रविवार, 1 अप्रैल 2018

वाफ्ट ने अासान कर दिया फेस्चुला का इलाज --- 30 से 40 फीसदी लोगों में दोबारा फेस्चुला की अाशंका

वाफ्ट ने अासान कर दिया फेस्चुला का इलाज

 30 से 40 फीसदी लोगों में दोबारा फेस्चुला की अाशंका


 जागरणसंवाददाता। लखनऊ
वीडियो अस्टिटेड फेस्चुला सर्जरी टेक्नीक ( वाफ्ट) तकनीक से फेस्चुला ( भंगंदर) का इलाज काफी हद तक अासान हो गया है। इस तकनीक में दूरबीन से मल द्वार के अंदर जाकर जहां छेद होता है इस रास्ते को साफ कर बंद करते हैं। इससे कितने कहां छेद है इसका पता भी पता काफी हद कर लग जाता है। इस तकनीक का सजीव प्रदर्शन शुक्रवार को संजय गांधी पीजीआई में गैस्ट्रो सर्जरी वीक में किया गया। संस्थान के गैस्ट्रो सर्जन प्रो. अशोक कुमारप्रो. अशोक कुमार दितीय और प्रो. सुप्रिया शर्मा ने बताया कि फेस्चुला में एक बार सर्जरी होने के बाद भी 30 से 40 फीसदी लोगों में दोबारा होने की अाशंका रहती है इसलिए इन लोगों को लगातार फालोइप पर रहना चाहिए। विशेषज्ञों ने बताया कि फेस्चुला की सर्जरी से पहले कहां पर किस स्थित में फेस्चुला इनकी एनाटमी जानना बहुत जरूरी है जिसके लिए एमअारअाई,  इंडो रेक्टल अंट्रासाउंड  कराना चाहिए। अंदाजे से सर्जरी करने पर मल पर नियंत्रण रखने वाले स्फिंटर क्षति ग्रस्त हो जाता है जिसके कारण नियंत्रण खत्म हो जाता है । यह स्थित काफी परेशानी वाली होती है। 

हाई ग्रेड फेस्चुला का इलाज कठिन

संस्थान के गैस्ट्रो सर्जन प्रो. अशोक कुमार द्तीय ने बताया कि फेस्चुला दो तरह का होता है। लो फेस्चुला में मल द्वार के अलावा अन्य छेद या रास्ता डेंटट लाइन के नीचे रहता है जिसमें सर्जरी अासान होती है लेकिन हाई फेस्चुला में डेंटड लाइन के ऊपर छेद होने पर सर्जरी में काफी सावधानी बरतनी होती है। सर्जरी के बाद घाव को अाराम नहीं मिलता क्योंकि मल त्याग करना ही होता है। एेसे में इंफेक्शन की अाशंका रहती है ।


लैट्रिन को कभी न रोकें
प्रो. अशोक कुमार द्तीय ने बताया कि जब लैट्रिन लगे तुरंत त्याग करना चाहिए कई बार लोग रोक लेते है जिसके कारण मद द्वार के अास -पास स्थित ग्लैंड में सूजन और इंफेक्शन के कारण छेद हो जाता है। इसके अलावा यह भी कारण साबित होता है 
गुदामार्ग के पास फोड़े होना
गुदामार्ग का अस्वच्छ रहना।
-पुरानी कव्ज।
-बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण।
-एनोरेक्टल कैंसर से।
-गुदा में खुजली होने या किसी और कारण से गुदा में घाव का हो जाना।
-ज्यादा समय तक किसी सख्त या ठंडी जगह पर बैठना।
-इसके अलावा यह रोग बूढ़े लोगो में गुदा में रक्तप्रवाह के घटने से हो सकता हैं।
  

यह परेशानी तो कराएं जांच 
-बार-बार गुदा के पास फोड़े का निर्माण होता
-मवाद का स्राव होना
-मल त्याग करते समय दर्द होना
-मलद्वार से खून का स्राव होना
-मलद्वार के आसपास जलन होना
-मलद्वार के आसपास सूजन
-मलद्वार के आसपास दर्द
-खूनी या दुर्गंधयुक्त स्राव निकलना
-थकान महसूस होना
-इन्फेक्शन (संक्रमण) के कारण बुखार होना और ठंड लगना

बचने के लिए कब्ज से बचें

बचाव के लिए  मलत्याग करते समय ज़ोर लगाने से बचनाकब्ज़ तथा डायरिया से बचें।  उच्च रेशेदार भोजन तथा पर्याप्त तरल को पीना या रेशेदार पूरकों को लेना तथा पर्याप्त व्यायाम करें। मल त्याग   के प्रयास में कम समय खर्च करना।  शौच के समय कुछ पढ़ने से बचें।  अधिक वज़न वाले लोगों के लिए वजन कम करें। 

पीजीआई तैयार कर रहा है विशेषज्ञ 

प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि संस्थान में गैस्ट्रो सर्जरी के जटिल मामलों के काफी लोड पहले से हैं। इसी लिए गोरखपुर,बरेलीप्रतापगढ़ सीतापुर जैसे प्रदेश के जिलों के सर्जन को फेस्चुलापाइल्स की सर्जरी के लिए ट्रेनिंग दे रहे है इससे लोगों को अपने घर के पास सर्जरी की अच्छी सुविधा मिलेगी। हम लोग पाइल्स की सर्जरी अभी कर रहे है लेकिन फेस्चुला की केवल जटिल सर्जरी ही कर रहे हैं। 



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