शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

सत्ता के गलियारे में कैद में पीजीआई कर्मचारियों का भविष्य--संविदा पर तैनात नर्सेज को किया जाए समायोजित

सत्ता के गलियारे में कैद में पीजीआई कर्मचारियों का भविष्य
दो साल से चल रही है संवर्ग पुर्नगठन प्रक्रिया
कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी 




संजय गांधी पीजीआई के 20 से अधिक संवर्ग के कर्मचारियों का पुर्नगठन प्रक्रिया दो साल से चल रही है। पूरा खाका संस्थान की वेव साइट पर भी डाल दिया। इसके बाद भी 6 महीने से अधिक समय बाद इसे लागू नहीं किया किया गया जिससे संस्थान के कर्मचारियों में रोष है। कर्मचारी महासंघ(एस) की अध्यक्ष सावित्री सिंह ने संस्थान प्रशासन को पत्र लिख कर कहा है कि एक महीने के अंदर यदि इसे लागू नहीं किया जाता है तो हम लोग शांति पूर्ण अंदोलन के बाध्य होंगे। हम लोग मरीजों के हित मे कार्य बहिष्कार जैसे आंदोलन नहीं करना चाहते है लेकिन धैर्य की एक सीमा होती है। बताया जा रहा है कि संस्थान प्रशासन ने लगभग सभी संवर्ग का पुर्नगठन कर लिया है जिस पर शासन की अनुमति लेनी है । इस काम में 6 महीने से अधिक का समय लग चुका है। संस्थान निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने कैडर पुर्नगठन को प्राथमिकता के आधार पर शुरू कराया था जिसे पूरा भी किया गया लेकिन सत्ता के गलियारे में फाइल घूम रहीं है जिससे कर्मचारियों का भविष्य कैद हो गया है। इसके अलावा संस्थान की नियमावली 2011 में बदलाव की मांग की है।
संविदा पर तैनात नर्सेज को किया जाए समायोजित  


इंटक( इंडियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस)  ने पीजाई में परमानेंट पदों पर संविदा पर तैनात नर्सेज  को समायोजित करने की मांग की है। इंटक के महिला शाखा की जिला अध्यक्ष सावित्री सिंह ने संस्थान प्रशासन को पत्र लिख कहा है कि संस्थान में संविदा पर 250 नर्सेज काम कर रही है। अभी संस्थान में 450 नर्सेज की परमानेंट जगह निकली है इन्हें पहले समायोजित कर बाकी पदों पर चयन किया जाए। कहा कि संविदा पर तैनात नर्सेज सलेक्शन कमेटी के जरिए आयी है इसलिए दोबारा चयन प्रक्रिया में सामिल करने का कोई मतलब नहीं है। पहले से काम कर रही नर्सेज संस्थान के वर्क कल्चर में ढल चुकी है और बेहतर काम रही है। संस्थान प्रशासन ने वादा किया था  कि नियमित नियुक्ति में संविदा पर काम कर रहे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।  इसी तरह बाकी पदों पर भी समायोजन किया जाए।

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