मंगलवार, 25 सितंबर 2018

एैक्लिशया कार्डिया -बिना चीरा ठीक होगी खाने की नली की चाल


पीजीआई देश का हला संस्थान जहां  स्थापित हुई पोयम तकनीक  
एैक्लिशया कार्डिया का इलाज के अब नहीं चलेगा नश्तर


संजय गांधी पीजीआई देश का पहला संस्थान हो गया है जहां बिना नश्तर चलाए इंडोस्कोपिक तकनीक से एकैल्शिया कार्डिया का इलाज संभव हो गया है। संस्थान के गैस्ट्रोइट्रोलाजी विभाग के प्रो. प्रवीर राय ने एकैल्शिया  कार्डिया के इलाज के लिए पर अोलर इंडोस्कोपिक मायोटमी( पोयम) तकनीक स्थापित की है। इस तकनीक के जरिए पांच  मरीजों को राहत देने के बाद प्रो. राय ने बताया कि  इस बीमारी के इलाज के लिए स्फिंटर का डायलटेशन( वैलूनिंग) किया जाता है लेकिन देखा गया कि मरीज को थोडे दिन तो राहत  मिलती है लेकिन 40 फीसदी मरीजों में दोबारा परेशानी होने लगती है। इस बीमारी के इलाज के लिए हैलेस मायोटामी सर्जरी की जाती  है जिसमें अोपेन या लेप्रोस्कोपिक तकनीक का इस्तेमाल सर्जन करते है। सर्जरी में चीरा लगने के साथ ही अस्पताल में रूकने का समय बढ जाता है ।  इलाज का खर्च भी अधिक है। सरजरी से इलाज में 1.5 लाख तक का खर्च आाता है। इस बीमारी से हर महीने संस्थान की अोपीडी में 10  से 12 मरीज अाते हैं।  

क्या है पोयम तकनीक    
 पोयम तकनीक में हम मुंह के जरिए इंडोस्कोप से खाने की नली में पहुंच कर म्यूकोसा से सब म्यूकोसा में पहुंच कर जगह बनाते है जिससे पूरी मांसपेशी नजर अाती है जिस पर चीरा लगा देते है। इसके साथ स्फिंटर पर चीरा लगा देते है जिससे खानी के नली की चाल काफी हद तक ठीक हो जाती है और स्फिंटर खुलने लगता है। इस तकनीक की सफलता दर 85 फीसदी तक है।    


क्या है एकैल्शिया  कार्डिया
एक्लेसिस कार्डिया की परेशानी में खानी ननली की मांस पेशियों की चाल गड़बड़ हो जाती है । खाने की नली और आमाशय को जोड़ने वाले स्थान पर लगा स्फिंटर समय से नहीं खुलता है जिसके कारण खाना और पानी पेट में नहीं जा पाता है। खाते ही उल्टी की परेशानी होती है। खानी की नली फूल जाती है। मरीज के वजन कम हो जाता है।   


सोमवार, 24 सितंबर 2018

पीजीआई बना देश का पहला संस्थान जिसका शोध बन रहा है नजीर

पीजीआई बना देश का पहला संस्थान जिसका शोध बन रहा है नजीर

दूसरे नंबर एम्स दिल्ली जिसके शोध बन रहे है नजीर

जितना अधिक साइटेशन उतनी अधिक गुणवत्ता


संजय गांधी पीजीआई इलाज की गुणव्ता के मामले में देश के बडे संस्थानों से बराबरी के बाद  शोधों की गुणव्ता के मामले में देश का पहला संस्थान बन गया है। शोध को  देश विदेश शोध वैज्ञानिक संस्थान के शोध को नजीर( साइटेशऩ) के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं।  संस्थान के एक शोध पत्र को औसतन 12.2 साइटेशन मिला है जबकि एम्स दिल्ली के एक  शोध पत्र को औसतन 10.4 साइटेशन मिला है। इस तथ्य का जर्नल अफ एसोसिएशन अफ फिजिशियन आफ इंडिया( जापी) ने देश के दस बडे संस्थान में बीते साले में राष्ट्रीय , अंर्तराष्ट्रीय शोध पत्रों के साइटेशन का विश्लेषण करने के बाद किया है। शोध पत्रों के संख्या मामले में पीजीआई लखनऊ चौथे स्थान पर है। पहले स्थान पर एम्स दिल्ली है। दूसरे स्थान पर पीजीआई चंडीगढ़ है। तीसरे स्थान पर क्रिश्चियन मेडिकल कालेज वेल्लूर है। यह संस्थान पीजीआई लखनऊ के स्थापना से काफी पहले है स्थापित है जिसके कारण शोध पत्रों की संख्या अधिक है। पीजीआई लखनऊ से 6 हजार आठ सौ 74 शोध हुए है जिसे 83627 लोगों को बतौर रिफरेंस( साइटेशन ) इस्तेमाल किया।  एम्स दिल्ली से 29394 शोध हुए है जिसे 304929 शोध वैज्ञानिकों ने अपने शोध में बतौर रिफरेंस रखा है। इस तरह एक पेपर साइटेशन की दर 10.4 हुई जबकि पीजीआई लखनऊ की एक शोध का साइटेशन दर 12.2 है। संस्थान के संकाय सदस्य कहते है एेसा तब है जब हम लोग मरीजों को पूरा समय देने के साथ ही अतिरिक्त समय निकाल कर शोध के लिए समय देते हैं। 

शुरूअती पांच साल में शोध के मामले में उम्र के हिसाब से पीजीआई नंबर वन
एम्स दिल्ली ने 1950 में काम करना शुरू किया । शुरूअती पांच साल में केवल एक शोध हुआ। पीजीआई चंडीगढ़ 1963 में काम करना शुरू किया । शुरूआती पांच साल में 20 शोध। क्रिश्चियन मेडिकल कालेज वेल्लूर 1886 में काम करना शुरू किया शुरूअती पांच साल में कोई शोध नहीं। पीजीआई लखनऊ 1986 में काम करना शुरू किया शुरूआती पांच साल में 37 शोध हुआ। जिपमर पाडीचेरी 1966 में काम करना शुरू किया शुरूअती पांच  साल में 40 शोध । सबसे कम उम्र के पीजीआई लखनऊ ने शरूआती पांच साल में सबसे अधिक शोध किया।



