बुधवार, 5 सितंबर 2018

पीजीआई की ओपीडी लिफ्ट में फंसे रहे दो घंटे मरीज और तीमरादार

पीजीआई की ओपीडी लिफ्ट में फंसे रहे दो घंटे  मरीज और तीमरादार  
 निकलने के बाद कहा बच गयी जान


संजय गांधी पीजीआई  की न्यू ओपीडी में बुधवार को करीब दोपहर लगभग 12 बजे अचानक बिजली जाने से सभी लिफ्ट थम गई । इससे लिफ्ट नंबर चार में सवार छह लोग फंस गए। ये लिफ्ट तीसरी और चौथी मंजिल की बीच मे रुक गई। लिफ्ट में फंसे लोगों के शोर मचाने पर मामले की जानकारी हुई। लिफ्ट का गेट तोड़कर देखा गया तो पता चला कि अंदर छह लोग फंसे हैं। तमाम कोशिश के बाद दो घंटे बाद इन लोगों को निकाला जा सका।  दो मंजिल के बीच मे लिफ्ट फंसी होने की वजह से  लोगों को हवा भी ठीक से नही मिलने की वजह से दम घट रहा है। लिफ्ट कंपनी अोटिस के पास लिफ्ट के मेंटीनेंस का भी काम है । कपंनी के कर्मी फंसे लोगों को बाहर निकालने की जद्दोजहद में लगे रहे। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह , सुरक्षा सदस्य अमर सिंह ने मौके पर पहुंच कर लिफ्ट के अंदर अाक्सीजन सिलेंडर से अाक्सीजन की अापूर्ति की जिससे इनका दम न घुटे।  लिफ्ट से निकलने के बाद विपिन, प्रेम कुमारी  ने कहा कि बच गयी जान।  अोपीडी की सारी लिफ्ट बारह बजे के बाद बंद होने क कारण मरीजों और तीमारदारों  को पांच मंजिले के भवन में चढ़ने और उतरने में काफी परशानी हुई।        
क्यों नहीं तुरंत निकाल सके फंसे लोगों को
बिजली जाने के बाद सारी लिफ्ट थम गयी थी । बिजली अाने के बाद बाकी लिफ्ट तो चल गयी लेकिन चार नंबर लिफ्ट बीच में ही क्यों फंस गयी ।  अमूमन लिफ्ट फंसने के बाद मैनुअल सिस्टम होता है जिससे लिफ्ट को चला कर खओल दिया जाता है लेकिन यहां पर लगी लिफ्ट पूरी तरह से  डिजिटल होने के कारण मैनुअल सिस्टम नहीं था । बिजली अाने के बाद शायद फंसे लोगों नो कोई बटल दबा दिया जिसके कारण फंस गयी। 
जनरेटर में नहीं था डीजल
मिली जानकारी के मुताबिक अोपीडी में लाइट के बैकअप के लिए जनरेटर लगा है लेकिन जनरेट में डीजल न होने के कारणयह चल नहीं पाया। जब लिफ्ट फंस गयी तब डीजल मंगा कर डाला गया। इंचार्ज की जिम्मेजारी होती है कि वह व्यवस्था देखे लेकिन इस मामले में लापवाही बरती गयी। जिसके कारण सात लोगों की जान अाफत में पड़ गयी।  
 
चाय व पानी दिया गया फंसे लोगों को
 करीब दो घंटे से लिफ्ट में फंसे लोगों को दरवाजा तोड़कर नीचे हिस्से से पानी व चाय दी गई। फंसे लोगों को बाहर मौजूद लोग सांत्वना दे रहे थे। लेकिन फंसे लोग चीख रहे थे कि जल्दी उन्हें बाहर निकाला जाय।

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