स्ट्रोक संबंधित निमोनिया को काफी पहले भांप लेगा ए2डीएस2 स्कोर
82 फीसदी संवेदनशील है नया पैमाना
स्ट्रोक ग्रस्त एक तिहाई में 2 से सात दिन में होता है निमोनिया
कुमार संजय। लखनऊ
स्ट्रोक बडा बीमार करने और मृत्यु का बडा कारण है। भारत में महमारी के रूप में साबित हो रहा है। स्ट्रोक मृत्यु दर का दूसरा प्रमुख कारण है। भारत में विभिन्न अध्ययनों से पता चला कि स्ट्रोक की स्ट्रोक का हर प्रति एक लाख में 107 लोग हर साल शिकार होते हैं। स्ट्रोक के बाद निमोनिया एक बडा परेशानी का कारण बनता है। देखा गया कि स्ट्रोक संबंधित निमोनिया एक तिहाई स्ट्रोक के रोगियों में हुआ। एक महीने के भीतर तीन गुना मृत्यु दर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। यह मुख्य रूप से बीमारी की शुरुआत के बाद 2 से 7 दिनों के भीतर प्रकट होता है।
ऐसे हुआ शोध
विशेषज्ञों ने निमोनिया की आशंका भापने के लिए एक विशेष पैमाना तैयार किया जिसे ए2डीएस2 नाम दिया है। इस पैमाने में स्कोर (उम्र, अलिंद फैब्रिलेशन( हार्ट रेट) , डिस्पैगिया(निगलने में परेशानी) , सेक्स और स्ट्रोक की गंभीरता को शामिल किया है। विशेषज्ञों ने इस पैमाने पर 46 स्ट्रोक के मरीजों में निमोनिया की आशंका का देखने के बाद कहा है कि यह पैमाना स्ट्रोक एसोसिएटेड निमोनिया की भविष्यवाणी करने में 82 फीसदी तक हाई सेंसटिव ( सटीक) है। राम मनोहर लोहिया संस्थान के डा. एल व्यास, डा. दिनकर , डा. प्रदीप, डा. अजय सिंह , डा. अब्दुल और डा. अनुपम ठक्कर ने ए2डीएस2 स्कोर टू प्रिडिक्ट द रिस्क आफ स्ट्रोक एसोसिएटेड निमोनिया इन एक्यूट स्ट्रोक विषय पर शोध किया जिसे जर्नल आफ न्यूरोसाइंस इन रूरल प्रैक्टिस ने स्वीकार कर करते हुए काफी उपयोगी बताया है। विशेषज्ञों ने स्ट्रोक के 250 मरीजों पर शोध किया जिसमें इस्केमिक और रक्तस्रावी दोनों तरह के स्ट्रोक के मरीजों को शामिल किया गया। देखा कि इनमें 46 मरीजों में निमोनिया हुआ। पैमाने( स्कोर) को दो भागों में विभाजित किया गया तो देखा कि स्ट्रोक की गंभीरता उच्च (5-10) और कम (0–4) था। अधिकांश रोगियों में उच्च स्कोर के साथ निमोनिया विकसित हुआ।
उम्र और अस्पताली संक्रमण है बड़ा कारण
संजय गांधी पीजीआई के न्यूरोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो.सुनील प्रधान कहते है कि उम्र के साथ निमोनिया की परेशानी बढ़ती गयी । अभी तक स्ट्रोक के रोगियों में निमोनिया की भविष्यवाणी करने के एक्यूट इस्केमिक स्ट्रोक-एसोसिएटेड न्यूमोनिया स्केल, पूर्णांक-आधारित न्यूमोनिया स्कोर और एसीसीडी4 को इस्तेमाल किया जाता है। एसएपी के कारणों में सबसे अधिक हास्पिटल एक्वायर्ड इंफेक्शन है। बेडसाइड स्क्रीनिंग और डिस्फेगिया की शुरुआती पहचान ने स्ट्रोक के रोगियों में निमोनिया की घटनाओं को काफी कम कर दिया
क्या है स्ट्रोक का कारण
पीजीआइ के ही न्यूरोलाजिस्ट प्रो. संजीव झा कहते है कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, उपापचयी(मेटाबोलिक) सिंड्रोम, मोटापा, डिस्लिपिडेमिया, धूम्रपान, तम्बाकू सेवन, आलिंद फिब्रिलेशन(हार्ट रेट में बदलाव) , आहार में फल और हरी सब्जियों की कमी और गतिहीन जीवन शैली हैं। स्ट्रोक प्रबंधन में कारक, तीव्र स्ट्रोक देखभाल और स्ट्रोक से बचे लोगों में दीर्घकालिक पुनर्वास का नियंत्रण शामिल है।
निमोनिया के आलावा यह होती है स्ट्रोक के बाद परेशानी
पीजीआइ की न्यूरोलाजिस्ट प्रो. विनीता कहती है कि पोस्टस्ट्रोक रोगियों में चिकित्सीय जटिलताओं में मुख्य रूप से निमोनिया, मूत्र मार्ग में संक्रमण, कार्डियक डिसफंक्शन, डिस्पैजिया, उच्च रक्तचाप, हाइपरथर्मिया, डीप वेन थ्रम्बोसिस, पल्मोनरी एम्बोलिज्म, बेडसोर, पोस्ट स्ट्रोक अवसाद सहित कई परेशानी होती है जो और बीमार बनाती है।
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