मंगलवार, 12 नवंबर 2019

अब सेंटीग्रा बताएंगा सीटी स्कैन और एमआराई में कंट्रास का सेफ डोज

अब सेंटीग्रा बताएंगा सीटी स्कैन और एमआराई में  कंट्रास का सेफ डोज
रेडिएशन का नहीं पडेगा मरीज पर कुप्रभाव
दो से आठ फीसदी में होता है कुप्रभाव
कुमार संजय। लखनऊ
बीमारी पकड़ने के लिए सीटी स्कैन, एमआरआइ सहित तमाम जांच में मरीज कंट्रास दिया जाता है जिसमें रेडियोएक्टिव तत्व होते है इसकी शरीर में अधिक मात्रा कई तरह के कुप्रभाव डालती है। कुछ कुप्रभाव तुरंत तो कुछ कुप्रभाव लंबे समय के बाद मरीज में आते है। किस मरीज में कितनी मात्रा में कंट्रास दिया जाए यह सटीक जानकारी अब सेंटीग्रा साफ्टवेयर से मिलना संभव हो गया है। इस तकनीक में मरीज के शरीर का भार, उम्र, किस अंग का जांच होना है , किस तरह का कंट्रास दिया जाना डाटा फीड किया जाता है जिसके बाद साफ्टवेयर इस मरीज में कितनी मात्रा में कंट्रास देना है सटीक जानकारी देता है। संजय गांधी पीजीआइ के रेडियोलाजी विभाग की प्रो. अर्चना गुप्ता के मुताबिक अभी हम लोग कंट्रास का खुद आकल करते है जिसमें एक मिली लीटर प्रति किलो शऱीर भार के अनुसार देते है जिसमें कई बार डोज के अधिकता या कमी की गुंजाइस रहती है लेकिन सेंटीग्रा से हर मरीज में सटीक मात्रा का आकलन संभव है। संस्थान में यह तकनीक स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। रेडियोलाजिस्ट सरोज वर्मा और धर्मेंद्र कुमार के मुताबिक सीटी स्कैन , एमआरआई जांच में दो तरह का कंट्रास दिया जाता है जिसे आयोडीन बेस और गैडोलीनियम बेस कहते हैं। देखा गया तो इससे दो से आठ फीसदी मरीजों में साइड इफेक्ट होता है। कंट्रास की सही मात्रा देने से ही साइड इफेक्ट को कम किया जा सकता है।  
क्या होता है कंट्रास
कंट्रास एक तरह का रसायन होता है जिसे सीटी स्कैन के दौरान इंजेक्ट किया जाता है। यह शरीर की सारी नसों में फैल जाता है जिससे स्कैन लेते समय उससे निकलने वाले रेडिएशन के कारण स्पष्ट इंमेज आती है

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