मिर्गी है तो न हो परेशान दवा से पूरी तरह संभव है इलाज
70 फीसदी पूरी तरह हो जाते है ठीक
कुमार संजय। लखनऊ
25 वर्षीया रागिनी को 6 साल से मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। जांच में पता लगा कि उन्हें मिर्गी है। शुरुआती 2-3 साल तो मैं लापरवाह रही। वक्त पर दवा और खाना नहीं खाती थी। न जब समस्या बढ़ गई तो मैंने ढंग से इलाज कराया। अब मैं वक्त पर पौष्टिक खाना खाती हूं । पूरी 8 घंटे की नींद लेती हूं। तनाव से दूर रहती हूं। किसी वजह से नींद पूरी न हो या तनाव हो जाए तो दौरा पड़ने के चांस रहते हैं। शरीर अकड़ जाता है, चक्कर आने लगते हैं, बोल नहीं पाती और कई बार गिर भी जाती थी। चोट भी लगती है। किसी भी बीमारी को अपनी जिंदगी से बड़ा न बनने दें। ऐसी तमाम मरीज रोज संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरोलाजी विभाग में फालोअप पर वाले बयां करते है। विश्व मिर्गी जागरूकता दिवस (17 नवंबर) के मौके पर संजय गांधी पीजीआइ के न्यूरोलाजिस्ट प्रो.सुनील प्रधान , प्रो,संजीव क्षा , प्रो.वीके पालीवाल , प्रो.विनीता एलिथाबेज ने बताया कि मिर्गी की रुटीन ब्लड टेस्ट ,ईईजी एआरआई, सीटी स्कैन से बीमारी की पुष्टि होती है। 70 फीसदी तक मरीज सिर्फ एक दवा खाने से ठीक हो जाते हैं। करीब 15 फीसदी मरीजों को 2-3 दवाएं खानी पड़ती है। 15 फीसदी को ज्यादा दवाओं या सर्जरी आदि की जरूरत पड़ती है।
प्रति एक हजार में पांच लोगों में मिर्गी की परेशानी
हमारे देश में औसतन प्रति हजार में से 5-6 लोग इस रोग से पीड़ित हैं। देश में मिर्गी रोगियों की संख्या प्रति वर्ष पांच लाख की दर से बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रतिवर्ष 25 लाख लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं।
क्या है मिर्गी
दिमाग में असामान्य तरंगें पैदा होने लगती हैं। यह कुछ वैसा ही है जैसे कि शॉर्ट सर्किट में दो तारों के बीच गलत दिशा में तेज करंट दौड़ता है। इसमें मरीज को झटके-से महसूस होते हैं, वह जमीन पर गिर जाता है, दांत भिंच जाते हैं और वह कुछ देर के लिए बेहोश हो जाता है। 1 दिन के बच्चे से लेकर सौ साल के बुजुर्ग तक को मिर्गी हो सकती है।
किन स्थितियों में पड़ता है दौरा
-बेहद तनाव
-दवा मिस कर देना
-कम नींद लेना
-हॉर्मोंस में बदलाव
-ज्यादा शराब पीना
-ब्लड शुगर का गिर जाना
-ब्लड प्रेशर का कम हो जाना
-बेहद तेज रोशनी में आना
लक्षण
- आंखों के आगे अंधेरा छाना
- शरीर का अकड़ जाना
- दांत भिच जाना
- मुंह से झाग आना
- अचानक गिर जाना
- बेहोश हो जाना
- आंखों की पुतलियों ऊपर की तरफ खिंचना
- हाथ या पैर का लगातार चलना या झटके से लगना
- होंठ या जीभ काट लेना
कारण
जनेटिक,इन्फेक्शन, सिर पर गंभीर चोट, स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर, गर्भ में चोट, ऑटिजम होना, बढ़ती उम्र,दिमाग में टेपवर्म- न्यूरोसाइटिसरकोसिस यानी दिमाग में टेपवर्म (कीड़ा) चला गया हो, ब्रेन टीबी, कैल्शियम और सोडियम की कमी से भी छोटे बच्चों में दौरा पड़ सकता है।
किन स्थितियों में पड़ता है दौरा
-बेहद तनाव
-दवा मिस कर देना
-कम नींद लेना
-हॉर्मोंस में बदलाव
-ज्यादा शराब पीना
-ब्लड शुगर का गिर जाना
-ब्लड प्रेशर का कम हो जाना
-बेहद तेज रोशनी में आना
लक्षण
- आंखों के आगे अंधेरा छाना
- शरीर का अकड़ जाना
- दांत भिच जाना
- मुंह से झाग आना
- अचानक गिर जाना
- बेहोश हो जाना
- आंखों की पुतलियों ऊपर की तरफ खिंचना
- हाथ या पैर का लगातार चलना या झटके से लगना
- होंठ या जीभ काट लेना
कारण
जनेटिक,इन्फेक्शन, सिर पर गंभीर चोट, स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर, गर्भ में चोट, ऑटिजम होना, बढ़ती उम्र,दिमाग में टेपवर्म- न्यूरोसाइटिसरकोसिस यानी दिमाग में टेपवर्म (कीड़ा) चला गया हो, ब्रेन टीबी, कैल्शियम और सोडियम की कमी से भी छोटे बच्चों में दौरा पड़ सकता है।
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