शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

बच्चे भी हो रहे है फैटी लिवर डिजीज के शिकार हर दसवां बच्चा मोटापे का शिकार


 





पीजीआई 

बच्चे भी हो रहे है फैटी लिवर डिजीज के शिकार

हर दसवां बच्चा मोटापे का शिकार

 मोटापे से ग्रस्त 50 फीसदी से अधिक बच्चों में फैटी लिवर की आशंका

जागरण संवाददाता। लखनऊ

अनियमित खानपानकम शारीरिक गतिविधि के

 कारण के बच्चे भी फैटी लिवर डिजीज के शिकार हो

 रहे है। हर दसवां बच्चा मोटापे का शिकार है।   संजय

 गांधी पीजीआई के बाल पेट रोग विशेषज्ञ प्रो. मोइनक

 सेन शर्मा ने संस्थान के हीपैटोलॉजी विभाग के

 स्थापना दिवस पर आयोजित सीएमई में बच्चों में फैटी

 लिवर डिजीज पर व्याख्यान देते हुए बताया कि

 बीएमआई( बॉडी मास इंडेक्स) 24 किलोग्राम

प्रति वर्ग मीटर से अधिक होने पर फैटी

 लिवर डिजीज की आशंका बढ़ जाती है

 । शोधों में देखा गया है कि इस

 बीएमआई वाले 58 से 60 फीसदी  बच्चे

 (5 से 18 आयु वर्ग ) फैटी लिवर डिजीज

 के शिकार है। इनमें लिवर एंजाइम बढ़

 जाता है। खास तौर पर फैटी लिवर

 डिजीज के शिकार बच्चों में एलीन

 ट्रांसमिनेज(एएलटी) बढ़ा होता है।

 मोटापे की वजह से इनमें कोलेस्ट्रॉल

 बढ़ने के कारण  की मात्रा बढ़ने के

 कारण दिल की बीमारी की आशंका बढ़

 जाती है।  जल्दी डायबिटीज की

आशंका बढ़ जाती है। प्रो. मोइनक ने

 बताया कि यह बीमारी खुद की देन है।

 बच्चों को क्या खिला रहे है यह देखने की

 जरूरत है। फास्ट फूड सबसे बडा

 दुश्मन है। कोरोना काल के बाद बच्चों

 में मोटापा का प्रतिशत 1.5 गुना बढ़ा है ।

मेदांता के पेट रोग विशेषज्ञ डा. अभय

 वर्मा ने बताया कि अल्कोहल

, हेपेटाइटिस सी एवं बी वायरस का

 संक्रमण  लिवर का सबसे बड़ा दुश्मन है। 

  

इम्यून सिस्सटम लिवर पर करने लगता है हमला

पेट रोग विशेषज्ञ प्रो. समीर मोहिंद्रा  ने

 बताया कि  इम्यून हेपेटाइटिस  ऐसी

 बीमारी है, जिसमें किसी अज्ञात कारणों

 से लिवर में क्रोनिक सूजन होने लगती

 है। ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस की समस्या

 होने पर मरी ऑटोइम्यून हैपेटाइटिस के

 निदान के लिए जांच जरूरी है। अगर

 लीवर एंजाइम में बढ़ोतरी होती है, तो

 इसका पता रक्त जांच से चल जाता है।

 इसके अलावा अन्य रक्त परीक्षणों के

 द्वारा एंटी-स्मूद मसल एंटीबॉडी

, एंटीन्यूक्लियर फैक्टर एंटीबॉडी और

 एंटी एलकेएम एंटीबॉडी की जांच की

 जाती है। रक्त में इम्युनोग्लोब्युलिन जी

 का स्तर बढ़ सकता है।  पुष्टि के लिए

 लिवर बायोप्सी भी की जा सकती है।

  

क्या है फैटी लिवर डिजीज

लिवर की कोशिकाओं में जब ज्यादा

 मात्रा में फैट इकट्ठा हो जाता है तब फैटी

 लिवर की प्रॉब्लम होती है। लिवर में

 थोड़ी-बहुत मात्रा में फैट का होना नॉर्मल

है लेकिन जब ये फैट लीवर के वजन से

 10 प्रतिशत ज्यादा हो जाए तो स्थिति

खराब होने लगती है। इससे लिवर के

 काम करने की क्षमता प्रभावित होती है।

 

कैसे पाएं निजात

वर्तमान मेंफैटी लिवर के इलाज के लिए

कोई दवा नहीं है। प्रारंभिक फैटी लिवर

 आमतौर पर आहार परिवर्तनवजन

घटानेव्यायाम से  निजात पाया जा

 सकता है। अधिक फाइबर युक्त

आहार, कम वसा और कार्बोहाइड्रेट

युक्त आहार शामिल कराएं।   

फाइब्रोस्कैन या अल्ट्रासाउंड से लगता है पता

फैटी लिवर का  आमतौर पर रुटीन

 चेकअप के दौरान पता चलता है।

    अल्ट्रासाउंड स्कैन लिवर में फैट दिखा

 सकता है।  लिवर का रक्त परीक्षण

 सामान्य नहीं होता है तो यह परीक्षण

 कराया जाता है ।  फाइब्रोस्कैन” टेस्ट

 से भी फैटी लिवर का पता लगता है।

 








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