किसी भी शोध को दुनिया के सामने शोध पत्र के जरिए रखा जाता है। शोध पत्र को नेशनल , इंटरनेशन मेडिकल जर्नल को भेजा जाता है जिसकी कमेटी कई मानकों पर जांच कर उसे स्वीकार करती है। किसी भी शोध पत्र को दूसरे जितने अधिक शोध वैज्ञानिक अपने शोध में उसे बतौर रिफरेंस शामिल करते है उतना ही शोध की महत्व का पता लगता है। हमारे संस्थान के शोध पत्रों का साइटेशन देश के टाप 4 में से नंबर वन है। यह संस्थान के लिए गर्व का विषय है जिससे हमारे संकाय सदस्यों ने हासिल किया है....निदशक प्रो.राकेश कपूर

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

बिना जरूरत लगाएं जाते है 70 फीसदी इंजेक्शन




बिना जरूरत लगाएं जाते है 70 फीसदी इंजेक्शन


विश्व स्वास्थ्य संगठन और पीजीआई सुरक्षित इंजेक्शन के लिए चलाएंगा जागरूकता अभियान 



इलाज के लिए 70 फीसदी इंजेक्शन बिना जरूरत के लगाए जाते है । 50 फीसदी इंजेक्शन असुरक्षित होते हैं। जिसके कारण मरीज को दर्द सहना पडता है ।  संक्रमण का खतरा बढ जाता है। इस दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है। यह खुलास संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रो इंट्रोलाजी विभाग के प्रो.राकेश अग्रवाल, विश्व स्वास्थ्य संगठन के डा. चंद्रकांत लहरिया, परिवार स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के डा. राजेश और इनक्लेन के डा. राकेश एन पिल्ई ने संस्थान में इजेक्शन सेफ्टी पर अायोजित कार्यशाला में देते हुए कहा कि इलाज के 90 फीसदी दवाएं इजेक्शन से दिया जा रहा है जिसमें 70 फीसदी में इजेक्शन की जरूरत नहीं होती है। किसी भी बीमारी के इलाज के लिए पहले खाने वाली दवाअों के जरिए ही इलाज करना चाहिए लेकिन डाक्टर और मरीज में इंजेक्शन से जल्दी ठीक होने का विश्वास इंजेक्शन प्रैक्टिस को बढावा दे रहा है। प्रो. राकेश अग्रवाल ने कहा कि असुरिक्षत इजेक्शन के कारण हर साल विश्व में 80 से 160  लाख लोग हिपैटाइिटस बी वायरस, 23 से 47 लाख लोग हिपैटाइिटस सी वायरस से संक्रमित होते है। सुरक्षित इंजेक्शन प्रैक्टिस और बिना जरूरत इंजेक्शन के इस्तेमाल को कम कर इस दर को काफी हद तक कम किया जा सकता है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन और पीजीआई ने मिल कर सुरक्षित इजेक्शन प्रैक्टिस को बढावा देने के लिए कई वर्कशाप का अायोजन करेगा।  

एेसे करें इजेक्शन का इस्तेमाल 

- डिस्पोजेबिल सिरिंज के पैकिंग चेक करें
- पैकिंग खोलने के बाद तुरंत इस्तेमाल करें
- पैकिंग की एक्सपाइरी डेट चेक करें
- इजेक्शन लगाने से पहले जहां लगाना है वहां त्वचा को साफ करें
- हाथ धोने के बाद दस्ताना लगा कर ही इंजेक्शन लगाएं
- किसी दवा की एक सीसी को कई मरीज को इंजेक्शन देना है तो हर बार नई सिरिंज और निडिल का इस्तेमाल करें
-इस्तेमाल सिरिंज और निडिल को सही जगह पर नष्ट करें

गुरुवार, 13 सितंबर 2018

पीजीआई में शुरू होगा अस्पताल प्रबंधन में मास्टर डिग्री


पीजीआई में शुरू होगा अस्पताल प्रबंधन में मास्टर डिग्री

अस्पताल प्रबंधन पाठयक्रम का होगा इंटरनेशनल स्टैंर्ड, बढेगी सीटों की संख्या

अस्पताल प्रबंधन विभाग के प्रमुख बने प्रो.राजेश हर्षवर्धन ने दी योजनाअों के बारे में जानकारी



संजय गांधी पीजीआई के अस्पताल प्रबंधन विभाग के प्रमुख का कार्यभार संभालने वाले प्रो.राजेश हर्षवर्धन ने अस्पताल प्रबंधन में मास्टर डिग्री पाठ्क्रम शुरू करने के साथ ही 
चल रहे पाठ्यक्रम को इंटरनेशनल स्तर का बनाने के योजना पर काम शुरू कर दिया है।  कार्य भार संभालने के बाद विशेष बातचीत में प्रो. हर्ष वर्धन ने कहा कि अस्पताल में इलाज की गुणवत्ता में बढोत्तरी और संसाधन का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने के उद्देश्य से अस्पताल प्रबंधक तैयार किए जा रहे है। हमारा संस्थान पूर्ण कालिक , अल्पकालिक और अति अल्पकालिक मिला कर कुल लगभग 90 अस्पताल प्रबंधक तैयार कर रहा है । इस संख्या को दो सौ तक करने की योजना पर काम करूंगा। कहा कि अस्ताल प्रबंधक की भूमिका को नए मेडिकल साइंस में स्वीकार किया गया । यह प्रबंधक वित्त, सामग्री, मानव संसाधन सहित अन्य का बेहतर इस्तेमाल की तकनीक जानते है। इसे एवीडेंस बेस्ट मैनेजमेंट कहते है। इससे अस्पताल की कार्य क्षमता में काफी सुधार होता है। कहा कि अस्पताल प्रबंधन पाठ्क्रम की गुणवत्ता बढाने के स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू करेंगे जिसके तहत यहां के छात्र देश के दूसरे संस्थान में जाकर वहां की कार्यप्रणाली का अध्ययन करेंगे। दूसरे संस्थान के छात्र हमारे संस्थान में आएंगे। आगे विदेश के संस्थानों से भी करार होगा जिससे पाठक्रम का स्तर इंटरनेशनल स्तर का होगा। इससेे यहां  के छात्रों को विदेश में भी मौका मिलेगा। 

