शनिवार, 31 अगस्त 2019

पीजीआइ दीक्षा समारोह---टीबी ग्रस्त बच्चों को गोद लेने का राज्यपाल ने किया आह्वाहन


दीक्षा समारोह में राज्यपाल ने टीबी से पीड़ित बच्चों को गोद लेने का किया आह्वान

पीजीआइ के 147 छात्रों को डिग्री, तीन को विशिष्ट अवॉर्ड

 देश से टीबी का मर्ज मिटाने के लिए पोलियो की तरह अभियान चलाना पड़ेगा। सिर्फ बोलने से भारत टीबी मुक्त नहीं होगा। मैं जो खुद करती हूं, वही करने को कहती हूं। मैंने टीबी से पीड़ित बच्चों को गोद लिया है। इसलिए सभी से अनुरोध है कि वे भी टीबी से पीड़ित बच्चों को गोद लें।
संजय गांधी पीजीआइ के 24वें दीक्षा समारोह में संस्थान की कुलाध्यक्ष व राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने ये बातें कहीं। उन्होंने डॉक्टरी पेशे की मौजूदा समस्याओं पर भी गहरी चिंता व्यक्त की। इस अवसर पर संस्थान के विभिन्न कोर्सो के 147 छात्रों को डिग्री दी गई तथा तीन को विशिष्ट अवॉर्ड दिया गया।
डॉक्टर बनने के बाद दो साल गांव में करें काम : राज्यपाल ने कहा कि डॉक्टर बनाने में राज्य सरकार का काफी पैसा निवेश होता है, लेकिन देखा गया है कि डॉक्टर बनने के बाद लोग अपना अस्पताल खोल लेते हैं। कॉपरेरेट अस्पताल में चले जाते हैं या विदेश में बस जाते हैं। हालत यह है कि पीएचसी, सीएचसी पर डॉक्टर नहीं हैं। जहां पर महिला का प्रसव होता है वहां स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं होती। नर्स प्रसव कराती है। दृढ़ निश्चय करना होगा कि डॉक्टर बनने के बाद दो साल गांव में काम करना ही है।
बदलेगा शिक्षा और चिकित्सा का दृश्य : राज्यपाल ने कहा कि संस्थान के दीक्षा समारोह में मैंने कहकर स्कूली बच्चों को बुलवाया, जिससे वे ऐसे बड़े आयोजन देख सकें। कहा कि देश की आबादी के अनुसार चिकित्सा का विस्तार होना चाहिए। देश-प्रदेश में नए मेडिकल कॉलेज खुल रहे हैं। इससे शिक्षा और चिकित्सा का दृश्य बदलेगा। संस्थान के अध्यक्ष एवं मुख्य सचिव डॉ. अनूप चंद्र पांडेय और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश दूबे ने कहा कि इमरजेंसी मेडिसिन के अलावा कई और सुविधाएं यहां स्थापित हो रही हैं।

निदेशक गोद लें 15 गांव: राज्यपाल ने संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश कपूर से कहा कि वे 15 गांव गोद लेकर वहां काम करें। इस पर प्रो. कपूर ने कहा कि चिकित्सा शिक्षा मंत्री जिन गांवों को गोद लेंगे, उनमें वह पूरी सहभागिता करेंगे। चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्यपाल ने जो कहा है, वह सुझाव विचारणीय है।

कोशिश होगी हर मरीज को मिले बेड : चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि संस्थान में बेड की किल्लत रहती है। संस्थान निदेशक लगातार बेड बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे रेफर होकर आने वाले मरीजों को वापस नहीं जाना पड़ेगा। पहले हमारे नाम से मरीज भर्ती हो जाते थे, लेकिन अब इतनी भीड़ है कि इमरजेंसी में भी दो दिन में बेड नहीं मिल पा रहा है।

इमरजेंसी मेडिसिन विभाग जून 2020 में होगा शुरू: निदेशक प्रो. राकेश कपूर ने कहा कि दिसंबर के अंत में इमरजेंसी मेडिसिन का भवन तैयार हो जाएगा। जून 2020 तक इसका संचालन संकाय सदस्य, पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था के साथ शुरू करने का लक्ष्य है। इसमें 250 बेड होंगे, जिससे कई तरह की इमरजेंसी स्थिति में इलाज संभव होगा। लिवर ट्रांसप्लांट संस्थान में हो रहा था, लेकिन इधर कुछ समय से रुका है।
 केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन भी पहुंचे
पीजीआइ के दीक्षा समारोह में शनिवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की। इस दौरान चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना, मंत्री संदीप सिंह भी मौजूद रहे ’ जागरण
हर्षवर्धन को अचानक जाना पड़ा दिल्ली
इससे पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन शनिवार सुबह संस्थान पहुंचे। यहां उन्होंने आइसीयू, डायलसिस यूनिट सहित अन्य सेवाओं का जायजा लिया। लेकिन, किसी कार्यवश उन्हें तुरंत वापस दिल्ली लौटना पड़ा। जाने से पहले उन्होंने अपने शुभकामना संदेश की वीडियो रिकॉर्डिग कराई, जिसे छात्रों और शिक्षकों को सुनाया गया। अपने संदेश में उन्होंने डिग्री पाने वाले छात्रों को बधाई दी और कहा कि आवश्यक बैठक के कारण वापस जाना पड़ रहा है। डॉक्टरों पर काफी सामाजिक जिम्मेदारी है। वे ईमानदारी, एथिक्स और अच्छे व्यवहार के साथ काम करेंगे तभी सफल होंगे।

