पीजीआई नेफ्रोलाजी विभाग का स्थापना दिवस समारोह
किडनी खराबी के मरीजों में डिवाइस कम करेगा कार्बन डाइऑक्साइड
आईसीयू में भर्ती रहने वाले 60 से 70 फीसदी मरीजों एक्यूट किडनी इंजरी(एकेआई) की आशंका रहती है। किडनी की कार्य क्षमता कम होने के कारण शरीर कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने और कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम करने के लिए संजय गांधी पीजीआई ने एक्स्ट्राकोर्पोरियल थेरेपी शुरू किया है। इस थेरेपी के तहत एक खास डिवाइस लगायी जाती है जो शऱीर रक्त से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर लेता है। पहले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा सामान्य करने के लिए केवल वेंटिलेटर ही सहारा था। नए तकनीक की जानकारी देने के लिए नेफ्रोलॉजी विभाग ने स्थापना दिवस समारोह के मौके पर वर्कशॉप का भी आयोजन किया। विभाग के प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद और आयोजन सचिव प्रो. रवि शंकर कुशवाहा ने बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड बढ़ने पर दिमागी असतुंलन के साथ कई तरह की परेशानी बढ़ जाती है।
टेली मेडिसिन से दूर -दराज के लोगों को मिलेगा लाभ
स्थापना दिवस के उद्घाटन समारोह में निदेशक प्रो. आरके धीमन ने कहा कि डिजिटल हेल्थ का विस्तार कर दूर -दराज के लोगों को काफी लाभ पहुंचाया जा सकता है। इसी दिशा में हम टेली आईसीयू शुरू किए है इसका विस्तार करने जा रहे हैं। मेदांता के नेफ्रोलाजिस्ट प्रो. आरके शर्मा, अपोलो के नेफ्रोलाजिस्ट प्रो. अमित गुप्ता, एसपीजीआई की प्रो. अनुपमा कौल और डीन प्रो. शालिन कुमार ने अपनी बात रखी। विभाग के प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद ने विभाग के कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
डाक्टर बढ़ाए दायरा
समारोह के मुख्य अतिथि दैनिक जागरण के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ला ने कहा कि डॉक्टरों को दायरा बढ़ाना चाहिए। आप लोग पूरी जिंदगी पढ़ते है आप के ज्ञान की रोशनी आम लोगों तक पहुंचाने के लिए हम आप प्लेटफार्म देने के लिए तैयार है। आप की बात लोग अधिक मानेंगे। हमारी जिम्मेदारी समाज के प्रति है कि उन्हें सही जानकारी मिले। मेडिकल कंफ्यूजन बहुत है । उच्च रक्तचाप किडनी की खराबी का एक बड़ा कराण है तमाम लोगों के नहीं पता है।
डायलिसिस के दौरान विशेष कार्टेज खींच लेगा विषाक्त तत्व
सेप्सिस, डायरिया, अनियमित रक्तचाप के कारण होने वाले एकेआई में धीरे डायलिसिस करना होता है। इन मरीजों में डायलिसिस के लिए ऐसे कार्टेज आ गई है तो रक्त में एकत्रित विषैले तत्व को अवशोषित कर लेता है। इससे डायलिस काफी प्रभावशाली साबित हो रहा है। इसके बारे में भी जानकारी दी गयी है। प्रो. रवि शंकर कुशवाहा ने बताया कि हमारे संस्थान में 10 से 15 फीसदी मरीज इमरजेंसी में एकेआई के साथ आते हैं।
10 फीसदी में मौत का कारण एकेआई
प्रो. नारायण प्रसाद ने बताया कि इंडियन सोसायटी ऑफ नेफ्रोलॉजी ने तय किया है कि 2025 तक एकेआई के कारण होने वाली मौत पर लगाम लगाना है। इस समय आईसीयू में भर्ती होने वाली 60 से 70 फीसदी और कम्युनिटी में 10 से 12 फीसदी लोगों की मौत एकेआई के कारण हो रही है। इस बारे में जागरूक करने के लिए इस साल का थीम इसी पर रखा है। जल्दी और सही इलाज हो तो एकेआई पूरी तरह ठीक हो जाता है। इलाज न होने पर एकेआई 7 से 8 फीसदी में यह सीकेडी( क्रानिक किडनी डिजीज) में बदल जाता है।
क्या है एकेआई
सीरम क्रिएटिनिन सामान्य से 0.3 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर बढ़ जाए और 0.5 मिली प्रति किलो प्रति घंटे से कम पेशाब हो रहा है तो यह एकेआई का लक्षण हो सकता है। इनमें तुरंत इलाज की जरूरत होती है। एक्यूट किडनी इंजरी गुर्दे की अपशिष्ट को हटाने और शरीर में तरल पदार्थ और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित करने में मदद करने की क्षमता का तेजी से कमी होने लगती है। किडनी 48 घंटे में ही कम करने लगती है।
क्या है कारण
- ट्यूबलर नेक्रोसिस , गुर्दे की ट्यूब्यूल कोशिकाओं को नुकसान)
-ऑटोइम्यून डिजीज
- रक्त का थक्का (कोलेस्ट्रॉल एम्बोली)
- बहुत कम रक्तचाप के कारण रक्त प्रवाह में कमी जो जलने,पानी की कमी , रक्तस्राव, चोट, सेप्टिक शॉक, गंभीर बीमारी या सर्जरी के परिणामस्वरूप हो सकता है
- गुर्दे की रक्त वाहिकाओं के भीतर थक्के जमना
संक्रमण जैसे तीव्र पायलोनेफ्राइटिस या सेप्टीसीमिया
-गर्भावस्था में प्लेसेंटा का टूटना या प्लेसेंटा प्रीविया
-मूत्र मार्ग में रुकावट
-कोकीन और हेरोइन सेवन
- गैर-स्टेरायडल सूजन रोधी दवाएं (एनएसएआईडी), कुछ एंटीबायोटिक और रक्तचाप की दवाएं, कंट्रास्ट (डाई), कुछ कैंसर और एचआईवी दवाएं सहित दवाएं
विभाग पर एक नजर
बेड- 107
डायलिसिस सेंटर- 125
किडनी ट्रांसप्लांट यूनिट बेड-39
ओपीडी प्रति वर्ष- 74 हजार
किडनी ट्रांसप्लांट प्रति वर्ष- 150
वैस्कुलर प्रोसीजर रोज -25
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