इग्नू का स्टडी सेंटर बना पीजीआई
प्रो. हर्ष वर्धन ने बताया कि इंदिरा गांधी अोपेन यूनिवर्सटी डिप्लोमा इन हास्पिटल एंड हेल्थ मैनेजमेंट करा रहा है जिसके लिए संस्थान के विभाग  को स्टडी सेंटर तय किया है। इसके अलावा भारत सरकार ने वेलनेस सेंटर के लिए कम्युनिटि हेल्थ नर्सेज की ट्रेनिग की लिए भी विभाग को नामित किया है। इसके तहत सरकार द्वारा नामित 60 नर्सेज को 6 महीने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह नर्सज लोगों को स्वस्थ्य रहने में सहयोग करेंगी। 


बुधवार, 12 सितंबर 2018

पीजीआई - एक छत की नीचे होगी लिवर की सभी तरह की सर्जरी-प्रो.राकेश कपूर

एक छत की नीचे होगी लिवर की सभी तरह की सर्जरी
हिपैटोबिलेरी एंड लिवर ट्रासप्लांट सेंटर के नाम ही मिला है 40  करोड़
बढ़ जाएगी 80 फीसदी हिपैटोबिलेरी सर्जरी की सफलता दर

संजय गांधी पीजीआई के  हिपैटोबिलेरी एंड लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर को लेकर चल रहे मनमुटाव को खत्म करने के लिए संस्थान प्रशासन ने आदेश जारी कर दोनों पछों के लिए बीच का रास्ता निकाला है। दावा किया कि हिपैटोबिलेरी लिवर ट्रांसप्लांट के साथ जुडने पर  ( लिवर से जुडी बीमारी) की सर्जरी की सफलता दर 70 से 80 फीसदी तक बढ़ जाएगी। सफलता दर बढाने के लिए हिपैटोबिलेरी एंड लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर स्टेट अाफ अार्ट  सुविधाएं स्थापित की जा रही है। संस्थान के निदेशक प्रो. राकेश कपूर ने बताया कि कोलिडो स्कोप जैसी तमाम अत्य़ाधुनिक उपकरणों से सेंटर को लैस किया जा रहा है जिससे लिवर के अास-पास नलिकाअों का पता लगाना अासान हो जाएगा। इसके साथ गैस्ट्रो सर्जरी में वेटिंग भी कम होगी। सेंटर से पांच माडयूलर अोटी है जिससे सर्जरी के लिए अोटी की कमी कम होगी। प्रो. कपूर ने बताया कि एक छत के नीचे बच्चों और बडे में लिवर की सभी तरह की बीमारी का इलाज संभव होगा। लिवर ट्रांसप्लांट  के पहले मरीज को इसके लिए तैयार करना पड़ता है यह सारी सुविधा होगी।  हिपैटोबिलेरी और लिवर ट्रांसप्लांट को एक साथ होने पर कुछ लोगों ने एतराज जताया जिसमें गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के कई सर्जन ने
कहा था कि इससे हिपैटोबिलेरी सर्जरी बंद हो जाएगी । गैस्ट्रो सर्जरी में 70 फीसदी सर्जरी हिपैटोबिलेरी की होती है। हम लोगों के पास काम ही नहीं रहेगा।  यह फैसला शासन ने लिया है सरकार ने 40 करोड़ रूपया जो दिया है इसी सेंटर के नाम दिया है। हमारे पहले के निदेशक ने हिपैटोबिलेरी एंड लिवर ट्रांसप्लांट सेंटर के नाम से ही पत्रचार शासन को किया । इसमें कोई नुकसान भी नहीं है। कहा कि 110 करोड़ से सेंटर बना है जिसका उपयोग होना चाहिए। जब लिवर ट्रांसप्लांट पूरी तरह शुरू हो जाएगा तो वैसे भी हिपैटोबिलेरी सर्जरी कम हो जाएगी।  

नहीं खत्म होगी गैस्ट्रो सर्जरी की सुविधाएं
प्रो. कपूर ने कहा कि गैस्ट्रो सर्जरी की अोपीडी, वार्ड, अोटी पहले की तरह रहेगी। सेंटर में केवल लिवर ट्रांसप्लांट की अोपीडी होगी। गैस्ट्रो सर्जन चाहे तो पहले के अोटी में सर्जरी करें नहीं तो नए सेंटर में काम करें। किसी के लिए किसी भी तरह की बाध्यता नहीं है। 

शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

पीजीआई संविदा कर्मचारी संघ ने राज्यपाल से मिल कर मांगा समान कार्य समान वेतन

पीजीआई संविदा कर्मचारी संघ ने राज्यपाल से मिल कर मांगा समान कार्य समान वेतन

मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनी समिति दे उचित वेतन


संजय गांधी पीजीआई के संविदा कर्मचारियों का प्रतिनिध मंडल राज्यपाल श्री राम नाइक से मुलाकात कर न्याय गुहार लगाई। प्रतिऩिध मंडल में शामिल महामंत्री रौगव यादव, उपाध्यक्ष दिलपी मौर्य , पदाधिकारी सलमान खान, सोनी शुक्ला ने शुक्रवार को दोपहर बाद मुलाकात कर राज्यपाल को मांग पत्र सौंप कर कहा कि सरकार समान कार्य समान वेतन का सिद्धांत लागू करे।बताया कि  नए केंद्रीय मजदूरी अधिऩियम के तहत वेतन देने की मांग की है। इस अधिनियम के तहत कुशल, अर्ध कुशल और अकुशल वर्ग में बांट कर अलग -अलग वेतन दिया जाता है लेकिन संस्थान  में एेसा नहीं है। बाताया कि वेतन के लिए एक समिति का गठन चिकित्सा शिक्षा विभाग ने किया है जिसमें वेतन तय किया जाना है । राज्यपाल से कहा कि समिति को निर्देशित करें कि वह उचित वेतन तय करें। संविदा कर्मचारियों के इलाज के लिए ईएसआई यूनिट संस्थान परिसर में स्थापित कराया जाए। किसी भी संविदा कर्मचारी को संस्थान में इलाज की सुविधा नहीं है। संस्थान में नियमित भर्ती होने पर बिना शर्त पहले इनका समायोजन किया जाए क्योंकि हम लोग लंबे समय से यहां सेवा दे रहे है। हम लोगों के कार्य से मरीजों का हित हो रहा है इसलिए सीधे समायोजन किया जाए। संविदा पर तैनात महिला कर्मचारियों को प्रसूति अवकाश के साथ दूसरे कर्मचारियों को अाकस्मिक अवकाश दिया जाए।  संविदा कर्मचारियों के मांग पर सहमति जताते हुए कहा कि  संविदा पर कई सालों से काम कर रहे है अब इनकी उम्र भी खुली भर्ती के लायक नहीं रह गयी है।  एेसे में समायोजन न होने पर इन लोगों को भविष्य़ संकट में अा जाएगा।  इस लिए बिना शर्त इनका समायोजन पदों पर किया जाए। साथ ही सेवा सुरक्षा प्रदान की जाए।

सत्ता के गलियारे में कैद में पीजीआई कर्मचारियों का भविष्य--संविदा पर तैनात नर्सेज को किया जाए समायोजित

सत्ता के गलियारे में कैद में पीजीआई कर्मचारियों का भविष्य
दो साल से चल रही है संवर्ग पुर्नगठन प्रक्रिया
कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी 




संजय गांधी पीजीआई के 20 से अधिक संवर्ग के कर्मचारियों का पुर्नगठन प्रक्रिया दो साल से चल रही है। पूरा खाका संस्थान की वेव साइट पर भी डाल दिया। इसके बाद भी 6 महीने से अधिक समय बाद इसे लागू नहीं किया किया गया जिससे संस्थान के कर्मचारियों में रोष है। कर्मचारी महासंघ(एस) की अध्यक्ष सावित्री सिंह ने संस्थान प्रशासन को पत्र लिख कर कहा है कि एक महीने के अंदर यदि इसे लागू नहीं किया जाता है तो हम लोग शांति पूर्ण अंदोलन के बाध्य होंगे। हम लोग मरीजों के हित मे कार्य बहिष्कार जैसे आंदोलन नहीं करना चाहते है लेकिन धैर्य की एक सीमा होती है। बताया जा रहा है कि संस्थान प्रशासन ने लगभग सभी संवर्ग का पुर्नगठन कर लिया है जिस पर शासन की अनुमति लेनी है । इस काम में 6 महीने से अधिक का समय लग चुका है। संस्थान निदेशक प्रो.राकेश कपूर ने कैडर पुर्नगठन को प्राथमिकता के आधार पर शुरू कराया था जिसे पूरा भी किया गया लेकिन सत्ता के गलियारे में फाइल घूम रहीं है जिससे कर्मचारियों का भविष्य कैद हो गया है। इसके अलावा संस्थान की नियमावली 2011 में बदलाव की मांग की है।
संविदा पर तैनात नर्सेज को किया जाए समायोजित  


इंटक( इंडियन ट्रेड यूनियन कांग्रेस)  ने पीजाई में परमानेंट पदों पर संविदा पर तैनात नर्सेज  को समायोजित करने की मांग की है। इंटक के महिला शाखा की जिला अध्यक्ष सावित्री सिंह ने संस्थान प्रशासन को पत्र लिख कहा है कि संस्थान में संविदा पर 250 नर्सेज काम कर रही है। अभी संस्थान में 450 नर्सेज की परमानेंट जगह निकली है इन्हें पहले समायोजित कर बाकी पदों पर चयन किया जाए। कहा कि संविदा पर तैनात नर्सेज सलेक्शन कमेटी के जरिए आयी है इसलिए दोबारा चयन प्रक्रिया में सामिल करने का कोई मतलब नहीं है। पहले से काम कर रही नर्सेज संस्थान के वर्क कल्चर में ढल चुकी है और बेहतर काम रही है। संस्थान प्रशासन ने वादा किया था  कि नियमित नियुक्ति में संविदा पर काम कर रहे लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी।  इसी तरह बाकी पदों पर भी समायोजन किया जाए।

बुधवार, 5 सितंबर 2018

40 फीसदी किशोर हो गए है स्मार्ट फोन के लती -------स्मार्ट फोन के लत के कारण प्रभावित हो रही जीवन

40 फीसदी किशोर हो गए है स्मार्ट फोन के लती

स्मार्ट फोन के लत के कारण प्रभावित हो रही जीवन


स्मार्ट फोन मानसिक और शारीरिक बीमारी का बन रहा है कारण



आप चाहते कि आप के बेटा और बेटी पढ़ाई करे और स्वस्थ्य रहे तो उन्हें स्मार्ट फोन से दूर रखे और रहने की सलाह दें। विशेषज्ञों ने साबित किया है कि किशोर (10 से 19 साल) फोन के लती होकर अपनी क्षमता कम करने के साथ ही मानसिक एवं शारीरिक परेशानी के शिकार हो रहे हैं। बुधवार को राजधानी में एक लड़के ने तो अपनी जान दे दी। कई लड़के मा-पिता से स्मार्ट फोन के लिए झगड़ उठते हैं।  इटरनेशनल जर्नल आफ प्रिवेटिंव मेडिसिन के मुताबिक विशेषज्ञों ने 1304 युवाओं और युवतियों पर  शोध  किया है। यह शोध 10 से 19 साल की आयु वर्ग के लोगों पर हुआ है। जर्नल में शोधकर्ता डा.संजीव दवे और डा. अनुराधा दूबे ने बताया है कि अब तक हुए 45 रिसर्च को शामिल किया है जिसमें कुल 1304 युवा शामिल हुए थे। विशेषज्ञों ने सभी शोधों का विश्लेषण किया तो पता चला कि 39 से 44 फीसदी युवा स्मार्ट फोन के लती हो गए है जिसके कारण इनकी खुद क्षमता में कमी हो रही है। पढ़ाई की तरफ ध्यान केंद्रित नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा मानसिक बीमारी के चपेट में आ रहे हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि लागातार स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने के कारण टंडन(मांस पेशियों का गुच्छा)इंजरी, कार्पल टनल सिंड्रोम, कंप्यूटर विजन सिंड्रोम , विजन में कमी जैसी कई परेशानियों के शिकार हो रहे हैं। संजय गांधी पीजीआई के तंत्रिका रोग विशेषज्ञ प्रो.संजीव झा कहते है कि बार-बार अंगूठे पर बल देने से उसके जोड़ में परेशानी आती है जिससे पेन तक पकड़ने में परेशानी होती है। इसके अलावा आंख की रोशनी प्रभावित होती है। 

129 फीसदी की दर से बढ़ रहा है स्मार्ट फोन

जर्नल में विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में 15.6 फीसदी लोग स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करते है हर साल भारत में 129 पीसदी की दर से स्मार्ट फोन का इस्तेमाल बढ़ रहा है जो चीन से भी अधिक है वहां पर हर साल 109 फीसदी की दर से स्मार्ट फोन इस्तेमाल कर्ता बढ़ रहे हैं। बताया है कि हर 6.3 मिनट बाद हाम लोग फोन को चेक करते है इससे साबित होता है कि हम लोग फोन के लती हो रहे हैं। 

स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने वाले लोग

आयु वर्ग                               प्रतिशत

11 से 24                                  72

25 से 34                             . 62

35 से 44                            56

45 से 54                          39

55 से 64                           30

65 से अधिक                          38


पुरूष                             53

महिला                      47

फोन का इस्तेमाल टेक्स मैसेज के लिए                -92 फीसदी

इंटरनेट ब्राउसिंग स्मार्ट फोन से                           -84 पीसदी लोग

15 फीसदी में होती है अधूरी थायरायड सर्जरी---पीजाआई के इंडो सर्जरी विभाग का 29 वां स्थापना सप्ताह

पीजाआई के इंडो सर्जरी विभाग का 29 वां स्थापना सप्ताह 
सेफ एंड इफेक्टिव थायरयाड सर्जरी के लिए  किया  लाइव टेलीकास्ट15 फीसदी में होती है अधूरी थायरायड सर्जरी


थायरायड की अधी अधूरी सर्जरी  के बाद 10 से 15 फीसदी लोग दोबारा सही इलाज  के लिए संजय गांधी पीजीआई के इंडोक्राइन सर्जरी विभाग में आते है। इन लोगों को परेशानी से मुक्ति दिलाने के लिए दोबारा सर्जरी करनी पड़ती है जिसमें पैसा और समय दोनो मरीज और तीमारदारों को खराब होता है। इस दर को कम करने के लिए संस्थान का यह विभाग सर्जरी, सर्जरी की प्लानिंग, बीमारी पता करने के तरीके सहित अन्य जानकारी दूर-दराज के सर्जरी को देने के लिए लाइव सर्जरी का प्रसारण टेली मेडिसिन के जरिए किया गया। बुधवार को दो सर्जरी का लाइव प्रसारण किया गया जिसे देश के बीस से अधिक सेंटर पर देखा गया। इंडो सर्जरी विभाग के प्रमुख और टेली मेडिसिन सेंटर के नोडल आफीसर प्रो. एसके मिश्रा ने बताया कि सात सिंतबंर को विभाग 29 वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है इस मौके पर फाउंडेशन डे वीक मनाया जा रहा है जिसके तहत लाइव सर्जरी की प्रसारण किया जा रहा है। बताया कि इस दौरान होने वाली सर्जरी को पीजाआई नालेज पार्क की वेबासाइट पर स्टोर किया जा रहा है जहां पर कभी भी सर्जरी की बारीकियों को सीखा जा सकता है। प्रो. मिश्रा ने बताया कि विभाग के प्रो.ज्ञान चंद ने मुंह के जरिए गले में स्थित थायरायड सर्जरी किया जिसका सजीव प्रसारण हुआ। इसके अलावा एक 55 वर्षीय व्यक्ति के गले में स्थित 250 ग्राम ग्लैंड को निकाला गया।
ऐसे होती है अधूरी सर्जरी
प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि सर्जरी तो कई सेंटर पर हो रही है लेकिन देखा गया है कि कई लोग ग्रंथि में गांठ होने पर केवल गांठ निकालते है जबकि पूरी ग्रंथि को निकालाना चाहिए। इसी तरह कई बार लोग केवल आधी ग्रंथि निकालते है इसके कई तरह की अधूरी सर्जरी होती है।   

पीजीआई की ओपीडी लिफ्ट में फंसे रहे दो घंटे मरीज और तीमरादार

पीजीआई की ओपीडी लिफ्ट में फंसे रहे दो घंटे  मरीज और तीमरादार  
 निकलने के बाद कहा बच गयी जान