इनको मिला सम्मान
दीक्षा समारोह में 34 डीएम, 18 एमसीएच, 22 एमडी, 6 पीएचडी, 28 पीडीसीसी, 6 एमएचए, 33 को बीएससी नर्सिग की डिग्री राज्यपाल ने दी। कुल 147 छात्रों को डिग्री मिली। इनके आलावा न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. संजय बिहारी को प्रो. एसआर नाइक आउटस्टैंडिंग रिसर्च, क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग के डीएम छात्र डॉ. सुब्रत आर्या को प्रो. एसएस अग्रवाल और प्रो. आरके शर्मा बेस्ट स्टूडेंट अवॉर्ड, न्यूरो सर्जरी के एमसीएच छात्र डॉ. कृष्ण कुमार को प्रो. आरके शर्मा बेस्ट एमसीएच स्टूडेंट अवॉर्ड प्रदान किया गया। इस अवसर पर सम्मान पाकर विद्यार्थियों के चेहरे खुशी से खिल उठे।
संस्थान में इस साल के आंकड़े
’एक लाख 14 हजार नए मरीजों का पंजीकरण
’पांच लाख छह हजार मरीजों का फॉलोअप
’1,252 बेड पर 55 हजार मरीज भर्ती हुए
’13 हजार मेजर सर्जरी
’34 एकेडमिक विभाग
’242 संकाय सदस्य


शुक्रवार, 30 अगस्त 2019

शुरू होगा ट्रामा में एमसीएच नियोनेटल में होगी सुपरस्पेशिएल्टी की पढाई - न्यूरो सर्जन प्रो. संजय बिहारी, छात्र डा. सुव्रत और डा. कृष्णा को विशेष पुरस्कार


पीजीआइ का दीक्षां समारोह आज
शुरू होगा ट्रामा में एमसीएच
नियोनेटल में होगी सुपरस्पेशिएल्टी की पढाई 

  

संजय गांधी पीजीआइ ने पोस्ट डाक्टरल सार्टीफिकेट कोर्स पाठक्रम का समय अवधि एक साल से बढा बढा कर दो साल करने का निर्णय लिया है। इससे छात्रों को और अधिक विशेषज्ञता हासिल होगी। यह जानकारी संंस्थान के निदेशक प्रो. राकेश कपूर, डीन प्रो.एसके मिश्रा, रजिस्ट्रार प्रो.सोनिया नित्यानंद ने संस्थान के 24 वें दीक्षांत समारोह के पूर्व पत्रकार वार्ता में दिया। बताया कि नियोनेटल में दो सीट डीएम, गैस्ट्रो सर्जरी में 4 सीट एमसीएच, रेडियोथिरेपी में चार एमडी और एनेस्थेसिया में 14 सीट एमडी का बढाया है । इससे देश में विशेषज्ञों की संख्या बढेगी। इसके आलावा एमसीएच ट्रामा शुरू की योजना पर काम हो रहा है। यह जैक आफ आल ट्रेड होंगे क्योंकि  यह हर तरह की सर्जरी कर सकेंगे। प्रो. कपूर ने बताया कि हमारा जोर संस्थान को इस्टीट्यूट आफ एमीनेंस घोषित कराने पर रहेगा। इससे संस्थान के केंद्र सरकार से पैसा मिलेगा जिससे संस्थान का और विकास संभव होगा। नेशनल रैकिंग में संस्थान उत्तर भारत का तीसरा और देश का चौथा संस्थान हासिल कर चुका है। समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्ष वर्धन आ रहे है उनसे आग्रह करेंगे कि वह संस्थान के विभागों के देख कर आकलन करें जिससे दर्जा मिल सके। दीक्षांत सामोरह में 6 पीएचडी, 34  डीएम, 18 एमसीएच, 22 को एमडी और पीडीसीसी, 6 मास्टर आफ हास्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन डिग्री दी जाएगी इसके आलावा 33 बीएससी नर्सिग छात्रों को डिग्री प्रदान की जाएगी। समारोह में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के आलावा कई अधिकारी भाग लेंगे।             




प्रो. संजय बीहारी को प्रो.एसआर नायक आउट स्टैडिंग एवार्ड
सुपर स्पेशिएल्टी में स्पेशिएल्टी के जरिए संभव होगी सफल न्यूरो सर्जरी 

प्रो.एसआर नायक एवार्ड पाने वाले न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. संजय बीहारी का क्रेनियल वर्टीब्रल जंक्शन के ट्यूमर, जंक्शन में बनावटी खराबी, स्कल बेस ट्यूमर, एन्यूरिज्म, ब्रेन ट्यूमर की मिनिमल इनवेसिव सर्जरी सहित अन्य ब्रेन की सर्जरी की तकनीक स्थापित किए। इन तकनीको पर  पर तीन सौ से अधिक शोध है। सात किताब के आलावा सौ से अधिक बुक चैप्टर है।   पचास से अधिक एवार्ड, फेलोशिप मिल चुका है। प्रो. बीहारी कहते यह सब उपलब्धि बिना रेडियोलाजिस्ट, पैथोलाजिस्ट, न्यूरोलाजिस्ट, एनेस्थेसिया विशेषज्ञ, स्टाफ नर्सेज, उपकरण, रेजीडेंट डाक्टर और साथी संकाय सदस्य, संस्थान प्रशासन के बिना संभव नहीं था। 1992 में संस्थान में रेजीडेंट  के रूप में ज्वाइन किया। एमसीएच करने के बाद 1996 में यही संकाय सदस्य के रूप में ज्वाइन किया। अभी तक 7 हजार पांच सौ से अधिक  न्यूरो सर्जरी कर चुके है।   स्पेशिएलटी के रूप में प्रो. अवधेश जायसवाल स्कल बेस, प्रो. अरूण कुमार श्रीवास्तव मिनिमल इनवेसिव और स्पाइन सर्जरी, प्रो.अनंत मेहरोत्रा एपीलिप्सी, प्रो. जायस सरधारा मिनिमल इनवेसिव, प्रो. कमलेश सिंह बैसवारा वेस्कुलर सर्जरी, प्रो. वेद प्रकाश मौर्य स्टीरियोटेक्सी, प्रो. कुतंल दास ब्रेन ट्यूमर, प्रो. पवन वर्मा मूवमेंट डिसआर्डर पर सर्जरी शुरू करने जा रहे हैं। प्रो. अमित केशऱी और प्रो. रवि शंकर न्यूरो ओटोलाजी में विशेषज्ञता स्थापित किए।  यह मेरी और मेरे विभाग की सबसे बडी उपलब्धि है।  यह एवार्ड पिठले दस साल में शोध सहित अन्य उपलब्धियों के आधार पर किसी  एक संकाय सदस्य को दिया जाता है।   


