।

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