15 से 20 फीसदी महिलाओं में गर्भपात का व्रजपात
उम्र
बढने के साथ बढ़ती जाती है मिसकैरिज की आशंका
सामाजिक और मानसिक रूप से कमजोर बना रहा है
मिसकैरिज
कुमार संजय।
लखनऊ
28 वर्षीया आरोही विवाह के दो साल बाद जब
प्रिगनेंसी टेस्ट किया और टेस्ट पाजिटिव आया तो पूरा परिवार खूशी से झूम उठा।
डाक्टर के पास गए सारी –देख रेख होती रही
लेकिन गर्भधारण कारण के 12 सप्ताह से पहले
रक्त स्राव होने लगा तुरंत डाक्टर के पास गए तो बताया कि मां नहीं बन सकती है
क्योंकि गर्भपात हो गया । भ्रण को तुरंत निकालना पडेगा। भ्रूण तो निकाल दिया गया
डाक्टर ने दवा लिख कर घर भेज दिया। मां बनने की खुशी छिनने से आरोही शारीरिक और
मानसिक रूप से टूट गयी। ऐसी एक नहीं कई आरोही की कहानी है जो गर्भधारण तो करती है
लेकिन स्वतः गर्भपात के कारण मां नहीं बन पाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकडो
पर गौर करें तो पता लगता है कि 26 लाख मृत शिशु का
जंम होता है जिसमें 85 फीसदी मिसकैरेज
होता है। संजय गांधी पीजीआइ के मैटर्नल एंड रीप्रेक्टिव मेडिसिन विभाग की स्त्री
रोग विशेषज्ञ और इंर्फटलिटी एक्पसर्ट प्रो. इंदु साहू कहती है कि 20 से 25 आयु वर्ग के महिलाओं में 15 से 16 फीसदी प्रिगनेंसी मिस कैरिज होती है। 30 से 38 आयु वर्ग में यह दर 18 से 22 फीसदी देखी गयी है। और 45 के बाद में 70 फीसदी मामलों में मिस कैरिज होता है। मिस कैरिज की शिकार महिलाएं मां न बनने के कारण
समाज से कट जाती है। हमारे समाज में मां बनना एक बडी उपलब्धि मानी जाती है। हम लोग
कारण पता कर कुछ हद गर्भधारण में भ्रूण को बचाने की कोशिश करते हैं। तमाम मामलों में
कारण का पता नहीं लगता है।
क्या है गर्भपात
जब गर्भावस्था के 20वें सप्ताह से पहले गर्भ में भ्रूण की मृत्यु हो जाए,
तो उसे गर्भपात कहते हैं। इसे स्वत: गर्भपात भी
कहा जाता है। बहुत से लोगों को लगता है कि गर्भपात बहुत दुर्लभ स्थिति में होता है,
लेकिन ऐसा नहीं है।
कारण
-हार्मोनल असंतुलन
-रोग-प्रतिरोधक क्षमता या ब्लड क्लॉटिंग की
समस्या।
-थायरॉयड या मधुमेह जैसी समस्याएं।
-क्रोमोजोम असामान्यता
-गर्भाशय असामान्यताएं और असमर्थ सर्विक्स
-इम्यूनोलॉजी डिसऑर्डर
- पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम)
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