 क्लीनिकल इम्यूनोलाजी के डा. सुव्रत को प्रो.एसएस अग्रवाल और प्रो,आरके शर्मा एवार्ड

क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के डा. सुव्रत आर्य को छिपे टीबी बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए नई तकनीक की शोध के लिए ऐवार्ड दिया गया। वह इस समय इंग्लैंड में फेलोशिप पर गए है । विभाग के प्रमुख  प्रो.आरएन मिश्रा ने बताया कि इस तकनीक में रक्त के टी सेल का रिस्पांस देखा जाता है।  अभी तक शरीर में बैक्टीरिया छिपे होने का पता लगाने के लिए पीपीडी( मांटेक्स ) टेस्ट किया जाता है लेकिन इससे केवल 50 से 60 फीसदी लोगों में छिपे संक्रमण का पता लगता है लेकिन टी  सेल रिसपांस स्टडी से 97 फीसदी तक छिपे बीक्टीरिया का पता लगा कर समय पर इलाज शुरू कर समाज को संक्रमण से बचाया जा सकता है। हर व्यक्ति में टीबी का बैक्टीरिया छिपा है देखा गया शरीर का इम्यून सिस्मटम कमजोर होने के सा 10 फीसदी से अधिक लोग दो से पांच साल बीमारी के लक्षण आने लगते है। इस शोध से लक्षण आने से पहले इलाज कर आंगों को बचाया जा सकता है। 

न्यूरो सर्जरी के डा. डी कृष्णा कुमार को प्रो.आरके शर्मा  बेस्ट एमसीएच स्टुडेंट एवार्ड

ट्राइजेमल न्यूरालजिया का कारण बनता नर्व को दबाने वाली नस

न्यूरो सर्जरी विभाग के डा. कृण्णा कुमार को इस साल बेस्ट एमसीएच स्टुडेंट एवार्ड मिला है। डा. कृण्णा के तीन साल में सात रिसर्च पेपर है। इसके आलावा एमसीएच के फाइनल एक्जाम में सबसे अधिक अंक प्राप्त किए है जिसके लिए इन्हें एवार्ड मिला। डा. कृष्णा ने बताया कि ट्राइजेमल न्यूरालजिया में गले के ऊपर स्थित नर्व के ऊपर नस के दबाव से गाल , जबडे के किसी हिस्से में असहनीय दर्द होता है। हम लोग नस और नर्व के बीच में टेफलाल लगा देते है जिससे दर्द खत्म हो जाता है कई बार इस सर्जरी के बाद भी दर्द नहीं खत्म होता है ऐसे में कारण पता करने के लिए शोध किया तो पता चला कि नर्व के कुछ दूसरे नसे चिपकी रहती है जिसके कारण दर्द होता है। अभी तक इन नसों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इसके आलावा रीढ की हड्डी के निचले हिस्से में बनावटी खराबी के कारण फोडा हो जाता है जिसे मैनिगोमाइसील कहते है । कई बार फोडे की सर्जरी के बाद भी वहां पर नस छिपकी रहती है जिसके कारण आगे चल कर पैर में कमजोरी आ जाती है। इसका पता लगाने के लिए एमआरआई किस स्थित में किया जाए यह पता डा. सवेश सिंह के साथ मिल कर लगाया। 

बिना चीरा लगाए सामान्य किया दिमाग में ब्लड सप्लाई


बिना चीरा लगाए सामान्य किया दिमाग में ब्लड सप्लाई
रोड एक्सीडेंट से चलते दिमाग न जा कर आंख में जा रहा था खून


22 वर्षीय केशव रोड एक्सीडेंट का शिकार हुए।  जान बच गयी । बाकी परेशानी ठीक हो गयी लेकिन  कुछ दिनों के बाद आंख में सूजन, लाली, आंख में दबाव की परेशानी होने लगी। कई डाक्टरों को दिखाया। परेशानी बढ़ती गयी। एक डाक्टर ने सलाह दिया कि वह संजय गांधी पीजीआइ के इंटरवेशन रेडियोलाजी विभाग में दिखा ले। इंटरवेशन रेडियोलाजिस्ट प्रो. विवेक सिंह और प्रो.सूर्या नंदन ने सीटी परीक्षण कर देखा तो पता चला कि रोड एक्सीडेंट में सिर पर चोट के कारण दिमाग को रक्त सप्लाई करने वाली रक्त वाहिक( आर्टरी)  केवरनस साइनस रक्त वाहिका से जुड़ गयी है। इसे डाक्टरी भाषा में कैरोटेड केवरनेस फेस्चुला कहते हैं। इसके कारण दिमाग में रक्त सप्लाई कम हो कर आंख की रक्त वाहिकाओं में रक्त सप्लाई हो रही है। जो परेशानी का कारण है। बिना चीरा लगाए इंटरवेशन तकनीक से ठीक किया । सिर में चोट लगने या अन्य कारणों से यदि आंख में लाली , सूजन, आंख में दबाव महसूस हो तो यहां पर सलाह लिया जा सकता है। इलाज के तुंरत बाद सुधार देखने को मिला जो आगे और ठीक हो जाएगा। 

