बुधवार, 18 अप्रैल 2018

पीजीआई संकाय सदस्यों का रिटायरमेंट 65 से बढ़ाकर 70 साल करने की तैयारी-फैकल्टी फोरम ने जताया एतराज

पीजीआई संकाय सदस्यों का रिटायरमेंट 65 से बढ़ाकर 70 साल करने की तैयारी



फैकल्टी फोरम ने  जताया एतराज
पुर्ननियुक्त के डॉक्टरों को नए मेडिकल कॉलेजों में तैनाती की मांग


संजय गांधी पीजीआई में संकाय सदस्यों की रिटारमेंट की  उम्र 65 से बढ़ाकर 70 साल किए जाने की सुगबुगाहट से बखेड़ा खड़ा हो गया है। संस्थान के संकाय सदस्यों के एक गुट ( जूनियर संकाय सदस्य)
 ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।  डॉक्टरों का कहना पुर्ननियुक्ति की नई नीति बनाई जानी चाहिए। पुर्ननियुक्ति के बाद डॉक्टरों की तैनाती दूसरे मेडिकल कॉलेज में की जानी चाहिए। इससे दूसरे मेडिकल कॉलेज में विशेषज्ञों की कमी का संकट भी दूर होगा। इनकी विशेषज्ञता का लाभ दूर -दराज  इलाकों में लोगों को मिलेगा। संस्थान में वैसे भी संकाय सदस्यों की कमी नहीं है । 
पीजीआई में करीब 1000 बेड हैं। ज्यादातर बेड भरे रहते हैं। 225 से ज्यादा डॉक्टरों की फौज है। 500 से ज्यादा सीनियर रेजीडेंट हैं। ओपीडी में ढाई हजार से ज्यादा मरीज रोज आ रहे हैं। संस्थान में डॉक्टरों की फौज है। इसके बावजूद डॉक्टरों की रिटारमेंट की उम्र बढ़ाने की तैयारी है। इसको लेकर डॉक्टरों में जबरदस्त गुस्सा है। डॉक्टरों का कहना है कि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाना गलत है। इससे नए डॉक्टरों को नौकरी मिलने की उम्मीद कम हो जाएगी। वहीं उम्र अधिक होने की वजह से वह मरीजों की भरपूर सेवा भी नहीं कर पाते हैं। जबकि नई उम्र के डॉक्टर की भर्ती से मरीजों को फायदे हैं। नई उर्जा से डॉक्टर मरीजों की सेवा करते हैं।

पुर्ननियुक्ति डॉक्टरों की तैनाती हो दूसरे संस्थान में
पीजीआई डॉक्टरों का कहना है कि तमाम चिकित्सक रिटायरमेंट के बाद जोर-जुगाड़ के बूते पुर्ननियुक्ति हासिल कर रहे हैं। ऐसे डॉक्टरों का मकसद सिर्फ पीजीआई में बने रहने का है। सरकारी आवास समेत दूसरी सुविधाओं का लाभ भी पा जाते हैं। मोटी रकम भी मिलती है। आरोप हैं कि पुर्ननियुक्त डॉक्टर के साथ विभाग के जूनियरों को काम करने की खासी अड़चन झेलनी पड़ रही है। काम कम अडंगेबाजी अधिक हो रही है। पीजीआई फैकल्टी फोरम के सचिव व यूरोलॉजी विभाग के प्रो. एमएस अंसारी बताते हैं कि एक उम्र के बाद इंसान की सोचने और कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है। साथ ही जनरेशन गैप बढ़ता है। ऐसे में सुपर स्पेशयलिटी संस्थान के सीनियर डॉक्टरों को सेवा विस्तार देने के बजाए उन्हें रिटायर करना बेहतर होगा।

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