संजय गांधी पीजीआई  की न्यू ओपीडी में बुधवार को करीब दोपहर लगभग 12 बजे अचानक बिजली जाने से सभी लिफ्ट थम गई । इससे लिफ्ट नंबर चार में सवार छह लोग फंस गए। ये लिफ्ट तीसरी और चौथी मंजिल की बीच मे रुक गई। लिफ्ट में फंसे लोगों के शोर मचाने पर मामले की जानकारी हुई। लिफ्ट का गेट तोड़कर देखा गया तो पता चला कि अंदर छह लोग फंसे हैं। तमाम कोशिश के बाद दो घंटे बाद इन लोगों को निकाला जा सका।  दो मंजिल के बीच मे लिफ्ट फंसी होने की वजह से  लोगों को हवा भी ठीक से नही मिलने की वजह से दम घट रहा है। लिफ्ट कंपनी अोटिस के पास लिफ्ट के मेंटीनेंस का भी काम है । कपंनी के कर्मी फंसे लोगों को बाहर निकालने की जद्दोजहद में लगे रहे। वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह , सुरक्षा सदस्य अमर सिंह ने मौके पर पहुंच कर लिफ्ट के अंदर अाक्सीजन सिलेंडर से अाक्सीजन की अापूर्ति की जिससे इनका दम न घुटे।  लिफ्ट से निकलने के बाद विपिन, प्रेम कुमारी  ने कहा कि बच गयी जान।  अोपीडी की सारी लिफ्ट बारह बजे के बाद बंद होने क कारण मरीजों और तीमारदारों  को पांच मंजिले के भवन में चढ़ने और उतरने में काफी परशानी हुई।        
क्यों नहीं तुरंत निकाल सके फंसे लोगों को
बिजली जाने के बाद सारी लिफ्ट थम गयी थी । बिजली अाने के बाद बाकी लिफ्ट तो चल गयी लेकिन चार नंबर लिफ्ट बीच में ही क्यों फंस गयी ।  अमूमन लिफ्ट फंसने के बाद मैनुअल सिस्टम होता है जिससे लिफ्ट को चला कर खओल दिया जाता है लेकिन यहां पर लगी लिफ्ट पूरी तरह से  डिजिटल होने के कारण मैनुअल सिस्टम नहीं था । बिजली अाने के बाद शायद फंसे लोगों नो कोई बटल दबा दिया जिसके कारण फंस गयी। 
जनरेटर में नहीं था डीजल
मिली जानकारी के मुताबिक अोपीडी में लाइट के बैकअप के लिए जनरेटर लगा है लेकिन जनरेट में डीजल न होने के कारणयह चल नहीं पाया। जब लिफ्ट फंस गयी तब डीजल मंगा कर डाला गया। इंचार्ज की जिम्मेजारी होती है कि वह व्यवस्था देखे लेकिन इस मामले में लापवाही बरती गयी। जिसके कारण सात लोगों की जान अाफत में पड़ गयी।  
 
चाय व पानी दिया गया फंसे लोगों को
 करीब दो घंटे से लिफ्ट में फंसे लोगों को दरवाजा तोड़कर नीचे हिस्से से पानी व चाय दी गई। फंसे लोगों को बाहर मौजूद लोग सांत्वना दे रहे थे। लेकिन फंसे लोग चीख रहे थे कि जल्दी उन्हें बाहर निकाला जाय।

बिजली सप्लाई बाधित होने के कारण पीजीआई में टली दो दर्जन सर्जरी

बिजली सप्लाई बाधित होने के कारण पीजीआई में टली दो दर्जन  सर्जरी

बिजली न होने से एसी प्लांट अोटी में नमी


संजय  गांधी पीजीआई में बिजली अापूर्ति बाधित होने के कारण अापरेशन थिरेटयर में एसी फेल हो गया जिसके कारण ओटी  एरिया में नमी फैलने लगी जिसके कारण 12.30 बजे के बाद प्लान सभी सर्जरी कैंसिल कर दी गयी।  नमी के कारण अोटी के सी अार्म, प्लैस लाइट, लैप्रोस्कोप  सहित अन्य  उपकरण खराब होने की आशंका रहती है । इसके अलावा नमी के कारण संक्रमण की भी अाशंका बढ़ जाती है जिसके कारण सर्जरी टाली गयी। 11.45 के अास-पास पंचमखेड़ा जहां से संस्थान में बिजली सप्लाई होती है वहां किसी केबिल में खराबी अाने के कारण पीजीआई की सप्लाई बाधित हो गयी। इमरजेंसी सप्लाई के जरिए सेंसटिव एरिया में बिजली सप्लाई जारी रही लेकिन एसी का लोड इमरजेंसी सप्लाई नहीं ले सकता जिसके कारण एसी फेल हो गया। एसी फेल होने के कुछ देर बाद ही नमी होने लगी फर्श पर पानी की बूंदे जमा होने के साथ ही उपकरणों में में नमी अाने लगी । मिली जानकारी के मुताबिक जो सर्जरी शुरू हो गयी ती उसे पूरा कर अागे की सर्जरी टाल दी गय़ी। ओटी एरिया में 11 अोटी थियेटर बंद करा दिए गए। इससे लगभग छोटी और बडी मिला कर 25 सर्जरी टाल दी गयी। संस्थान प्रशासन कहना है कि स्थित सामान्य हो रही है कल से रूटीन सर्जरी होगी। जिनके अापरेशन टाले गए है उन्हे भी समायोजित किया जाएगा।  

मंगलवार, 4 सितंबर 2018

इंफर्टिलिटि के लिए 40 फीसदी पुरूष है जिम्मेदार

70 फीसदी मामलों में नहीं होती  आईवीएफ की जरूरत 


इंफर्टिलिटि के लिए 40 फीसदी पुरूष है जिम्मेदार

10 से 15 प्रतिशत दंपति इंफर्टिलिटी के शिकार




कुमार संजय। लखनऊ

गर्भधारण में समस्या का सामना कर रहे 60 से 70 प्रतिशत कपल्स को आईवीएफ की जरूरत नहीं होती । इसकी जगह लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे सुधार करदवाइयां खाकर और इंट्रायूट्रीन इन्सेमनेशन (महिला के बच्चेदानी में पुरुषों के स्पर्म को सीधे डाल दिया जाता है) के जरिए गर्भधारण हो जाता है।  फैलोपियन ट्यूब में ब्लॉकेज होता है या फिर पुरुष का स्पर्म काउंट बहुत ज्यादा कम होता है जैसी परिस्थितियों में ही आईवीएफ जैसे एडवांस्ड ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। संजय गांधी पीजीआई के मैटर्नल एंड रीप्रोडेक्टिव हेस्थ विभाग की प्रो. इंदु लता साहू  कहती है कि फर्टिलिटी रेट्स तेजी से घट रहे हैं। स्टडी के मुताबिकभारत में 10 से 15 प्रतिशत यानी करीब 2करोड़ 30 लाख शादीशुदा जोड़े इंनफर्टिलिटी यानि बांझपन का शिकार हैं। इन्फर्टिलिटी के 40 प्रतिशत मामलों में समस्या पुरुषों में होती है।  40 प्रतिशत मामलों में महिलाओं में दिक्कत होती है।  20 प्रतिशत मामलों में दोनों में ही कोई दिक्कत होती है या फिर कोई दूसरा कारण भी हो सकता है।