इंडो वेस्कुलर इंटरवेशन तकनीक से बची आंख की रोशनी
विशेषज्ञों ने दिमाग ब्लड सप्लाई सामान्य करने के लिए इंडो वेस्कुलर इंटरवेशन तकनीक के जरिए  जांघ के पास स्थित फीमोरल आर्टरी से दिमाग में स्थित उस नस के पास पहुंचे जहां पर फेस्चुला बना था।  क्वायल लगाकर आंख में रक्त सप्लाई को बंद किया जिससे दिमाग रक्त सप्लाई सामान्य हो गयी। आंख की सूजन कम हो गयी। प्रो. सूर्या नंदन ने बताया कि इस प्रोसीजर में रेजीडेंट डा.सुजीत, डा. शशांक , इंटरवेशन रेडियो टेक्नोलाजिस्ट सरोज वर्मा, शिवम यादव का विशेष सहयोग रहा। लंबे समय तक आंख की ब्लड सप्लाई न बंद होने पर आंख  की रोशनी चली जाती। 

यह परेशानी तो यहां ले सलाह
- आंख में लाली
- सूजन
- आंख में दबाव महसूस हो 


शुक्रवार, 23 अगस्त 2019

पीजीआई नर्सेज एसोसिएशन करेगा विरोध प्रदर्शन - आउट सोर्स नर्स को मिल रहे कम वेतन और समायोजन न होने से आक्रोश

पीजीआई नर्सेज एसोसिएशन करेगा विरोध प्रदर्शन   


आउट सोर्स नर्स को मिल रहे कम वेतन और समायोजन न होने से  आक्रोश

 संजय गांधी पीजीआइ नर्सेज एसोसिएशन 26 अगस्त को आउट  सोर्सिग नर्सेज को रेलवे, आईसीएमआर में तैनात संविदा, अल्प कालिक नर्सेज के समान वेतन , आउट सोर्स वंद करने एवं पहले तैनात आउट सोर्स के समायोजन की मांग को लेकर एक घंटे का सांकेतिक विरोध प्रदर्शन करेगा। एसोसिएशन की अध्यक्ष सीमा शुक्ला और महामंत्री सुजान सिंह के मुताबिक संस्थान में पांच सौ से अदिक आउट सोर्स नर्सेज  तैनात है लेकिन इनको वेतन देश में सबसे कम मिल रहा है। केंद्र सरकार के नए कानून के तहत न्यून्तम ( अन स्किल्ड) का वेतन 18 हजार तय किया गया है लेकिन हमारे संस्थान में यह लागू नहीं किया जा रहा है। बताया कि आल इंडिया गवर्नमेंट नर्सेज फडरेशन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से मांग किया था कि आउट सोर्स नर्सेज बंद किया जाए जिस पर मंत्रालय के निदेशक ने सहमति जताया और डायरक्ट्रेट हेल्थ सर्विस को  निर्देश भी जारी कर दिया है कि आउट सोर्स मोड पर नर्सेज न तैनात की जाएं लेकिन यह संस्थान में लागू नहीं हो रहा है। संस्थान में लंबे समय से काम रही आउट सोर्स नर्सेज को खाली पदों के सापेक्ष सीधे समायोजन किया जाए क्योंकि वह मरीजों की सेवा करती आ रही है और कार्य की गुणवत्ता भी परखी जा चुकी है। कर्मचारी महासंघ( एस) की अध्यक्ष सावित्री सिंह ने एनएसए की मांग का सपोर्ट करते हुए कहा कि हम हर स्तर पर साथ है। सूत्रों के मुताबिक एसोसिएशन समान कार्य समान वेतन की मांग के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर करने जा रहा है। इसके लिए सदस्यों ने आर्थित  सहयोग भी लिय़ा जाएगा। 
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 रेलवे में अस्पताल में संविदा पर तैनात नर्सेज का 44 हजार नौ सौ वेतन है क्या वहां पीजीआइ से अधिक कठिन काम है। आईसीएमआर यहां तक कि एम्स में भी 35 हजार मिल रहा है। पहले से तैनात नर्सेज के साथ अन्याय तो रहा है।   

मंगलवार, 20 अगस्त 2019

लिवर, दो किडनियों और दो कार्निया दान कर पांच लोगों को नई जिंदगी - पीजीआइ में हुआ दो लोगों में किडनी का प्रत्यारोपण

जाते -जाते दे गए पांच लोगों को जिंदगी


डालीगंज निवासी 30 वर्षीय रवि दुर्घटना का शिकार हो गए थे। केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर में उन्हें ले जाया गया, मगर बेड न मिलने से उन्हें निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनके ब्रेन का ऑपरेशन किया, मगर रवि इसके बाद होश में नहीं आए। बाद में परिवारीजन ने उन्हें केजीएमयू में भर्ती कराया। यहां रवि को वेंटीलेटर पर शिफ्ट किया गया। इलेक्ट्रोग्राफी में पता चला कि उनके ब्रेन ने काम करना बंद कर दिया है। 18 व 19 अगस्त को उनके दो ऑप्निया टेस्ट हुए, जिनमें उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया।
रवि के परिवारीजन की काउंसिलिंग: इस पर ऑर्गन ट्रांसप्लांट विभाग की टीम ने उनके परिवारीजन की काउंसिलिंग की। पिता रामकिशोर, मां मीना व पत्नी रेखा की सहमति पर डॉक्टरों ने अंगदान की तैयारी शुरू की। परिवारीजन ने रवि का लिवर, दो किडनियों और दो कार्निया दान कर पांच लोगों को नई जिंदगी दी।

पीजीआइ में दो मरीजों में हुआ कैडेवर किडनी ट्रांसप्लांट

पहली बार एक दिन में तीन मरीजों में हुआ किडनी ट्रांसप्लांट


मेडिकल विवि से ंमिले दो कैडेवर किडनी से गुर्दे की बीमारी से संघर्ष कर रहे दो मरीजों में गुर्दा प्रत्यारोपित किया गया। मेडिकल विवि से कैडेवर किडनी मिलने की जानकारी मिलते ही बी पिजिटव ग्रुप के किडनी मरीजों को बुला कर स्क्रीनिंग कर देखा गया कि किसमें तुरंत प्रत्यारोपण हो सकता है। प्रत्यारोपण के मरीज को फिट होना चाहिए कोई इंफेक्शन आदि न हो। रात में स्क्रीन करने के बाद ओटी तैयार की गयी है। एक रायबरेली जिले की  35 वर्षीय  महिला जो इलाज -देख रेख नेफ्रोलाजी विभाग के प्रमुख प्रो. अमित गुप्ता और दूसरी लखनऊ की 39 वर्षीय महिला जिसका देख-रेख प्रोय नरायान प्रसाद के अंदर चल रहा था। इन दोनों विशेषज्ञों ने तमाम स्क्रीनिंग के बाद ट्रांसप्लांट के लिए सहमति दी। प्रत्यारोपण विशेषज्ञप्रो. अनीस श्रीवास्तव, प्रो.संजय सुरेका, प्रो.यूबी सिंह, प्रो.एमएस अंसारी  सहित अन्य ने विशेषज्ञों ने प्रत्यारोपण को अंजाम दिया। इसके आलावा एक रूटीन ट्रांसप्लांट मोती लाल में हुआ जिसकी देख-भाल प्रो. नरायन प्रसाद के अधीन चल रही थी।  ऐसा बहुत कम होता है जब एक दिन में तीन किडनी किडनी ट्रासप्लांट हुआ । सभी मरीजों को किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट में नेफ्रोलाजिस्टों के देख -रेख में वापस दे दिया गया है


रविवार, 18 अगस्त 2019

पीजीआइ में टेक्नोलाजिस्ट सीएमई-रेडियोथिरेपी टेक्नोलाजिस्ट पर निर्भर करता है कैंसर इलाज की सफलता

पीजीआइ में टेक्नोलाजिस्ट क्वालिटी पर सीएमई


रिस्पाइरेटरी गाइडेड रेडियोथिरेपी  से ट्यूमर पर होगा सटीक वार
रेडियोथिरेपी टेक्नोलाजिस्ट पर निर्भर करता है कैंसर इलाज की सफलता    



इमेज गाइडेड रेडियोथिरेपी  के जरिए कैंसर सेल पर सटीक बार कर उसे नष्ट करना संभव हो गया। इस तकनीक से रेडियोथिरेपी देने पर कैंसर ( ट्यूमर) के आस -पास स्थित अंगों पर रेडिएशन नहीं पड़ता है। इससे वह अंग प्रभावित नहीं होते है लेकिन यह तभी संभव है जब ट्रेंड रेडियोथिरेपी टेक्नोलाजिस्ट सेंटर पर उपलब्ध हों।  रेडियोथिरेपी के सेंटर का चुनाव करने से पहले इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। संजय गांधी पीजीआइ के रेडियोथिरेपी विभाग द्वारा आयोजित रोल आफ टेक्नोलाजिस्ट टूवर्ड क्वालिटी एसोस्योरड रेडियोथिरेपी विषय पर सीएमई  के आयोजक  टेक्नोलाजिस्ट अजय कुमार बावा प्रो. नीरज रस्तोगीप्रो. मारिया दास सहित अन्य रेडियोथिरेपी की तमाम बारीकियां  देश भर के 125टेक्नोलाजिस्टों को बता रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा  कि सांस लेते समय गले से लेकर मूत्रशय तक के भीतरी आंगों में गति होती है ऐसे समय पर रेडिएशन देने पर ट्यूमर पर रेडिएशन न पड़ दूसरे अंगों पर पड़ने की आशंका रहती है।  मशीन पर लिटाने के बाद मरीज रिलेक्स हो जाए तो उसे गहरी सांस लेकर रोकने को कहें ऐेसे में वह 20 सेकेंड तक सांस रोक सकता है उस समय ट्यूमर को  फोकस कर रेडिएशन देने से दूसरे आंगों पर रेडिएशन नहीं पड़ता है। इस तकनीक को रिस्पाइरेटरी गाइडेड रेडियोथिरेपी कहते हैं। रेडियोथिरेपी की सफलता दर 80 फीसदी तक टेक्नोलाजिस्ट की दक्षता पर निर्भर करती है।  उद्घाटन समारोह में मेडिटेक एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके सिंहमहामंत्री सरोज कुमार वर्मावरिष्ठ टेक्नोलाजिस्ट पियूष वर्मावीरेंद्र यादव ने कहा कि लैब और रेडियोथिरेपीरेडियोलाजी की इलाज में अहम भूमिका है।  इनके लिए विशेष रूप से सीएमई का आयोजन होना चाहिए। 

मशीन और मरीज के बीच की कड़ी है टेक्नोलाजिस्ट

विभाग की प्रमुख प्रो. पुनीता लाल ने कहा कि मशीन और मरीज  के बीच की कडी टेक्नोलाजिस्ट है। डाक्टर को ट्यूमर पर किस दिशा से कितनी मात्रा में रेडिएशन देना है तय करता है लेकिन इसका पालन टेक्नोलाजिस्ट करता है। रेडिएशन से कोई रिएक्सन है वह तुरंत इसे देख लेता है जिसकी जानकारी हमें देते है । सचेत न रहें तो हम लोगों को पता ही नहीं लगेगा।

