50 फीसदी को पता नहीं कि वह हाई बीपी से हैं ग्रस्त
जिनको है पता उनमें से 50 फीसदी लोगों में अनियंत्रित है बीपी
अनियमित और कम मात्रा में दवा सेवन के कारण अनियंत्रित बीपी
शहरी क्षेत्र के 25 से 35 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र के 15 से 20 फीसदी युवा हाई बीपी के ग्रस्त
50 फीसदी लोगों को पता ही नहीं है कि वह उच्च रक्तचाप ( हाई बीपी) के शिकार है जिन्हें पता है उनमें से 50 फीसदी में रक्तचाप नियंत्रित नहीं है। यह आंकड़ा संजय गांधी पीजीआई के कार्डियोलॉजी विभाग के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सत्येंद्र तिवारी की ओपीडी में आने वाले एक हजार से अधिक मरीजों में सर्वे के बाद सामने आया है। बीपी अनियंत्रित होने पीछे दवा नियमित न लेना और कम मात्रा में लेना कारण है। बीपी का पता लगाने के लिए र बीपी जांच हर व्यक्ति को कराना चाहिए। विश्व उच्च रक्तचाप दिवस( 17 मई) के मौके पर प्रो. तिवारी ने कहा कि पिछले दस सालों में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं में हाई बीपी के शिकार होने वालों की संख्या बढ़ी है। एक शोध का हवाले देते हुए बताते है कि शहरी क्षेत्र के 25 से 35 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र के 15 से 20 फीसदी युवा हाई बीपी के ग्रस्त है। आर्थिक और सामाजिक रूप से कमजोर तीन से चार फीसदी में मृत्यु कारण उच्च रक्तचाप साबित हो रहा है।
बीपी कई अंगों को कर रहा है खराब
जागरूकता की कमी के कारण देर से हाई बीपी का पता लगता है। लंबे समय तक बीपी बढ़े होने के कारण दिल , किडनी, ब्रेन और आंख की परेशानी बढ़ जाती है। ब्रेन स्ट्रोक( लकवा) का सबसे बड़ा कारण हाई बीपी है। देखा है कि ब्रेन स्ट्रोक के शिकार 30 से 40 फीसदी लोग दवा या बीच में बंद कर देते है या कम मात्रा में ले रहे होते हैं।
गर्भवती महिला में बढ़ सकता है बीपी
गर्भावस्था के दौरान शरीर में कई तरह के बदलाव होते है जिसके कारण गर्भावस्था के दौरान और प्रसव के बाद भी बीपी की परेशानी हो सकती है। महिला और शिशु दोनो में बीपी का परीक्षण होना जरूरी है।
मल्टी ड्रग थेरेपी से नियंत्रित रहती है बीपी
प्रो. तिवारी ने बताया कि कुछ लोगों में केवल एक दवा से ही बीपी नियंत्रित रहता है लेकिन कुछ लोगों में मल्टी ड्रग थिरेपी की जरूरत पड़ती है। जिनमें केवल बीपी की परेशानी है इसमें एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स दवाओं से बीपी नियंत्रित रहती है लेकिन जिनमे दिल की परेशानी है उनमें कैल्शियम चैनल ब्लॉकर के साथ एंजियोटेंशिन कन्वर्टिंग एंजाइम ( एसीई) इनहिबिटर साथ में देनी पड़ती है। मल्टी ड्रग थेरेपी लेने वाले मरीजों के यूरिया, सीरम क्रिएटिनिन पर हर तीन माह पर नजर रखने की जरूरत है । दवा में बदलाव कर साइड इफेक्ट से बचाया जा सके।
क्यों होता है बीपी
रक्तचाप दो चीजों से निर्धारित होता है। हृदय द्वारा पंप किए जाने वाले रक्त की मात्रा और धमनियों के माध्यम से रक्त का प्रवाह कितना कठिन है। हृदय जितना अधिक रक्त पंप करेगा और धमनियां जितनी संकीर्ण होंगी, रक्तचाप उतना ही अधिक होगा।
10 फीसदी में यह हो सकता है कारण
-गुर्दा रोग
-मधुमेह
- अधिक वजन
- अधिक नमक खाना
- तनाव
- लंबे समय तक गुर्दे में संक्रमण
- स्लीप एपनिया( सोते समय खर्राटा)
-ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस-गुर्दे के अंदर छोटे फिल्टर को नुकसान
-गुर्दे को आपूर्ति करने वाली धमनियों का सिकुड़ना
- हार्मोन संबंधी समस्याएं - कम सक्रिय थायरॉयड , अतिसक्रिय थायराइड , कुशिंग सिंड्रोम , एक्रोमेगाली , हार्मोन एल्डोस्टेरोन का बढ़ा हुआ स्तर (हाइपरल्डोस्टेरोनिज्म), और फियोक्रोमोसाइटोमा
-ल्यूपस - प्रतिरक्षा प्रणाली त्वचा, जोड़ों और अंगों पर हमला करती है
-स्क्लेरोडर्मा - इसमें मोटी त्वचा का कारण बनती है, और कभी-कभी अंगों और रक्त वाहिकाओं में समस्याएं पैदा करती है
कैसे करें बचाव
-स्वस्थ भोजन
- नियमित व्यायाम
- शराब और धूम्रपान से दूरी
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