बुधवार, 13 नवंबर 2019

एक तिहाई लोगों को यह नहीं पता कि वह डायबटिक - हर तीसरे में डायबटीज की आशंका

वर्ल्ड डायबिटीज-डे आज



एक तिहाई लोगों को यह नहीं पता  कि वह डायबटिक  
हर तीसरे में डायबटीज की आशंका
 कुमार संजय। लखनऊ
संजय गांधी पीजीआइ के इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो.सुशील गुप्ता और प्रो.सुभाष यादव ने तमाम शोध के बाद कहा कि राजधानी के बुजुर्गों में हर तीसरे को डायबिटीज अपनी चपेट में ले रहा है। वहीं 20 से 70 वर्ष की कुल आबादी को मिला लें तो इस रोग से 9 प्रतिशत लोग जूझ रहे हैं। इनमें से एक तिहाई लोगों को पता ही नहीं होता कि वे डायबेटिक हैंजो डायबिटीज से जुड़ी कॉम्प्लीकेशन को और बढ़ा देती है। प्रो. सुभाष कहते है कि हमने शोध किया तो पाया कि 16 प्रतिशत नागरिकों का शुगर लेवल उन्हें डायबिटिक बताने के लिए काफी था। साथ ही सामने आया कि इनमें से एक तिहाई लोगों को यह नहीं पता था कि वे इस रोग से पीड़ित हैं।

दिल और किडनी की बीमारी का गहरा रिश्ता

संजय गांधी पीजीआइ के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सुदीप कुमार के मुताबिक डायबटीज नियंत्रित न होने पर दिल और किडनी की बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। देेखा गया है कि डायबटीज के साथ 10 से 12 साल जिंदगी गुजारने वाले 15 से 20 फीसदी लोग अनियंत्रित शुगर के कारण दिल औक कीडनी की बीमारी  के चपेट में आते है। फालो अप पर लगातार रहना चाहिए। 
     
क्या है डायबिटीज
प्रो.सुभाष यादव के मुताबिक  जो भोजन लेते हैं उसे हमारी पाचन ग्रंथियां पचा कर ऊर्जा और हमारी वृद्धि के लिए उपयोग करती हैं। इस प्रक्रिया में भोजन का अधिकतर हिस्सा टूट कर ग्लूकोज बनाता है। ग्लूकोज एक किस्म की शुगर है और यह हमारे शरीर के लिए ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है। यह ग्लूकोज हमारी रक्त में घुलकर कोशिकाओं तक पहुंचता है जिसका उपयोग कोशिकाएं करती हैं। लेकिन ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुंचाने के लिए इंसुलिन हार्मोन की जरूरत होती है जो पैंक्रियाज की बीटा सेल्स पैदा करती हैं। जब भी हम कुछ खाते हैं तो पैंक्रियाज यह इंसुलिन अपने आप जरूरी मात्रा में छोड़ती है। यही इंसुलिन शुगर कंट्रोलर की भूमिका अदा करता है। इंसुलिन को लेकर आई समस्या ही डायबिटीज का कारण होती है।

डायबिटीज टाइप
टाइप 1 : टाइप 1 डायबिटीज में पैंक्रियाज इंसुलिन बनाना पूरी तरह से बंद कर देता है। कुल डायबिटीज में यह करीब 10 प्रतिशत मामलों में है।
टाइप 2 : यहां इंसुलिन तो बनता हैलेकिन वह काफी कम होता है जो ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुंचाने के लिए काफी नहीं होता। 90 फीसदी डायबिटीज के मामले टाइप 2 के मिल रहे हैं।

  

इंसुलिन को बोझ नहीं मानें

 इंसुलिन लेने को पेशेंट्स बोझ मानने लगते हैं। ऐसा करना खतरे को बढ़ाता है। इसे जीवन भर के लिए अपनाना हैइसलिए गंभीरता से अपनाएं। जब शुगर का स्तर गोली से कंट्रोल नहीं होता तो हम लोग इंसुलिन देते है देखा गया कि तमाम लोग  बाद फिर गोली पर आ जाते है।  


बच्चों में बढ़ता मोटापा बढ़ा रहा रिस्क
प्रो. सुभाष यादव कहते है कि बच्चों में अब तक केवल डायबिटीज टाइप ही मिलता रहा है क्योंकि इसकी प्रमुख वजह अनुवांशिक होती है। लखनऊ में हर 10 हजार बच्चों में से एक में टाइप डायबिटीज पाया जा रहा है। लेकिन जैसे-जैसे बच्चों के खाने-पीने की आदतों में बदलाव आते जा रहे हैंउनमें मोटापा बढ़ रहा है और यही उन्हें डायबिटीज के रिस्क फैक्टर की ओर धकेल रहा है। 12 से 14 वर्ष की उम्र में बढ़ना शुरू हुआ मोटापा 20-22 की उम्र तक डायबिटीज में बदल रहा है।

आकंडे दे रहे है गवाही

-50  लाख लोग हर वर्ष दुनिया भर में डायबिटीज से मर रहे हैं
-40 करोड़ लोग डायबिटीज के साथ जी रहे हैं दुनिया मेंइनमें 7 करोड़ भारत में और 1.10 करोड़ यूपी में और 2.70 लाख लखनऊ में रह रहे हैं।
-225 खरब रुपये इसके इलाज पर दुनिया भर में लोगों को हर साल खर्च करने पड़ रहे हैं।
-10 हजार में से एक बच्चा डायबिटीज टाइप 1 का पेशेंट।
-12 से 14 वर्ष की उम्र में बढ़ते वजन की वजह से भी डायबिटीज टाइप 1 का रिस्क।

लक्षण : हो जाइए सजग अगर
-बार-बार पेशाब जाने की जरूरत महसूस होती है।
-अचानक वजन तेजी से घटने लगा है
-शरीर में एनर्जी की कमी महसूस हो रही है
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प्यास और भूख बहुत लगने लगी है

नाश्ते में पौष्टिकता का रखें ध्यान
पीजीआइ की पोषण विशेषज्ञ अर्चना सिन्हा और निरूपमा सिंह के मुताबिक 70 प्रतिशत टाइप-2 डायबिटीज के रोगी इसकी चपेट में आने से बच सकते थे सही खान-पान और नियमित व्यायाम की आदतें विकसित की होती। नाश्ते में फलहरी सब्जियांसाबुत अनाजमेवेमछलीअंडे का उपयोग बढ़ाएं। साथ ही भोजन में स्वाद के बजाय पौष्टिकता को महत्व दें।
क्या नहीं खाएं 
-स्वादिष्ट लगने वाली पेस्ट्रीनाश्ते में परोसे जाने वाले अधिकतर सीरियल्सफ्राइड फूडकोल्ड ड्रिंक्समीठा दहीआदि।

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