बिना सर्जरी केवल दवा इंजेक्ट कर मिलेगी अच्छी मुस्कान

पीजीआइ में आक्युलो फेसियल एस्थेटिक कोर्स

होठ की बनावट अब नहीं बनेगी अड़चन
बिना सर्जरी केवल दवा इंजेक्ट कर मिलेगी अच्छी मुस्कान
 चालिस फीसद महिलाएं लड़कियों की होठ की बनावट उनके लिए बाधक साबित हो रही है।  यह बाधा बिना किसी सर्जरी के डर्मल फिलर बोटॉक्सहाइलूरोनिक एसिडलाइपोफिलिंगबायोजेल इंजेक्ट से दूर किया जा सकता है। संजय गांधी पीजीआइ में आक्युलो फेसियल एस्थेटिक कोर्स में इस मुद्दे पर चर्चा हुई जिसमें प्लास्टिक सर्जन प्रो. अंकुर भटनागरप्रो. अनुपमा सिंहनेत्र रोग विशेषत्र प्रो. रचना अग्रवाल इंदिरा गांधी नेत्र चिकित्सालय की डा. ऩिधि पाण्डेय ने बताया कि होठ का आकार ठीक करने के लिए कई फिलर है जिसे इंजेक्ट कर होठ को आकर्षक बनाया जाता है। देखा गया है कि ऊपर के होठ पतले होते है और नीचे के होठ नीछे की और लटक जाते है। इसके आलावा  ऊपरी होंठ सामने की ओर फैलता है और नीचे से थोड़ा ढंका होता है। कोर्स का उद्घाटन मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो.अमित अग्रवालप्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. राजीव अग्रवालनेत्र रोग विशेषज्ञ प्रो. विकास कनौजियात्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अजीत नेत्र रोग विभाग की प्रमुख प्रो. कुमुदनी शर्मा ने कास्मेटिक सर्जरी समय की मांग जिसके लिए संस्थान के तीन विशेषज्ञता मिल कर काम कर रहा है।

चेहरे के साथ फिट लगे वैसे ही होठ की जरूरत

 विशेषज्ञों के मुताबिक होंठ के आकार में दृश्य दोष होते हैं  जिसके कारण  पूर्ण आकर्षक  महसूस नहीं कर पाती है। इसमें  बहुत बड़े होंठ या मैक्रो-हीलियम दृढ़ता से छोटे वाले माइक्रो-हीलिया,  डूबे हुए होंठ ओपिस्टोहिलिया आदि है। कई बार  महिला  अपने होठ को  स्टार के होंठों की सटीक प्रतिलिपि बनाने को कहती है। जो चेहरे की विशेषताओं के साथ फिट बैठता है उस तरह की जरूरत है।

इंजेक्शन ने पलक ढलपने की दूर होगी परेशानी

इंदिरा गांधी नेत्र चिकित्सालय की डा. निधि पाण्डेय ने बताया कि महीने में चार से पांच मामले ऐसे आते है जिनमें पलक गिर कर आंख को ढक लेती है जिससे उन्हे दिखायी देने में परेशानी होती है । खास इंजेक्शन ने मासे पेशियों में टाइटनस लाकर यह परेशानी दूर की जाती है। 

शुक्रवार, 16 अगस्त 2019

अब पीजीआइ 25 मिनट में निखारेगा चेहरे की खूबसूरती

अब पीजीआइ 25 मिनट  में  निखारेगा चेहरे की खूबसूरती

बोटाक्स और डर्मल फिलिंग से दूर करेंगे झुर्री 
प्लास्टिक सर्जरी और नेत्र रोग विशेषज्ञ मिल कर शुरू करेंगे स्पेशल क्लीनिक


अब संजय गांधी पीजीआइ चेहरा निखारेगा। संस्थान के प्लास्टिक सर्जन, नेत्र रोग विशेषज्ञ  जल्दी ही रूटीन  बेस पर क्लीनिक शुरू करेंगे। बढ़ती उम्र या दूसरे कारणों से चेहरे पर झुर्री , आंख की बरौनी( आईलि़ड) गिरने , चेहरे के लटकने से निखार कम हो जाता । इसे ठीक करने के लिए अब बोटाक्स थिरेपी, जर्मल फिलर जैसे 25 से 30  मिनट के प्रोसीजर  शुरू होंगे।  तकनीक की जानकारी देने आक्युलो-  फेसियल एस्थेटिक एक दिवसीय कोर्स का आयोजन शनिवार को करेगा। प्लास्टिक सर्जन, प्रो. अंकुर भटनागर, प्रो. अनुपमा सिंह , नेत्र रोग विशेषज्ञ प्रो. रचना अग्रवाल ने प्रेस वार्ता कर बताया कि चेहरे की इन परेशानियों के लिए फेस लिफ्ट, राइनोप्लास्टी सहित अन्य सर्जरी की जाती है। यह लंबे प्रोसीजर है लेकिन तमाम चहरे की इन परेशानियों को बोटाक्स छिरेपी, डर्म फिलिंग से दूर किया जा सकता है। इसमें कम समय लगता है। विशेषज्ञों के मुताबिक बोटाक्स किस जगह पर कितनी मात्रा में कैसे देना है यह काफी महत्वपूर्ण है। इसकी जानकारी देने के लिए कोर्स का आयोजन किया जा रहा है जिसमें सात इंटरनेशनल फैकल्टी आ रहे है। लाइव डिमास्ट्रेशन को चार मेडिकल संस्थानों टेली मेडिसिन में सीधे प्रसारित किया जाएगा। 

यूपी में भी बढ़ रही है कास्मेटिक सर्जरी की मांग
विशेषज्ञों ने कहा कि अभी तक कास्मेटिक सर्जरी या प्रसीजर की मांग बडे  महानगरों में थी लेकिन अब यहां भी मांग बढ़  रही है। हफ्ते में 5 से 7 लोग इसकी मांग कर रहे हैं। जिसमें टीवी जर्नलिस्ट, युवा, मार्केटिंग , हास्पिटैलिटी सर्विस से जुडे लोग अधिक है। निजि सेंटर पर यह काफी मंहगा है। हम लोग बाहर की दर  से 40 से 50 फीसदी कम खर्च पर प्रोसीजर कर सकेंगे। 

शुक्रवार, 9 अगस्त 2019

...तो बच्चों के लिवर की बीमारी की गंभीरता कम करना होगा संभव


.....तो बच्चों के लिवर की बीमारी की गंभीरता कम करना होगा संभव  

पीजीआइ  स्थापित लिवर डिजीज और कार्टीसोन के बीच रिश्ता
कार्टीसोन का स्तर बढ़ा कर संभव होगा लिवर डिजीज की गंभीरता कम करना
कुमार संजय । लखनऊ  

