पीजीआई रेडियोडायग्नोसिस विभाग का स्थापना दिवस समारोह
ब्रेन ट्यूमर की स्थिति और प्रकृति का पता लगाने में फंक्शनल एमआरआई कारगर
पीजीआई लगेगा थ्री टेस्ला एमआरआई काफी पहले लगेगा परेशानी का पता
24 घंटे इमरजेंसी मरीजों के लिए जांच सुविधा उपलब्ध
ब्रेन ट्यूमर कई तरह के होते है किस तरह का ट्यूमर किस हद तक सर्जरी सफल रहेगी यह पता लगाने में फंक्शनल एमआरआई काफी कारगर है। सर्जरी के बाद मरीजों को कीमोथेरेपी दी जाती है जिससे दोबारा आशंका ट्यूमर होने की कम होती है। फंक्शनल एमआई के जरिए दवा का कितना प्रभाव हो रहा है यह जानना संभव हो गया है। संस्थान में एमआरआई को स्थापित करने वाले विभाग के पूर्व प्रमुख रहे मेंदाता के एमआरआई निदेशक प्रो. आरके गुप्ता ने बताया कि टेम्पोरल ब्रेन ट्यूमर में नई विधा पर विशेष व्याख्यान संस्थान के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के 38वें स्थापना दिवस पर देते हुए बताया कि ब्रेन ट्यूमर दिमाग के किसी भी हिस्से में हो सकता है। ट्यूमर की सही स्थिति जाने बिना सर्जरी संभव नहीं होती है। किस तकनीक से सर्जरी करनी है, यह भी काफी हद ट्यूमर के स्थिति पर निर्भर करता है। ट्यूमर कैंसर युक्त या सामान्य है, यह भी एमआरआई स्पेक्ट्रोस्कोपी से जानना संभव होता है। कैंसर युक्त ट्यूमर है तो किस तरह का कैंसर है यह भी जनाना संभव हो गया जिसके आधार पर इलाज की दिशा तय की जा सकती है। विभाग की प्रमुख प्रो. अर्चना गुप्ता ने बताया कि थ्री टेस्ला की एमआरआई स्थापित करने जा रहे है जिससे लक्षण आने से पहले ही शुरूआती दौर में बीमारी को पकड़ना संभव होगा। इस क्षमता से एमआरआई करने पर काफी स्पष्ट इमेज मिलती है। निदेशक प्रो.आरके धीमन ने बताया कि हाई क्वालिटी का सीटी स्कैन और एडवांस टेक्निक अल्ट्रासाउंड मशीन स्थापित करने जा रहे है इससे मरीजों को काफी फायदा होगा। वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी सरोज वर्मा ने बताया कि 1986 में आज ही के दिन पहला एक्स-रे हुआ था जिसके बाद विभाग में लगातार सुविधाएं बढ़ती गई। रोज हम लोग 700 से अधिक मरीजों में विभिन्न रेडियोलाजिकल परीक्षण कर रहे है जिसमें अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एमआरआई, इंटरवेंशन ट्रीटमेंट, डिजिटल एंजियोग्राफी सहित कई जांच और इलाज कर रहे हैं। विभाग के प्रमुख ने बताया कि इमरजेंसी के लिए 24 घंटे सरी जांच की सुविधा उपलब्ध है।
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