पीजीआई प्लास्टिक सर्जरी विभाग का स्थापना दिवस
नर्व स्टिमुलेटर से टूटी नर्व खोज कर जोड़ना संभव
पीजीआई में स्थापित होगा बर्न यूनिट
रोड एक्सीडेंट में चेहरे पर चोट लगना आम है। इसमें कई बार चेहरे की फेशियल नर्व डैमेज हो जाती है। यह नर्व चेहरे के काम पानी पीना, कुल्ला करना, पलक का झपकना सहित चेहरे के भाव प्रकट करने में अहम भूमिका निभाता है। नर्व 0.1 मिमी का होता है। इसे रिपेयर करने के लिए टूटी नर्व को नर्व स्टिमुलेटर से खोज कर नर्व को रिपेयर किया जाता है। कई बार नर्व रिपेयर लायक नहीं रहती है शरीर के दूसरे अंग से नर्व को लेकर रोपित करते हैं। संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस पर
आयोजित इंडो गल्फ हाइब्रिड सीएमई ऑन एडवांस ट्रामा में विभाग के प्रमुख प्रो. राजीव अग्रवाल और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्लास्टिक सर्जन के अध्यक्ष प्रो. हरी वेंकटरमानी ने बताया कि इस तरह की जटिल और संवेदनशील से चेहरे की परेशानी दूर हो जाती है। हम लोग लगातार यह केस कर रहे हैं। कई बार नाक की हड्डी चूर-चूर हो जाती है ऐसे में शरीर के दूसरे अंग से हड्डी लेकर बोन ग्राफ्ट करते हैं। निदेशक प्रो.आरके धीमान ने कहा कि प्लास्टिक सर्जरी के साथ बर्न यूनिट स्थापित करना हमारी प्राथमिकता है। हर स्तर पर विभाग को सहयोग करेंगे। इस मौके पर विभाग प्रो. अंकुर भटनागर, प्रो. अनुपमा, डा,राजीव भारती, डा. निखलेश ने प्लास्टिक सर्जरी के भूमिका के बारे में जानकारी दी।
यह हुए सम्मानित
नर्सिंग वार्ड- निशा पांडेय, श्रीकांत
नर्सिग ओटी- दिलीप कुमार, प्रतिभा सिंह
नर्सिंग ओपीडी ड्रेसिंग- साधना मिश्रा
आफिशयल स्टाफ- मनोज कुमार
विभाग एक नजर
बेड -30
ओटी-2
संकाय सदस्य- 5
रेजिडेंट-3
ओपीडी –सात हजार प्रति वर्ष
सर्जरी- 1200 प्रति वर्ष
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