लिवर की खराबी से ग्रस्त बच्चों में बीमारी की गंभीर कम करना आगे संभव होगा। संजय गांधी पीजीआइ के   पिडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजिस्ट प्रो. मोनिक सेन शर्मा और उनके साथी डा. परिजात राम त्रिपाठी ने लंबे शोध के बाद पता लगाया है कि कार्टिसोन हारमोन और कोलेस्ट्राल के स्तर और लिवर डिजीज की गंभीरता के बीच काफी हद तक रिश्ता है। हारमोन और कोलेस्ट्राल का स्तर कम है तो लिविर डिजीज की गंभीरता अगले तीन महीने काफी अधिक होगी। इस तथ्य का पता लगने के वाद हम लोगों के सामने स्तर बढाने केे तरीके का पता लगा कर बीमारी को गंभीरता को कम करना संभव होगा। प्रो. मोनिक के शोध को यूरोपियन सोसाइटी आफ पिडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजी एंड हिपैटो न्यूट्रिशन ने स्वीकार किया है। शोध को प्रस्तुत करने के लिए स्काटलैंड में आयोजित अधिवेशन में बुलाया गया था। प्रो. मोनिक इन इस तथ्य को साबित करने के लिए 85 लिवर डिजीज से ग्रस्त बच्चों पर शोध किया।  

एड्रिनल ग्लैंड से स्रावित होता है कार्टीसोल
किडनी के पास स्थित एड्रिनल ग्लैंड से कार्टीसोल हारमोन स्रावित होता है जो कई तरह का काम करता है। बच्चों में कार्टीसोन का स्तर 250 से 500 नैनोमोल प्रति लीटर के बीच होना चाहिए। लिवर डिजीज से ग्रस्त इन बच्चों में कार्टीसोन और कोलेस्ट्राल का स्तर देखा साथ बीमारी की गंभीरता का अध्ययन किया तो पाया कि जिनमें मानक से कम स्तर था उनमें परेशानी बढ़ती गयी यानि लिवर काम करना पूरी तरह बंद कर दिया जिसके कारण परेशानी बढ़ गयी। 

विल्सन डिजीज और बड चेरी सिड्रोम से ग्रस्त थे बच्चे
प्रो.मोनिक के मुताबिक शोध में शामिल बच्चे विल्सन डिजीज और बड चेरी सिंड्रोम के कारण लिवर काम नहीं कर रहा था । लिवर के काम न करने के कारण पेट में पानी (एसाइटिस) हो गया था। विल्सन डिजीज में लिवर में कापर जमा हो जाता है और ब़ड चेरी सिंड्रोम में हिपैटिक वेन  में रूकावट के कारण लिवर में प्रेशर बढ़ जाता है जिसके कारण लिवर खराब हो जाता है। 


मंगलवार, 6 अगस्त 2019

पीजीआइ- टेक्नीशियन खी भूख हड़ताल खत्म, नर्सेज ने दिया अल्टीमेटम, पेशेंट हेल्परो को 3 माह से नहीं मिला वेतन

पीजीआई टेक्नीशियन संवर्ग की भूख हड़ताल खत्म
 संस्थान प्रशासन ने जारी किया 
आदेश संशोधन के लिए 15 दिन का समय
 
पीजीआई में एम्स की समतुल्यता की मांग कर रहे मेडिटेक एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके सिंह और महामंत्री सरोज वर्मा आज 9:30 बजे से भूख हड़ताल पर बैठ गए थे शाम 7:00 बजे संस्थान प्रशासन ने लंबित आदेश को जारी करने के बाद भूख हड़ताल खत्म कराया। निदेशक प्रोफेसर राकेश कपूर और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर अमित अग्रवाल वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह ने जूस पिलाकर भूख हड़ताल खत्म कराया । टेक्नीशियन संवर्ग का आदेश जो एम्स के समतुल्य था उसे संस्थान प्रशासन 3 साल से लागू नहीं कर रहा था जिससे नाराज होकर मंगलवार को कर्मचारी नेता भूख हड़ताल पर बैठ गए थे। मेडिटेक एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके सिंह और महामंत्री सरोज वर्मा का संस्थान के सभी कर्मचारी संगठनों समर्थन दिया है।  हालांकि मंगलवार शाम को पीजीआई प्रशासन द्वारा भूख हड़ताल खत्म करने की चेतावनी दी गई, जिससे कर्मियों में खासी नाराजगी है।
मेडिटेक एसो. के महामंत्री सरोज वर्मा का कहना है कि वर्ष 2015 में एम्स ने टेक्नीशियन कैडर के लिये आदेश किया था। इसके संज्ञान में 17 अक्तूबर 2018 में सरकार ने शासनदेश भी जारी कर दिया लेकिन पीजीआई प्रशासन इसे संस्थान में लागू नही कर रहा था। इस मौके पर पीजीआई कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष जितेन्द्र यादव, महामंत्री धर्मेश कुमार के अलावा पूर्व अध्यक्ष सतीश मिश्रा व महामंत्री राम कुमार सिन्हा समेत भारी संख्या में कर्मचारी नेता शामिल हुये।

नर्सिंग एसोसिएशन ने दिया अल्टीमेटम
नर्सिंग स्टाफ एसो. की अध्यक्ष सीमा शुक्ला  ने  कैडर के पदनाम और कैडर रिस्ट्रक्चरिंग समेत अन्य सुविधायें एम्स के समान लागू करे। इस सम्बंध में एनएसए ने मंगलवार को संस्थान निदेशक को पत्र भी दिया है।   संस्थान प्रशासन को चेतावनी दी है कि यदि संस्थान प्रशासन ने उनके मांगों पर जल्द निर्णय नही लिया तो वह हड़ताल के लिये बाध्य होंगी।


पीजीआइ पेशेंट हेल्परों को नहीं मिला तीन माह से वेतन
 वह भी नहीं घर में रोटी के लाले किया प्रदर्शन
  