लाइफस्टाइल और वातावरण है जिम्मेदार 
इन्फर्टिलिटी का मुख्य कारण पाली सिस्टिक ओवेरियन सिड्रोम( पीसीओएस),  फैलोपियन ट्यूब में बाधाओवेरियन रिजर्व में कमी और एंडोमीट्रिऑसिस है। पुरुषों में बांझपन का मुख्य कारण स्पर्म काउंट में कमीस्पर्म की गतिशीलता में कमी और प्रीमच्योर इजैक्युलेशन की दिक्कत है।  पुरुषों के स्पर्म की क्वॉलिटी और संख्या में लगातार गिरावट देखी जा रही है। इसके अलावा कुपोषणमोटापास्ट्रेसशराब-सिगरेट की लत भी महिलाओं और पुरुषों दोनों की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है। शराब और धूम्रपान पूरी तरह से छोड़ देंस्ट्रेस फ्री रहें।  अधिक उम्र में शादी करना और बच्चे पैदा करने के लिए भी लंबा इंतजार करने की वजह से भी इन्फर्टिलिटी में तेजी से इजाफा हो रहा है। 



देश के पहले पिडियाट्रिक गैस्ट्रो इंट्रोलाजी विशेषज्ञता के संस्थापक को मिला प्रो.एसअार नायक एवार्ड

देश के पहले पिडियाट्रिक गैस्ट्रो इंट्रोलाजी विशेषज्ञता के संस्थापक को मिला प्रो.एसअार नायक एवार्ड


गुरू का  एवार्ड शिष्य को मिला 


जिस गुरू ने अपनी पूरी जिंदगी सीख दी उसी गुरू के नाम का एवार्ड मिलना मेरे लिए भारत रत्न के समान है। यह कहना है कि संजय गांधी पीजीआई के पिडियाट्रिक गैस्ट्रोइंट्रोलाजी विभाग के संस्थापक प्रो. एसके याचा का। प्रो. याचा को इस साल का प्रो.एसअार नायक एवार्ड फार आउट स्टैडिंग रिसर्च इनवेस्टीगेटर संस्थान के 23 वें दीक्षांत समारोह में दिया जाएगा। प्रो.याचा के नाम 160 से अधिक रिसर्च पेपर हैं। बच्चों में तमाम पेट की बीमारी का पता लगाया जो पहले देश में कोई जानता नहीं था। इस बीमारी से बच्चे मर जाते थे लेकिन अब इन बीमारियों से ग्रस्त 80 फीसदी बच्चे अच्छी जिंदगी जी रहे हैं। देश का पहला संस्थान है जहां यह विभाग है। देश के पिडियाट्रिक गैस्ट्रो इंट्रोलाजिस्ट तैयार कर रहा है। प्रो. याचा के बीते पांच साल के 10 शोध पत्र एेसे जिसका इंपैक्ट फैक्टर 35 के अास -पास है।  स्वर्गीय प्रो.एस अार नायक संस्थान के गैस्ट्रो इंट्रोलाजी विभाग के संस्थापक थे इनके नाम पर हर साल एवार्ड दिया जाता है। प्रो.याचा बताया कि उनके सहयोग और प्रेरणा से यह विभाग स्थापित हुअा जो पूरे देश को रास्ता दिखा रहा है।  

लिवर की खराबी वाले पोर्टल वेन हाइपरटेंशन के मामले में लंग फंक्शन होता है कम
 
 दस शोध पत्रों में से पोर्टल वेन हाइपरटेंशन के बारे में दैनिक जागरण से विशेष बात-चीत में बताया कि पेट की बीमारी के साथ अाने वाले 40 फीसदी बच्चों में पोर्चल वेन हाइपरटेंशन की परेशानी होती है। पोटर्ल वेन हाइपरटेंशन के एेसे बच्चे जिनमें लिवर की खराबी होती है उनमें लंग का फंक्शन कम हो जाता है। लिवर की खराबी वाली 40 फीसदी बच्चों में लंग का फंक्शन कम होता है लेकिन वेन में थ्रम्बोसिस के कारण पोर्टल वेन हाइपरटेंशन है लंग फंक्शन केवल 13 फीसदी बच्चों में कम होता है इसलिए लिवर की खराबी वाले बच्चों के फेफडे पर विशेष ध्यान देेने की जरूरत है। इस परेशानी में पेट के बायी तरफ सूजन , खून की उल्टी, पेट में पानी भरने की परेशानी होती है। स्पलीन और अांत को जोडने वाली नस को पोर्टल वेन कहते है इसमें रूकावट होने पर इसमें दबाव बढ़ जाता है। कई बार समय पर इलाज न होने से यह फट जाता है। 

पेल्ड स्कोर बताएंगा किसमें सफल होगा स्टंटिंग

प्रो. याचा ने दूसरे एक खास शोध का हवाले देते हुए बताया कि बड चैरी सिंड्रोम में लिवर से निकलने वाली इंफीरियर वेना केवा नस जो दिल को खून ले जाती है वह बंद हो जाती है जिसके कारण लिवर बढ़ जाता है। इस नली को एंजियोप्लास्टी फालोड बाई स्टंटिग कर खोलते है हमने पिडियाट्रिक अंड स्टेज लिवर डिजीज स्कोरिंग सिस्टम विकसित किया जिससे बता सकते है कि किस बच्चे में स्टंटिग से फायदा होगा जिसमें फायदा होगा। अनावश्यक करने से मरीज का पैसा खर्च होता है। इस बीमारी में पेट में बार-बार पानी भर जाता है। लिवर बढा होता है। पेट के ऊपर नसें दिखती है। कई बार पीलिया की परेशानी होती है।    

