अब नेशनल हेल्थ मिशन में शामिल होगा पेरीटोनियल डायलसिस
पीजीआइ के प्रो.नरायन प्रसाद के प्रयास शामिल हुई नई डायलसिस तकनीक
कुमार संजय। लखनऊ
नेशनल डायलसिस प्रोग्राम के तहत देश के हर जिले में किडनी मरीजों की जिंदगी बेहतर रखने लिए फ्री डायलिस की व्यवस्था प्रधानमंत्री नेशनल डायलसिस योजना चलायी जा रही है जिसमें केवल हीमोडायलसिस की व्यवस्था की थ्री पी माडल पर की गयी। संजय गांधी पीजीआइ के गुर्दा रोग विशेषज्ञ एवं इंडियन सोसाइटी आफ नेफ्रोलाजिस्ट के सचिव प्रो.नरायन प्रसाद ने नेशनल हेल्थ मिशन को संस्थान और देश में चल रहे पेरीटोनियल डायलसिस प्रोग्राम के तमाम सफलता के आंकडों के साथ इसे नेशनल डायलसिस प्रोग्राम में शामिल करने की सिफारिश की थी जिसके बाद मिशन के अधिकारियों ने इसे डायलसिस प्रोग्राम में शामिल करने के साथ ही प्रो.नरायन को मुख्य संचालन समिति में सलाहकार के रूप भी शामिल किया है। प्रो.नरायन ने मिशन को बताया कि कैसे इसे लागू करना है और क्या फायदे है। देखा गया है कि हम लोग इस तकनीक से डायलसिस पर रहने वाले किडनी के मरीज 10 साल से अधिक समय तक बढिया जिंदगी जीते है और अपने रोज मर्रा के काम भी करते हैं।
हर साल 2.2 लाख नए हो रहे है इंड स्टेज रीनल डिजीज के शिकार
हर साल इंड स्टेज रीनल डिजीज के 2.2 लाख नए मरीज शिकार होते है । इनमें किडनी ट्रांसप्लांट ही अंतिम उपचार होता है । इन लोगों को ट्रांसप्लांट तक ठीक रखने या जिनमें ट्रांसप्लांट संभव नहीं है उन्हें ठीक रखने के लिए डायलसिस की जरूरत होती है। इन्हें फ्री डायलसिस सुविधा देने के लिए देश के 444 जिलों के 765 केंद्रों पर 4471 मशीन से हीमोडायलसिस सुविधा दी जा रही है इसके लिए मरीज को हफ्ते दो से तीन बार डायलसिस सेंटर पर आना होता है लेकिन पेरीटोनियल डायलसिस में घर पर ही डायलसिस करना संभव होगा।
क्या पेरीटोनियल डायलसिस
इस प्रकार के डायालिसिस में अनेक छेदोंवाली नली सीएपीडी कैथेटर को पेट में नाभि के नीचे छोटा चीरा लगाकर रखा जाता है। सी. ए. पी. डी. कैथेटर इस प्रक्रिया शुरू करने से 10 से 14 दिन पहले पेट के अंदर डाला जाता है। यह नली सिलिकॉन जैसे विशेष पदार्थ की बनी होती है। यह नरम और लचीली होती है एवं पेट अथवा आँतों के अंगों को नुकसान पहुँचाए बिना पेट में आराम से स्थित रहती है।
- -इस नली द्वारा दिन में तीन से चार बार दो लिटर डायालिसिस द्रव पेट में डाला जाता है और निश्चित घंटों के बाद उस द्रव को बाहर निकाला जाता है।
- -डायालिसिस के लिए प्लास्टिक की नरम थैली में रखा दो लिटर द्रव पेट में डालने के बाद खाली थैली कमर में पटटे के साथ बांधकर आराम से घूमा फिरा जा सकता है।
- -सी. ए. पी. डी. द्रव, पेट के अंदर रहता है । अवधि दिन के समय 4 - 6 घंटे की होती है और रात में 6 - 8 घंटे की होती है। रक्त की सफाई की प्रक्रिया इसी समय होती है। पेरिटोनियम झिल्ली एक फिल्टर की तरह काम करती है। यह अपशिष्ट उत्पादों, अवांछित तत्वों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को खून से पारित कर पी. डी. तरल पदार्थ में लेने का कार्य करती है। मरीज इस दौरान सभी कार्य कर सकता है।
- -तय समय के बाद पी. डी. द्रव को उसी खाली संग्रह बैग में निकाल दिया जाता है। ताजे घोल के साथ निकासी और प्रतिस्थापना में 30 - 40 मिनट का समय लगता है। यह विनमय दिन के दौरान 3 - 5 बार और रात में एक बार किया जा सकता है।
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