मातृशक्ति का महादान: ब्रेन डेड के बाद अंगदान से बचीं तीन जानें
सेवानिवृत्त जेसीओ की पत्नी ने अंतिम क्षणों में दिखाई मानवता की मिसाल
लखनऊ। रायबरेली रोड पर हुए सड़क हादसे में घायल हुई एक 60 वर्षीय महिला, जो सेवानिवृत्त जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) की पत्नी थीं, ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में तीन लोगों को जीवनदान देकर मानवता और मातृत्व की नई मिसाल पेश की।
दुर्घटना के बाद महिला को गंभीर स्थिति में कमांड अस्पताल (मध्य कमान), लखनऊ में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की अथक कोशिशों के बावजूद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद, उनके पति ने साहसिक निर्णय लेते हुए उनकी किडनी और लिवर दान करने का निर्णय लिया। इस फैसले से न सिर्फ तीन जिंदगियां बचीं, बल्कि समाज को अंगदान के महत्व का भी संदेश मिला।
कमांड अस्पताल लखनऊ ने सेना मुख्यालय नई दिल्ली तथा राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन के साथ मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। सोटो के संयुक्त निदेशक प्रो. आर. हर्षवर्धन और एसजीपीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. नारायण प्रसाद ने नेतृत्व किया।
इस अनुकरणीय समन्वय में मेडिकल टीम, सेना, यूपी पुलिस और भारतीय वायुसेना ने सक्रिय भूमिका निभाई। अंग प्राप्ति से पहले, 'सम्मान के क्षण' के तहत दिवंगत महिला को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
तीन अंग, तीन जीवन
-एक किडनी को कमांड अस्पताल में एक मरीज को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया।
-दूसरी किडनी को संजय गांधी पीजीआई में प्रो. नारायण प्रसाद, प्रो. एम.एस. अंसारी और प्रो. संजय सुरेखा की टीम ने प्रत्यारोपित किया।
-लिवर को भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से आर्मी हॉस्पिटल नई दिल्ली भेजा गया, जहां इसे दूसरे मरीज को नया जीवन देने के लिए प्रत्यारोपित किया गया।
प्रो हर्ष वर्धन ने कहा कि इस मानवीय प्रयास से न केवल तीन जीवन बचे, बल्कि उत्तर प्रदेश में अंगदान की जागरूकता को भी एक नई दिशा मिली। यह घटना अंगदान के प्रति सामाजिक सोच में बदलाव लाने की प्रेरणा बनेगी और मृतक अंगदान कार्यक्रम को नई गति प्रदान करेगी।

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