रविवार, 18 मार्च 2018

न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर के 80 फीसदी मामले होते है कैंसर विहीन



न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर के 80 फीसदी मामले कैंसर विहीन

पीआरआरटी थिरेपी से कैंसर युक्त इंडोक्राइन ट्यूमर को खत्म करना हो गया संभव

पीजीआई हर साल आते है 20 मामले



कुमार संजय । लखनऊ

पेप्पाइट रिसेप्टर रोडियो न्यूक्लायड थिरेपी(पीआरआरटी) के जरिए न्य़ूरो इंडोक्राइन के कैंसर युक्त ट्यूमर को खत्म करना और कैंसर को बढने से रोकना असान हो गया है। इस थिरेपी के जरिए संजय गांधी पीजीआई सौ से अदिक मरीजों को राहत दे चुका है। संस्थान के इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो.सुशील गुप्ता कहते है कि न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर हारमोन स्रावित करने वाले ग्रंथि में होता है इस लिए इन मामलों को हम लोग ही देखते हैं। प्रो. गुप्ता ने बताया कि न्यूरो इंड्रोक्राइन ट्यूमर के 80 फीसदी मामलों में ट्यूमर कैंसर युक्त नहीं होता है इस लिए जिस इंडोक्राइन ग्लैंड में ट्यूमर है उस ट्यूमर की सर्जरी कर निकाल देने  इन 80 फीसदी लोगों में 95 फीसदी बिल्कुल फिट हो जाते है। दिमाग के पिट्यूटरी ग्लैंड में ट्यूमर होने पर न्यूरो सर्जरी को विभाग के सर्जन को शामिल करते हैं। शरीर के जिस भाग में होता है उस विभाग के सर्जन सर्जरी करते है लेकिन कई मामलों में सर्जरी संभव नहीं होती और ट्यूमर कैंसर युक्त होता है एसे में पीआरआरटी थिरेपी काफी कारगर होती है। हमरे संस्थान में 15 से 20 मामले हर साल अते है जिसे मैनेज करते हैं।   कैंसर होने पर सर्जरी के बाद रेडियोथिरेपी देनी होती है। कई बार सर्जरी से पहले कीमोथिरेपी दी जाती है । कैंसर होने पर भी इलाज की सफलता दर 80 फीसदी से अधिक हैं।     

क्या है न्यूरो इंडोक्राइन ट्यूमर

इंडोक्राइनोलाजिस्ट प्रो. सुशील गुप्ता का कहना है कि न्‍यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर एक ऐसा ट्यूमर है जो शरीर के हार्मोन पैदा करने वाले हिस्‍सों में पनपता है।  यह बीमारी काफी रेयर है लेकिन इसे काफी गंभीर माना जाता है। यह बॉडी के अलग-अलग हिस्सों में हो सकती है। किसी वजह से बॉडी में एंडोक्राइन हॉर्मोन का बैलेंस बिगड़ने के कारण ये ट्यूमर में बदलने लगते हैं। लंबे समय तक ऐसा रहने से न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर की कंडीशन बन जाती है।वास्तव में इसमें हार्मोन पैदा करने वाली एंडोक्राइन कोशिकाएं और नर्व कोशिकाएं दोनों शामिल होती हैं।

शऱीर के किसी भी अंग में हो सकता है

 न्‍यूरो एंडोक्राइन कोशिकाएं ब्रेन, पेट और आंत सहित फेफड़े, गैस्‍ट्रोइन्टेस्‍टाइन ट्रैक्ट जैसे हिस्सों में होती हैं। सबसे अधिक पैक्रियाज और एड्रीनल ग्लैंड में यह ट्यूमर होता है  यह ट्यूमर कई प्रकार का होता है। अगर इसका सही समय पर इलाज करवा लिया जाए तो इसके खतरे को कम किया जा सकता है।

इन कारणों से हो सकता है न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर

झ्र अगर परिवार में किसी को न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर है तो बच्चों को भी यह बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।
झ्र अगर किसी व्यक्ति का इम्यून सिस्टम (बीमारियों से लड़ने की क्षमता) कमजोर है तो उसे ये बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है।

झ्र लंबे समय तक स्मोकिंग करने से न्यूरो एंड्रोक्राइन ट्यूमर का खतरा बढ़ सकता है।
झ्र बढ़ती उम्र के साथ बॉडी में कई तरह के हॉर्मोनल चेंजेस आते हैं। इसकी वजह से यह ट्यूमर चालिस  की उम्र के आसपास होने की आशंका बढ़ जाती है।

कई तरह के होते है न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर

इंडो सर्जन प्रो. ज्ञान चंद ने बताया कि न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर कई प्रकार का हो सकता है। इस बात पर निर्भर करता है कि शरीर के किस हिस्से में है। इनमें फीयोक्रोमोसाइटोमा, मेर्केल सेल कैंसर, न्यूरोइंडोक्रिन कार्सिनोमा और परागंगलियोमा शामिल हैं। फीयोक्रोमोसाइटोमा क्रोमाफीन कोशिकाओं के साथ बढ़ता है, जो एड्रलीन हारमोन पैदा करता है। 



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