रविवार, 26 फ़रवरी 2023

अरे इसी कमरे में तो हम रहते थे कितना बदल गया है कैंपस- पीजीआई क्लीनिकल इम्यूलोजी विभाग का एलमुनाइ मीट

 






का स्थापना दिवस एवं एलुमनाई मीट


अरे इसी कमरे में तो हम रहते थे कितना बदल गया कैंपस


संजय गांधी पीजीआई के क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग का स्थापना दिवस एवं एलुमनाई मीट का आयोजन किया गया।  इस मौके पर विभाग के संस्थापक एवं संस्थान की नीव रही प्रो सीता नायक ने बताया कि कैसे यह विभाग बना।  उस समय यह देश का पहला विभाग था जो स्थापित हुआ था देश का पहला डीएम स्टूडेंट भी यही विभाग से निकला लेकिन विभाग को मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया से अनुमति नहीं मिला था।  इस अनुमति को पाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।  प्रो आर  एन मिश्रा ने बताया कि मरीज देखने के साथ मरीजों में बीमारी पता करने के लिए उस समय सब कुछ मैनुअल करना पड़ता था जांच को स्थापित करने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती थी आज ऑटोमेशन का जमाना आ गया सारी किट बनी बनाई आती है।  पहले सब कुछ लैब में तैयार करना पड़ता था।  डॉ बनवारी लाल शर्मा ,डॉ सज्जन, डॉ पाराशर घोष, डॉक्टर वैदेही, डॉक्टर सिनॉय, डॉअरुण गुप्ता, डॉ संदीप उपाध्याय, विभाग में बताएं पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि यहां का डीएम पाठ्यक्रम बहुत ही सामायिक था। हर तरह की नॉलेज दी जाती थी जिसका फायदा हमें आज मिल रहा है। । इस समय अमेरिका में रह रही डॉक्टर वैदेही 25 साल बाद संस्थान आई तो वह जिस हॉस्टल में रहती थी उसे देखने नहीं और हॉस्टल में पहुंचते ही कहा अरे इसी कमरे में तो हम रहते थे कितना सब कुछ बदल गया है लेकिन हॉस्टल की दीवार का रंग नहीं बदला वहां पर सेल्फी ली। डॉ वरुण धीर मैं अपने डीएम पाठ्यक्रम के दौरान तमाम यादों को ताजा किया विभाग की प्रमुख प्रो अमिता अग्रवाल ने बताया कि हम भी यहां के छात्र हैं यही से डीएम किया और यहीं पर फैकल्टी बन गई । आज भी यहां के सीनियर का अनुभव मेरे काम आ रहा है।  वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी रहे  ए के गुप्ता राजेश्वर दयाल ने बताया कि कैसे विभाग का  प्रशासनिक भवन में एक कमरे में शुरू हुआ था और आज विभाग में 4 बड़ी-बड़ी लैब है



एक बार फिर से पुराने साथियों को अपने पुराने दिनों को याद कर उनकी बाते कर अतीत को दोहराने का जो विशेष पल मिला वो अविस्मरणीय रहा, देश भर से आए डॉक्टर्स ने साझा किए संवाद लगभग सभी ने पीजीआई से ही डीएम की डिग्री हासिल की और अलग अलग प्रांतों में कार्यरत हैं तो किसी का खुद का अस्पताल चल रहा विभाग प्रमुख डॉक्टर अमिता अग्रवाल के अथक प्रयास से ऑर्गनाइज एल्यूमिनाई मीट में सभी साथियों ने खूब मस्ती की, डॉक्टर सीता नायक (से. नि.) हेड ऑफ डिपार्टमेंट ने अपनी यादों से जुड़े कुछ अनछुए पहलुओं पर लोगो का ध्यान आकर्षित किया जिसे सुनकर सभी स्तब्ध रह गए, बोल्ड एडमिनिस्ट्रेटिव के तौर पर मशहूर डॉक्टर नायक का भय संस्थान से लेकर शासन तक के आला अधिकारियों को भी था, उनकी बुलंद आवाज और बेबाकी आज भी वैसी ही है जैसी कि कभी हुआ करती थी, डॉक्टर आर. एन. मिश्र सर की सज्जनता और मिठास का तो कोई जवाब नहीं, वही अंदाज, बातों में चुटकी लेने की कला में महारथ, संजय द्विवेदी जी ने बताया कि किस प्रकार डॉक्टर राम नाथ ने उन्हें हाथ पकड़ कर लैब के कार्यों में दक्ष किया उन्होंने भरी महफिल में बताया कि कैसे एक ग्राम सॉल्यूशन को सौ ग्राम का घोल बनाया सभी ने लगाए ठहाके डॉक्टर मिश्रा को कभी ऊंची आवाज और गुस्सा करते कभी नहीं देखा और किसी से सुना, उन्होंने बताया कि डॉक्टर सीता नायक ने कैसे उनको सेफ किया जब बात प्रशासनिक कार्यवाही की आई ऐसी बहुतेरी बातों को सभी ने अपने अपने अंदाज में बयां किया, जिसे सुन माहौल भावविभोर हो उठा धूप में खेल का भी लुत्फ उठाया गया, डॉक्टर मिश्रा डॉक्टर कोशी सहित सभी ने मैदान पर गेंद और बल्ले के साथ खुब मस्ती भरे पल बटोरे अंत में गेस्ट हाउस में आयोजित लंच के साथ मीट का हुआ समापन, राजेश्वर दयाल आर के गुप्ता अरविंद श्रीवास्तव राजेश यादव रिजवान अजीत सुरेश गोविंद सुशील सहित तमाम कर्मचारीगण रहे उपस्थित ...........




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें