शुक्रवार, 9 मार्च 2018

दर्द भरी जिंदगी से मिलेगी राहत-ब्रेन स्ट्रोक कैंसर मल्टी ऑर्गन फेलियर के मामले में होती है कम उम्मीद

दर्द भरी जिंदगी से मिलेगी राहत




ब्रेन स्ट्रोक कैंसर मल्टी ऑर्गन फेलियर के मामले में होती है कम उम्मीद
कुमार संजय।
तमाम इलाज के बाद 5 से 10 फ़ीसदी ऐसे मामले होते हैं जिसमें डॉक्टर और दवाई हार मान लेती है।
 ऐसे मामलों में मरीज के अच्छी मौत की कामना परिवार वाले और डॉक्टर भी चाहते हैं लेकिन कानूनी अड़चनों के चलते अभी तक ऐसा संभव नहीं हो पाता था सुप्रीम कोर्ट ने लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर जिंदगी के दिन काट रहे उन मरीजों के कष्ट भरे जीवन को खत्म करने के लिए सपोर्ट सिस्टम हटाने के अनुमत दिए। 
 संजय गांधी पीजीआई के पोस्ट ऑपरेटिव यूनिट आईसीयू के प्रभारी प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता कहते हैं 100 में से 5 से 10 मामला ऐसे होते हैं जिनमें केवल मरीज की सांस चल रही होती है । यह लोग मल्टी ऑर्गन फेलियर जैसी परेशानियों के शिकार होते हैं इनके परिजनों को समझाया जाता है कि इन को घर ले जाइए सेवा करिए । इन मरीजों के दर्द भरे जीवन को आसान बनाने के लिए नया प्रावधान उपयोगी साबित हो सकता है।

संजय गांधी पीजीआई के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर सुनील प्रधान कहते हैं कि ब्रेन स्ट्रोक मेनेंजाइटिस जैसे मामलों में कई बार तमाम इलाज के बाद भी केवल साथ चलने की उम्मीद रहती है मरीज का जीवन है वह बिस्तर पर ही कटता है।  ऐसे ही में पढ़े-लिखे लोग कई बार कहते हैं कि सपोर्ट सिस्टम हटा लीजिए लेकिन हम लोग ऐसा नहीं करते थे इसे इच्छामृत्यु नहीं कहा जा सकता क्योंकि मरीज को तो होश रहता नहीं है । प्रोफेसर प्रधान कहते हैं कि  यंग एज  के मरीजों में  परिवार वाले  अंत तक उम्मीद लगाए रखते हैं  लेकिन  वृद्धों में  वह मानने को तैयार हो जाते हैं  अब जीवन  बचाना संभव नहीं है ।परिवार वालों के कहने पर ऐसा कर कर नहीं सकते नए कानून से ऐसे मरीजों को अच्छी मौत देना संभव होगा लेकिन लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने के लिए एक पैनल की जरूरत होगी जिससे इसका दुरुपयोग ना हो।
  गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर UC घोषाल कहते हैं कि 2 महीने में एक मामला ऐसा आता है जिनमें इलाज संभव नहीं होता ऐसे मरीजों में इस कानून से राहत मिल सकती है खास तौर पर यह मरीज पेट के कैंसर के मरीज होते हैं विशेषज्ञों का कहना है की कैंसर के मरीज दर्से तड़पते हैं वह चाहते हैं उनको मौत दे दी जाए इनके लिए भी कुछ ऐसे कानून की जरूरत है जिसमें इच्छामृत्यु दी जा सके विशेषज्ञों का कहना है PGI जैसे संस्थान में मौजूदा स्थिति मौजूदा स्थिति में कुल मरीजों के 10 से 15 फ़ीसदी मरीज गंभीर स्थिति में है खास तौर पर सीसीएम और आईसीयू में यह मरीज हैं जिनमें बहुत उम्मीद नहीं है

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