सोमवार, 24 सितंबर 2018

पीजीआई बना देश का पहला संस्थान जिसका शोध बन रहा है नजीर

पीजीआई बना देश का पहला संस्थान जिसका शोध बन रहा है नजीर

दूसरे नंबर एम्स दिल्ली जिसके शोध बन रहे है नजीर

जितना अधिक साइटेशन उतनी अधिक गुणवत्ता


संजय गांधी पीजीआई इलाज की गुणव्ता के मामले में देश के बडे संस्थानों से बराबरी के बाद  शोधों की गुणव्ता के मामले में देश का पहला संस्थान बन गया है। शोध को  देश विदेश शोध वैज्ञानिक संस्थान के शोध को नजीर( साइटेशऩ) के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।  संस्थान के एक शोध पत्र को औसतन 12.2 साइटेशन मिला है जबकि एम्स दिल्ली के एक  शोध पत्र को औसतन 10.4 साइटेशन मिला है। इस तथ्य का जर्नल अफ एसोसिएशन अफ फिजिशियन आफ इंडिया( जापी) ने देश के दस बडे संस्थान में बीते साले में राष्ट्रीय , अंर्तराष्ट्रीय शोध पत्रों के साइटेशन का विश्लेषण करने के बाद किया है। शोध पत्रों के संख्या मामले में पीजीआई लखनऊ चौथे स्थान पर है। पहले स्थान पर एम्स दिल्ली है। दूसरे स्थान पर पीजीआई चंडीगढ़ है। तीसरे स्थान पर क्रिश्चियन मेडिकल कालेज वेल्लूर है। यह संस्थान पीजीआई लखनऊ के स्थापना से काफी पहले है स्थापित है जिसके कारण शोध पत्रों की संख्या अधिक है। पीजीआई लखनऊ से 6 हजार आठ सौ 74 शोध हुए है जिसे 83627 लोगों को बतौर रिफरेंस( साइटेशन ) इस्तेमाल किया।  एम्स दिल्ली से 29394 शोध हुए है जिसे 304929 शोध वैज्ञानिकों ने अपने शोध में बतौर रिफरेंस रखा है। इस तरह एक पेपर साइटेशन की दर 10.4 हुई जबकि पीजीआई लखनऊ की एक शोध का साइटेशन दर 12.2 है। संस्थान के संकाय सदस्य कहते है एेसा तब है जब हम लोग मरीजों को पूरा समय देने के साथ ही अतिरिक्त समय निकाल कर शोध के लिए समय देते हैं। 

शुरूअती पांच साल में शोध के मामले में उम्र के हिसाब से पीजीआई नंबर वन
एम्स दिल्ली ने 1950 में काम करना शुरू किया । शुरूअती पांच साल में केवल एक शोध हुआ। पीजीआई चंडीगढ़ 1963 में काम करना शुरू किया । शुरूआती पांच साल में 20 शोध। क्रिश्चियन मेडिकल कालेज वेल्लूर 1886 में काम करना शुरू किया शुरूअती पांच साल में कोई शोध नहीं। पीजीआई लखनऊ 1986 में काम करना शुरू किया शुरूआती पांच साल में 37 शोध हुआ। जिपमर पाडीचेरी 1966 में काम करना शुरू किया शुरूअती पांच  साल में 40 शोध । सबसे कम उम्र के पीजीआई लखनऊ ने शरूआती पांच साल में सबसे अधिक शोध किया।



किसी भी शोध को दुनिया के सामने शोध पत्र के जरिए रखा जाता है। शोध पत्र को नेशनल , इंटरनेशन मेडिकल जर्नल को भेजा जाता है जिसकी कमेटी कई मानकों पर जांच कर उसे स्वीकार करती है। किसी भी शोध पत्र को दूसरे जितने अधिक शोध वैज्ञानिक अपने शोध में उसे बतौर रिफरेंस शामिल करते है उतना ही शोध की महत्व का पता लगता है। हमारे संस्थान के शोध पत्रों का साइटेशन देश के टाप 4 में से नंबर वन है। यह संस्थान के लिए गर्व का विषय है जिससे हमारे संकाय सदस्यों ने हासिल किया है....निदशक प्रो.राकेश कपूर

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