संजय गंधी पीजीआइ में तैनात आउट सोर्स पेशेंट हेल्परों को रोटी के लाले पड़ गए है । संस्थान में तैनात पांच सौ से अधिक पेशेंट हेल्परों  ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के सामने विरोध दर्ज करा कर कहा कि घर से दूर 6 हजार पांच सौ  की नौकरी कर रहे है वह भी समय से नहीं मिलता है। उधार तक समान व्यापारियों ने देना बंद कर दिया है। घर का किराया नहीं दे पा रहे है माकनमालिक घर खाली करने को कह रहे हैं। घर में खाने के लाले पड़ गए है। बच्चों की फीस तक नहीं जमा हो पा रही है। नाराज पेशेंट हेल्परों ने कहा कि जब से एजेंसी अपट्रान के पास गयी तभी से वेतन की परेशानी हो गयी है। पहले वाली एजेंसी के साथ यह परेशानी नहीं थी। दिसंबर 2018 में एजेंसी बदली गयी तभी से परेशानी हो रही है। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह ने कहा कि एजेंसी बदलने से सिस्सटम को अपडेट करने में समय लगा है। हम लोगों पूरी कोशिश में है कि हर माह समय से वेतन मिले।  




सोमवार, 5 अगस्त 2019

पीजीआई के लैब और रेडियोलोजी टेक्नीशियन संवर्ग का अनशन आज से - एक साल से शासनादेश लागू नहीं कर पा रहा है पीजीआई

पीजीआई के लैब और रेडियोलोजी टेक्नीशियन संवर्ग का अनशन आज से

एक साल से शासनादेश लागू नहीं कर पा रहा है पीजीआई

एम्स के समतुल्य शासदेश लागू नही किये जाने से खफा पीजीआई का टेक्नीशियन
कैडर मंगलवार से प्रशासन भवन के गेट पर आमरण अनशन करेगा। अनिश्चित कालीन
अनशन की अगुवायी मेडिटेक एसोसिएशन के अध्यक्ष डीके सिंह और महामंत्री
सरोज वर्मा करेंगे। एसो. की मांग है कि पीजीआई प्रशासन तत्काल एम्स के
समतुल्य शासनदेश लागू करे। संस्थान के कई कर्मचारी संगठनों ने मांग को जायज बताते हुए पूरााा समर्थन देने को कहां है।

मेडिटेक एसो. के महामंत्री सरोज वर्मा का कहना है कि पीजीआई एक्ट के तहत
संस्थान में कार्यरत सभी सवंर्ग के कर्मियों को एम्स दिल्ली के समतुल्य
वेतनमान/पदनाम व अन्य सुविधायें दिये जाने का प्रावधान है। वर्ष 2015 में
एम्स ने टेक्नीशियन कैडर के लिये आदेश किया था। इसके संज्ञान में 17
अक्तूबर 2018 में सरकार ने शासनदेश भी जारी कर दिया लेकिन पीजीआई प्रशासन
इसे संस्थान में लागू नही कर रहा है। जिसको लेकर इस संवर्ग में काफी
आक्रोश है। संवर्ग के कर्मी कई बार निदेशक और सीएमएस का घेराव भी कर चुके
हैं। कर्मियों का आरोप है कि संस्थान में कई संवर्ग के कर्मी एम्स से
अधिक वेतनमान ले रहे हैं। जबकि सबको एम्स के समान मिलना चाहिये।

नहीं भूली सका आज तक 29 साल पहले की वह रात- एक विस्थापित कश्मीरी पंडित का दर्द

नहीं भूली सका आज तक 29 साल पहले की वह रात


श्रीनगर से रात 12 बजे छिपते-छिपाते पहुंचे थे जम्मू
कुमार संजय। लखनऊ

अप्रैल 1990 की वह रात आज तक नहीं भूल पाया हूं जिस रात को छिपते –छिपाते किसी तरह जम्मू पहुंचे साथ में  पिता, मा , भाई और भाभी के साथ । संजय गांधी पीजीआइ के एनेस्थेसिया विभाग में तैनात सीनियर टेक्नोलाजिस्ट किशोऱ कुमार कौल कहते है कि आज भी वह रात और महौल याद है। रोआं थर्रा जाता है। सब कुठ हम लोग सब कुछ गवां कहां खत्म होगा सफर सोचते हुए निकले थे लेकिन ईश्वर की कृपा रही कि 6 महीने बाद ही लखनऊ में सफर खत्म हुआ। स्थायी ठिकाना मिल गया जहां चैन की जिंदगी मिली। पिता मोहन लाल कौल का निधन कुछ साल पहले हो गया।  
 किशोऱ कौल कहते है कि  हिजबुल मुजाहिद्दीन गुट के आतंकियों ने धमकी दी कि यहां से छोड़ कर चले दो दिन में चले जाओ नहीं खत्म कर देंगे। हम लोग रात में बारह बजे सब तुछ छोड़ कर कुछ पैसा और कपड़े लेकर किसी तरह घर से निकले काफी दूर जाने के बाद एक टैक्सी मिली जो हम लोगों को लाकर जम्मू छोड़ दिया। जम्मू में शरणार्थी शिविरि में पहुंचने के बाद लगा कि अब जान बच जाएगी। ईश्वर की कृपा रही कि दस दिन के बाद मैं दिल्ली गया जहां पर गंगाराम अस्पताल में नौकरी मिल गयी। दस दिन में जम्मू से शिऴिर छोड़ कर हम लोग दिल्ली आ गए। उसी समय पीजीआइ लखनऊ में जगह निकली थी यहां सलेक्शन हो गया सितंबर लखनऊ में आ गया। जब से जिंदगी राह पकडी। भाई भोपाल में नौकरी करने चले गए। किशोर कहते है कि हमने ने वहां के आंतकी संगठनों का तांडव देखा है कि कैसे अपमानित करते थे। तमाम लोगों को वह मौत के घाट उतार दिए। हमारी बहन –बेटी को साथ बदसलूकी करते थे। हमारा घर श्री नगर जिले के हब्बा कदल मुहल्ले में बढ़िया घर था । वहां के कागजात में नाम दर्ज है । हम लोगों का वापस जाने का रास्ता अब खुल गया है बस आंतकी खत्म हो जाएं। बस हम लोगों को सुरक्षा मिले