इलाज के लिए नहीं बेचना पडेगा जमीन – डा. विनोद-- आयुष्मान बढाएगा भारतियों की उम्र

पीजीआई की 23 वां दीक्षांत समारोह


इलाज के लिए नहीं बेचना पडेगा जमीन – डा. विनोद
आयुष्मान बढाएगा भारतियों की उम्र
योजना के तहत इलाज ही नहीं स्वस्थ्य रखने पर भी होगा जोर

एम्स दिल्ली के पूर्व बाल रोग विशेषज्ञ एवं निति अयोग के सदस्य डा. विनोद कुमार पाल ने संजय गांधी पीजीआई के 23 वें दीक्षांत समरोह के बतौर मुख्य अतिथि कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में देश में ने काफी प्रगति किया है । आजादी के समय औसत आयु 27 साल थी लेकिन अज औसत आयु 68 वर्ष है। इसके बाद भी तमाम लोगों को इलाज की सुविधा नहीं मिल पा रही है ऐसे लोगों को लिए सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना लागू किया है। इसके ए केवल इलाज ही नहीं होगा बल्कि लोगों को स्वस्थ्य रखने की भी योजना है। इसके तहत देश में 1.5 लाख गांव में हेल्थ और वेलनेस सेंटर खुलेंगे। 10 करोड़ परिवारों और 50 करोड़ लोगों को फायदा होने की संभावना है। इससे देश की लगभग चालिस फीसदी आबादी कवर हो होगी। योजना से नौकरी के नए रास्ते खुलेंगे माना जा रहा है कि एक लाख से अधिक पैरामेडिकल स्टाफ को नौकरी की रास्ता खुलेगा। बताया कि योजना में रजिस्टर्ड किसी भी प्राइवेट या सरकारी अस्पताल में इलाज हो सकेगा। पिछले 10 साल में मेडिकल का खर्च 300 फीसदी बढ़ गया है। देश में मेडिकल का 80 फीसदी खर्च लोग अपनी जेब से उठाते हैं। कई लोगों को किडनी के स्टोन के अपरेशन के लिए रिक्शा या जमीन बेचना पड़ता है अब एसा नहीं होगा। कहा कि उत्तर प्रदेश में स्वाथ्य योजना के विस्तार की बहुत अधिक संभावना है। कहा कि संजय गांधी पीजीआई इस योजना में अहम भूमिका निभाने के लिए तौयार रहे क्यों कि इस संस्थान के पास काफी क्षमता है। इस मौके पर डीन प्रो. राजन सक्सेना, चिकित्सा शिक्षा मंत्री अाशुतोष टंडन, निदेशक प्रो. राकेश कपूर , वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी भरत सिंह सहित कई लोगो ने छात्रों को बधाई दी।       

योजना के तहत इन बीमारियों का भी होगा इलाज
-सभी तरह के कैंसर , हार्ट सर्जरी, किडनी , लिवर सहित अन्य
-मैटरनल हेल्थ और डिलीवरी की सुविधा.

-गैर संक्रामक रोगों के प्रबंधन की सुविधा.
-नवजात और बच्चों के स्वास्थ्य.


सरकारी अस्पताल में करें काम

पास आउट छात्र के लिए सरकारी अस्पताल में काम करने के लिए तमाम अवसर इस योजना के तहत आ रहे है । योजना के तहत कई मेडिकल कालेज प्रस्तावित जिसमें उत्तर प्रदेश में ही 13 सरकारी मेडिकल कालेज खुलने जा रहे हैं। कहा कि सरकारी अस्पताल में ही काम करके आप संतुष्टि पा सकते हैं। आप सरकारी क्षेत्र के लिए लीडर की भूमिका निभा सकते हैं।    

51 पीसदी लडकिया हासिल कर रही है उच्च शिक्षा

राज्यपाल राम नाइक ने कहा कि हमने 15 लाख 60 हजार विवि के छात्रों को डिग्री दी है जिसमें से 51 फीसदी लड़कियां थी। 1790 मेडल दिया जिसमें से 66 फीसदी लड़कियां  मेडल हासिल करी इस संख्या बढाने की जरूरत है। कहा कि मेडिकल टूरिज्म के क्षेत्र में प्रदेश काफी काम कर सकता है। अने वाले दिनों में प्रदेश में चिकित्सा सुविधा के विस्तार  के साथ दूसरे देश से लोग इलाज के लिए यहां आएंगे।

मिल गयी अटल की डिग्री
राज्यपाल ने बताया कि तीन साल से स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेयी ने एमए कब पास किया यह सवाल तीन साल से गूंज रहा था तीन दिन पहले अगरा विवि के कुलपति ने पूराने रजिस्टर को खोज निकाला जिसमें अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने हस्ताक्षर से डिग्री प्राप्त किया था । बताया कि 1947 पेज नबंर 20 पर रोल नंबर 561 था उऩ्होंने डीएवी कालेज कानपुर से एमए किया। छात्रों से कहा कि अप लोग अपनी डिग्री संभाल कर रखें ।

162 छात्रों को डिग्री सहित तीन को मिला विशेष एवार्ड
आज संजय गांधी पीजीआई 162  छात्रों को डिग्री राज्यपाल के हाथों डिग्री मिली।  समारोह में 37 छात्रों को डीएम, 16 छात्राों को एमसीएचचार छात्रों को पीएचडी , 19 छात्रों को एमडीसात छात्रों को एमएचए, 44 छात्रों को पीडीसीसी, 35 छात्रों को बीएससी नर्सिग की डिग्री दी गयी।  इनमें से 57.4फीसदी छात्र है और 42.6 फीसदी छात्राएं है। इसके अलावा  प्रो.एसअार नायक एवार्ड फार आउट स्टैडिंग इनवेस्टीगेटर बाल पेट रोग विभाग के प्रमुख प्रो.एसके याचा,  प्रो.एसएस अग्रवाल फार एक्सीलेंस रिसर्च एवार्ड न्यूरोलाजी विभाग के शोध छात्र डा. विजय कुमार साहू  और प्रो.अारके शर्मा बेस्ट डीएम स्टुडेंट एवार्ड  क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग की डीएम छात्र डा. विकास कुमार गुप्ता को दिया गया।