गुरुवार, 8 मार्च 2018

पुरूषों से अधिक है महिलाअों में किडनी डिजीज की अाशंका



पुरूषों से अधिक है महिलाअों में किडनी डिजीज की अाशंका

असुरक्षित गर्भपात और प्रसव के दौरान रक्त स्राव बन सकता है किडनी का दुश्मन

एंटी नेटल केयर पर देना होगा विशेष ध्यान

 पीजीआई में अाज जागरूकता कार्यक्रम


देश में महिलाअों के मौत का अाठवां कारण किडनी की खराबी है । महिलाअों में किडनी की परेशानी परूषों के मुकाबले अधिक होती है क्यों कि इनमें प्रजनन प्रक्रिया के कारण कई तरह की परेशानी होती है जिसके कारण किडनी पर असर पडने की काफी अाशंका रहती है। इसके अलावा महिलाअों में कुछ खास तरह की किडनी डिजीज होती है जिसके साथ काफी अच्छी और लंबी जिंदगी दवाअों से मिल सकती है। महिलाअों को किडनी की परेशानी के प्रति जागरूक करने के लिए इंडियन सोसाइटी अाफ नेफ्रोलाजी ने इनको केंद्र मान कर विश्व किडनी दिवस का अायोजन किया है। सोसाइटी के सचिव एवं संजय गांधी पीजीआई के किडनी रोग विशेषज्ञ प्रो. नरायन प्रसाद, विभाग के प्रमुख प्रो. अार के शर्मा, प्रो. अमित गुप्ता, प्रो. धर्मेंद्र भदौरिया, प्रो. अनुपमा कौल और प्रो. मानस रंजन पटेल ने  ने बताया कि प्रसव के दौरान अधिक रक्त स्राव होने पर एक्यूट कांटिकल नेक्रोसिस किडनी में हो जाती है जिसके कारण किडनी कम काम करने लगती है। यह स्थित क्रिनक किडनी डिजीज में बदल सकती है। इसके अलावा असुरक्षित गर्भ पात के कारण में किडनी प्रभावित हो जाती है। इसमें भी रक्त स्राव और संक्रमण कारण बनता है। प्रो. नरायन प्रसाद ने बताया कि प्रजनन उम्र के दौरान महिलाअों में यूटीआई( यूरनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन) की अाशंका रहती है। गर्भावस्था के दौरान यूटीअाई होने पर समय से पहले प्रसव की अाशंका रहती है। गर्भावस्था के दौरान बढा रक्त दाब भी बडा कारण है।  एंटी नेटल केयर के जरिए काफी हद किडनी की तमाम परेशानियों से बचा जा सकता है। इसके अलावा अाटोइम्यून डिजीज ल्यूपस नेफ्राइिटस भी महिलाअों में किडनी की खराबी का बडा कारण है इस परेशानी में दवाअों से काफी हद तक लंबी जिंदगी दी जा सकती है। बताया कि महिलाअों किडनी बीमारी अधिक होती है लेकिन बीमारी धीरे-धीरे असर डालती है इसलिए इलाज के लिए देर से अाती है। महिलाअों को अधिक सजग रहने की जरूरत है। 

पुरूषों से कम होता है महिलाअों का इलाज

किडनी की परेशानी होने पर परूषों का इलाज तो होता है लेकिन महिलाअों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। इसके पीछे कारण सामाजिक असमानता के साथ अार्थिक कारण भी हो सकता है। पुरूष  ही कमाने वाला होती है इसलिए इनके इलाज पर जोर दिया जाता है। इसके साथ ही बीमारी की धीमी गति भी कारण हो सकता है। प्रो. नरायन प्रसाद का कहना है कि यदि 6 लोगों में किडनी ट्रांसप्लांट होता है तो पांच परूष होते है और एक महिला होती है। 2017 में 109 लोगों में किडनी ट्रांसप्लांट हुअा जिसमें 89 पुूरूष थे महिलाअों की संख्या 30 थी जबकि किडनी देने के मामले में महिलाअों की संख्या 90 और पुरूषों की संख्या 29 थी।  

एक्यूट किडनी डिजीज वाले न हो जाए निश्चिंत

प्रो. नरायन प्रसाद ने बताया कि एक्यूट किडनी डिजीज तुरंत तो दवा से ठीक हो जाती है लेकिन इनमें अागे चल कर पांच से अाठ गुना क्रानिक किडनी डिजीज की अाशंका रहती है। एक्यूट किडनी इंजरी वाले मरीजों को लगातार फालोअप में रहने की जरूरत है जिससे इन्हें क्रानिक किडनी डिजीज से बचाया जा सकें। 

महंगा है इलाज इसलिए बचाव पर दें ध्यान

बताया कि क्रानिक किडनी डिजीज होने पर डायलिसस और किडनी ट्रांसप्लांट ही इलाज का रास्ता है जो काफी खर्चीला है। एेसे में बीमारी को शुरूअाती दौर में कंट्रोल करने की जरूरत है। खराबी का पता लगाने के लिए 6 महीने में एक बार पेशाब में प्रोटीन, रक्त  में क्रिएटनिन की जांच करानी चाहिए। डायबटीज और उच्च रक्त चाप के मरीजों को विशेष ध्यान देने की जरूरत है। लक्षण 50 फीसदी से अधिक किडनी खराब होने के बाद प्रकट होते हैं। 


विश्व किडनी दिवस पर होगा कार्यक्रम

विश्व किडनी दिवस के मौके पर संस्थान में प्रो.अारके शर्मा,  प्रो. नरायन प्रसाद, प्रो. अनुपमा कौल, प्रो, धर्मेद्र भदौरिया, डा. नम्रता राव, डा. देवाशीष शाहा, डा. रवि एल्हेंस, डा. मुफ्फजल एहमद, डा. रवि कुशवाहा, डा. संत पाण्डेय, डा. अभिलाष चंद्रा सहित अन्य विशेषज्ञ जानकारी देंगे। इसके अलावा वाक थान का अायोजन होगा जो संस्थान परिसर से होते हुए मुख्य गेट पर खत्म होगा। किडनी की बीमारी से उबर चुके लोग अपने अनुभव से लोगों का मनोबल बढाएंगे।    

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