मंगलवार, 10 अप्रैल 2018

केवल नाम के है प्रदेश के 66 फीसदी अाईसीयू



 केवल नाम के है प्रदेश के 66 फीसदी अाईसीयू


मानको का नहीं हो रहा है पालन

मानक का पालन न होने के कारण इंफेक्शन ग्रस्त बना रहे है यह आईसीयू

जागरण संवाददाता। लखनऊ   


प्रदेश के 66 फीसदी अाईसीयू केवल नाम के है। बेड लगा है, वेंटीलेटर लगा है लेकिन न उसे चलाने वाले प्रशिक्षित लोग है और न ही मानको का पालन हो रहा है। यह आईसीयू लोगों को और बीमार बना रहे हैं। संजय गांधी पीजीआई के अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रो. राजेश हर्षवर्धन और उनकी टीम ने अाईसीयू के 156 तय मानकों को अाधार पर 36 जिलों के सरकारी अाईसीयू पर शोध करने के बाद इस तथ्य का खुलासा किया है। प्रो. राजेश ने इस हकीकत से प्रदेश सरकार को भी रू-ब-रू करा दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अाईसीयू के एक बेड पर चार नर्सेज की तौनाती होनी चाहिए। राउंड द क्लाक डाक्टर होना चाहिए। अाईसीयू में संक्रमण की स्थित को कंट्रोल करने के लिए एयर सैंपलिंग सहित कई मानक है जिसको पूरा करके ही अच्छा अाईसीयू तैयार किया जा सकता है। बताया कि हास्पिटल एक्वायर्ड इंफेक्शन की दर 0.8 से 8 फीसदी के बीच ही होना चाहिए लेकिन देखा कि यह दर 35 फीसदी से ऊपर है यानि अाईसीयू भी लोगों को बीमार बना रहा है। संस्थान में अायोजित एडवांस पिडियाट्रिक केयर वर्कशाप में बताया कि सरकार ने अाईसीयू में सुधार के लिए काम करना शुरू कर दिया जिसमें ट्रेनिंग एक मुख्य मुद्दा था जो शुरू हो चुका है । 

सीपीआऱ से बच सकती है 50 सकती है जान
संस्थान के निश्चेतना विभाग के प्रो. अऩिल अग्रवाल एवं प्रो. संजय धीराज ने बाल रोग विशेषज्ञों को प्रशिक्षण में बताया कि  सही कार्डियो पल्मोनरी रीसक्सऩ(सीपीअाऱ) से हदय के काम न करने पर भी 50 फीसदी लोगों के दिल को दोबारा कार्य लिया जा सकता है। सीपीअाऱ के तीन लोगों की टीम होनी चाहिए जिसमें एक सांस दे, दूसरा चेस्ट को कंप्रेश करें और तीसरा व्यक्ति डी फ्रेबीलेटर से शांक दे । कहा कि दिल के काम न करने पर 80 फीसदी लोगों को सीपीआऱ नहीं मिलता है इनमें से 80 फीसदी लोगों को घर में दिल का दौरा पड़ता है इसलिए घर वालों को भी सीपीआर अाना चाहिए।  

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