20 फीसदी टीबी के मरीजों बैक्टीरिया पर बेअसर साबित हो रही दवाएं
एक साल में दो हजार मरीजों में जांच के बाद सामने अाय तथ्य
जीन एक्सपर्ट जांच से सात घंटे में चल जाता है एमडीआऱ का पता
जागरणसंवाददाता। लखनऊ
बच्चों में टीबी पता करने के लिए पेट से लिया जाता है पानी
प्रो. अालोक नाथ ने बताया कि बच्चों में टीबी का पता लगना थोडा कठिन होता है क्यों कि बच्चे बलगम थूक नहीं पाते । बलगम को निगल लेते है एेसे स्थित में हम लोग इंडोस्कोप पेट से पानी लेकर उसमें टीबी की जांच करते हैं। बताया कि टीबी का टीका करण 0 से 80 फीसदी तक ही कारगर साबित हो रहा है। अब एेसे टीके की जरूरत है जो पूरी तरह बचाव कर सके। टीबी को खत्म करने के लिए जिस एरिया में टीबी की अधिक अाशंका है उस स्थान का पता लगा कर लोगों की जांच कर टीबी का इलाज करने की जरूरत है। मैन पावर बढा कर की टीबी को खत्म किया जा सकता है। लैब और क्लीनीशियन दोनों में बैलेंस बनाने की जरूरत है।
15 फीसदी नहीं लेते सही दवा
संजय गांधी पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन के प्रो. जिया हाशिम ने कहा कि 10 से 20 फीसदी लोग शरीर के भार के अनुसार सही मात्रा में दवा नहीं खाते। सही समय तक दवा नहीं खाते बीच में छोड़ देते हैं। कई बार दवा की गुणवत्ता कम होती है तो कई बार जितनी दवा बतायी गयी उतनी नहीं खाते एक दवा या दो दवा कम कर देते है जिसके कारण टीबी के मामले खराब हो रहे हैं। इस लिए सही मात्रा में सही समय तक सही दवा लेकर टीबी के मुक्ति मिल जाती है।
देखा गया है कि नए टीबी के तीन फीसदी मामलों में एमडीआर मिल रहा है यानि एमडीअार वाले मरीजों से इन्हे टीबी का इंफेक्शन हो रहा है। प्रो. हाशिम ने कहा कि टीबी की दवा खा रहे 5 से 10 फीसदी मरीजों में लिवर फंक्शन बिगड़ जाता है जिसके कारण लिवर फंक्शन प्रोफाइल की जांच गड़बड़ आती है जिसे हम लोग ठीक कर लेते हैं। इस लिए मरीजों को लगाातार फालोअप पर रहना चाहिए।
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