मंगलवार, 25 सितंबर 2018

एैक्लिशया कार्डिया -बिना चीरा ठीक होगी खाने की नली की चाल


पीजीआई देश का हला संस्थान जहां  स्थापित हुई पोयम तकनीक  
एैक्लिशया कार्डिया का इलाज के अब नहीं चलेगा नश्तर


संजय गांधी पीजीआई देश का पहला संस्थान हो गया है जहां बिना नश्तर चलाए इंडोस्कोपिक तकनीक से एकैल्शिया कार्डिया का इलाज संभव हो गया है। संस्थान के गैस्ट्रोइट्रोलाजी विभाग के प्रो. प्रवीर राय ने एकैल्शिया  कार्डिया के इलाज के लिए पर अोलर इंडोस्कोपिक मायोटमी( पोयम) तकनीक स्थापित की है। इस तकनीक के जरिए पांच  मरीजों को राहत देने के बाद प्रो. राय ने बताया कि  इस बीमारी के इलाज के लिए स्फिंटर का डायलटेशन( वैलूनिंग) किया जाता है लेकिन देखा गया कि मरीज को थोडे दिन तो राहत  मिलती है लेकिन 40 फीसदी मरीजों में दोबारा परेशानी होने लगती है। इस बीमारी के इलाज के लिए हैलेस मायोटामी सर्जरी की जाती  है जिसमें अोपेन या लेप्रोस्कोपिक तकनीक का इस्तेमाल सर्जन करते है। सर्जरी में चीरा लगने के साथ ही अस्पताल में रूकने का समय बढ जाता है ।  इलाज का खर्च भी अधिक है। सरजरी से इलाज में 1.5 लाख तक का खर्च आाता है। इस बीमारी से हर महीने संस्थान की अोपीडी में 10  से 12 मरीज अाते हैं।  

क्या है पोयम तकनीक    
 पोयम तकनीक में हम मुंह के जरिए इंडोस्कोप से खाने की नली में पहुंच कर म्यूकोसा से सब म्यूकोसा में पहुंच कर जगह बनाते है जिससे पूरी मांसपेशी नजर अाती है जिस पर चीरा लगा देते है। इसके साथ स्फिंटर पर चीरा लगा देते है जिससे खानी के नली की चाल काफी हद तक ठीक हो जाती है और स्फिंटर खुलने लगता है। इस तकनीक की सफलता दर 85 फीसदी तक है।    


क्या है एकैल्शिया  कार्डिया
एक्लेसिस कार्डिया की परेशानी में खानी ननली की मांस पेशियों की चाल गड़बड़ हो जाती है । खाने की नली और आमाशय को जोड़ने वाले स्थान पर लगा स्फिंटर समय से नहीं खुलता है जिसके कारण खाना और पानी पेट में नहीं जा पाता है। खाते ही उल्टी की परेशानी होती है। खानी की नली फूल जाती है। मरीज के वजन कम हो जाता है।   


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