पुरूषों से अधिक है महिलाअों में किडनी डिजीज की अाशंका
असुरक्षित गर्भपात और प्रसव के दौरान रक्त स्राव बन सकता है किडनी का दुश्मन
एंटी नेटल केयर पर देना होगा विशेष ध्यान
पीजीआई में अाज जागरूकता कार्यक्रम
पुरूषों से कम होता है महिलाअों का इलाज
किडनी की परेशानी होने पर परूषों का इलाज तो होता है लेकिन महिलाअों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। इसके पीछे कारण सामाजिक असमानता के साथ अार्थिक कारण भी हो सकता है। पुरूष ही कमाने वाला होती है इसलिए इनके इलाज पर जोर दिया जाता है। इसके साथ ही बीमारी की धीमी गति भी कारण हो सकता है। प्रो. नरायन प्रसाद का कहना है कि यदि 6 लोगों में किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो पांच परूष होते है और एक महिला होती है। 2017 में 109 लोगों में किडनी ट्रांसप्लांट हुअा जिसमें 89 पुूरूष थे महिलाअों की संख्या 30 थी जबकि किडनी देने के मामले में महिलाअों की संख्या 90 और पुरूषों की संख्या 29 थी।
एक्यूट किडनी डिजीज वाले न हो जाए निश्चिंत
प्रो. नरायन प्रसाद ने बताया कि एक्यूट किडनी डिजीज तुरंत तो दवा से ठीक हो जाती है लेकिन इनमें अागे चल कर पांच से अाठ गुना क्रानिक किडनी डिजीज की अाशंका रहती है। एक्यूट किडनी इंजरी वाले मरीजों को लगातार फालोअप में रहने की जरूरत है जिससे इन्हें क्रानिक किडनी डिजीज से बचाया जा सकें।
महंगा है इलाज इसलिए बचाव पर दें ध्यान
बताया कि क्रानिक किडनी डिजीज होने पर डायलिसस और किडनी ट्रांसप्लांट ही इलाज का रास्ता है जो काफी खर्चीला है। एेसे में बीमारी को शुरूअाती दौर में कंट्रोल करने की जरूरत है। खराबी का पता लगाने के लिए 6 महीने में एक बार पेशाब में प्रोटीन, रक्त में क्रिएटनिन की जांच करानी चाहिए। डायबटीज और उच्च रक्त चाप के मरीजों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। लक्षण 50 फीसदी से अधिक किडनी खराब होने के बाद प्रकट होते हैं।
विश्व किडनी दिवस पर होगा कार्यक्रम
विश्व किडनी दिवस के मौके पर संस्थान में प्रो.अारके शर्मा, प्रो. नरायन प्रसाद, प्रो. अनुपमा कौल, प्रो, धर्मेद्र भदौरिया, डा. नम्रता राव, डा. देवाशीष शाहा, डा. रवि एल्हेंस, डा. मुफ्फजल एहमद, डा. रवि कुशवाहा, डा. संत पाण्डेय, डा. अभिलाष चंद्रा सहित अन्य विशेषज्ञ जानकारी देंगे। इसके अलावा वाक थान का अायोजन होगा जो संस्थान परिसर से होते हुए मुख्य गेट पर खत्म होगा। किडनी की बीमारी से उबर चुके लोग अपने अनुभव से लोगों का मनोबल बढाएंगे।
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