आई एल डी समय पर पहचान और इलाज है ज़रूरी
बढ़ रही है आई एल डी की बीमारी
पीजीआई में आई एल डी पर सी एम ई
फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर और जटिल बीमारी – इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़ (आई एल डी)– को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी जल्दी पहचान और समुचित प्रबंधन से मरीजों अच्छी ज़िंदगी दी जा सकती है। यह बीमारी फेफड़ों के ऊतकों को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, खांसी और थकान जैसी समस्याएं सामने आती हैं।आईएलडी एक ‘साइलेंट किलर’ की तरह काम कर सकती है अगर इसे नजरअंदाज किया जाए। ऐसे में जागरूकता, शुरुआती पहचान और समुचित इलाज ही इससे बचाव का एकमात्र रास्ता है। हर व्यक्ति का स्वास्थ्य उसका अधिकार है – और सांस लेना उसमें सबसे बुनियादी जरूरत।
परिवार में किसी को लंबे समय से खांसी या सांस की समस्या हो रही है, तो बिना देरी के पल्मोनरी विशेषज्ञ से संपर्क करें।
संजय गांधी पीजीआई में
आई एल डी पर आयोजित सीएमई में नवीनतम जांच विधियों और इलाज के तरीकों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में देशभर के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और बताया कि आईएलडी के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन आम लोगों और प्राथमिक चिकित्सकों में इसके प्रति जागरूकता अभी भी सीमित है।संस्थान से
पल्मोनरी विभाग की विशेषज्ञ एवं आयोजन करता
डॉ. मानसी गुप्ता ने बताया कि आईएलडी की शुरुआत आम खांसी-जुकाम जैसी लग सकती है, लेकिन यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती है। इसीलिए सही समय पर जांच और विशेषज्ञ की सलाह बेहद जरूरी है। केजीएमयू के पल्मोनरी विभाग के
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, केजीएमयू के डॉ. सूर्यकांत और डॉ. बी.पी. सिंह ने स्थानीय चुनौतियों और मरीजों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अनुभव साझा किया। सीएम का उद्घाटन निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान ने किया।
क्या है इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़
विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आलोक नाथ ने बताया कि आईएलडी एक समूह है कई बीमारियों का, जिसमें फेफड़ों के भीतरी हिस्से यानी इंटरस्टीशियम में सूजन और रेशेदार ऊतक (फाइब्रोसिस) बनने लगता है। इससे ऑक्सीजन का आदान-प्रदान प्रभावित होता है और मरीज को सांस की गंभीर तकलीफ हो सकती है। विशेषज्ञों ने बताया कि स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन स्टेरॉयड, एंटी-फाइब्रोसिस दवाएं, ऑक्सीजन थेरेपी और नियमित मॉनिटरिंग से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सही समय पर फेफड़ों की जांच, सीटी स्कैन, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट जैसे उपाय ज़रूरी है।
मुख्य लक्षण:
-लगातार सूखी खांसी
-सांस लेने में तकलीफ
-थकान और वजन में कमी
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