तो हर दसवें के गुर्दे में कोई न कोई परेशानी
परिवार की सेहत के प्रति संजीदा रहने वाली महिलाएं
अक्सर खुद पर उतना ध्यान नहीं देती हैं। घर-गृहस्थी और नौकरी की व्यस्तता के चलते
अपनी डाइट का ख्याल नहीं रखती हैं। ऐसे में, कब और किस बीमारी का शिकार हो जाएं, वे खुद नहीं जानती।
अनुचित खानपान और बदलती लाइफ स्टाइल के चलते महिलाओं में किडनी की समस्या भी आम हो
चुकी है। विश्व गुर्दा दिवस का उद्देश्य भी यही है कि दुनिया की सभी महिलाओं और
लड़कियों को गुर्दा रोग के प्रति जागरूक करके विकराल होती इस बीमारी की रोकथाम के
लिए प्रयास करना है। किडनी रोग के लक्षण व सावधानियों पर जानकारी दे रहे हैं, पीजीआइ में
नेफ्रोलॉजी डिपार्टमेंट में प्रोफेसर, डॉ. नारायण प्रसाद
क्रॉनिक किडनी रोग (सीकेडी)
यह एक ग्लोबल
पब्लिक हेल्थ समस्या है। प्रत्येक दस में से एक व्यक्ति गुर्दा रोग से ग्रसित है।
सीकेडी से दुनिया भर में करीब डेढ़ करोड़ महिलाएं प्रभावित हैं और वर्तमान में
महिलाओं में मौत का आठवां प्रमुख कारण है। हर साल करीब छह लाख महिलाओं की मौत
गुर्दा रोग से संबंधित रोगों के कारण होती है। कुछ अध्ययनों के मुताबिक सीकेडी
पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में होने की ज्यादा संभावना होती है। हालांकि, कुछ प्रारंभिक
जांचों से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है।
सेहत को लेकर रहें सावधान
अक्सर महिलाएं घर के काम करने के बाद थकावट महसूस
करती हैं। घरेलू कामों में थोड़ी-बहुत थकावट होना आम है, लेकिन ज्यादा थकावट
होना भी इस बीमारी का एक लक्षण है। ऐसे में, लापरवाही न करें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
गर्भवती महिलाएं रखें खास ख्याल
गर्भावस्था के दौरान दूसरी जांचों के साथ ही किडनी
संबंधी जांचें भी महिलाओं को करानी चाहिए। इसके लिए वे अपनी गाइनोकोलॉजिस्ट से
परामर्श ले सकती हैं। यदि किडनी की बीमारी किसी गर्भवती महिला को हो जाती है तो यह
उसके बच्चे के लिए भी खतरनाक हो सकती है। वहीं, प्री-मैच्योर डिलीवरी होने के ज्यादा चांस होते हैं।
हर छह माह पर कराएं जांच1
चालीस से पचास वर्ष के ऊपर की महिलाएं समय-समय पर
अपना ब्लड प्रेशर, शुगर और ब्लड शुगर
की जांच जरूर कराएं। बेवजह दवाओं के सेवन से बचें। महिलाएं अक्सर अपनी सेहत के
प्रति लापरवाही बरतती हैं जो उनके लिए कई बार खतरनाक साबित होता है। पूरे परिवार
का ख्याल रखने वाली महिलाओं को सबसे पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए तभी
तो वह परिवार का ख्याल रख सकेंगी।
प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थो से बनाएं दूरी
वैसे तो खान-पान का संबंध किडनी से नहीं है। लेकिन
किसी कारणवश यदि किडनी खराब हो जाती है तो ऐसे में प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ
नहीं खाने चाहिए क्योंकि यह किडनी के मरीजों के लिए हानिकारक होते हैं।
नशीले पदार्थो से रहें दूर
यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। आजकल
तो बच्चों में भी किडनी संबंधी रोग बढ़ रहे हैं। युवा अक्सर छिपकर नशा करने लगते
हैं। नशीले पदार्थ भी किडनी को प्रभावित करते हैं, इससे बचने के लिए सिगरेट, शराब व अन्य नशीले
पदार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए।
व्यायाम बहुत जरूरी है
संतुलित भोजन के साथ ही नियमित व्यायाम करना भी जरूरी
है। इसके अलावा शरीर में चर्बी न बढ़ने दें। किडनी की बीमारियों में ओबेसिटी भी एक
मुख्य कारण है। घर के काम-काज खुद करने का प्रयास करें जिससे फिजिकल एक्सरसाइज
होती रहे।
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करें बचाव
-चालीस वर्ष से
अधिक उम्र के पुरुष व महिलाओं को खून में क्रिटिनाइन, पेशाब में प्रोटीन
व लाल रक्त कण और ब्लड प्रेशर की जांच हर छह महीने में जरूर करानी चाहिए।
-पानी खूब पीना
चाहिए। दिनभर में एक स्वस्थ व्यक्ति को आठ-दस गिलास पानी का सेवन करना चाहिए।
-सेक्सुअली एक्टिव
महिलाओं को सेक्स के बाद यूरीनेट (पेशाब) करना चाहिए।
-प्रेगनेंसी में 20 हफ्ते के बाद यदि
बीपी बढ़ जाए तो तुरंत जांच करानी चाहिए।
-प्रेगनेंसी के
दौरान हाइपर टेंशन में अचार, पापड़ व ब्रेड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इनमें
सोडियम की मात्र अधिक होती है।
-40 वर्ष से ऊपर की
महिलाएं अपना खास ख्याल रखें। हेल्दी डाइट लें और मोटापा न बढ़ने दें।
-बॉडी मास इंडेक्स
(बीएमआइ) को संतुलित रखें और इसे 25 से कम रखें।
-सामान्य व स्वस्थ
महिलाएं अपने भोजन में काबरेहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, मिनरल और विटामिन की मात्र को संतुलित रखें
-मोटी महिलाएं
प्रोटीन व फाइबर को अपनी डाइट में अधिक शामिल करें। वसायुक्त व काबरेहाइड्रेट
युक्त पदार्थ न खाएं। समय पर नाश्ता व भोजन करें।
इन लक्षणों को न करें अनदेखा
ब्लड प्रेशर बढ़ना, पैरों और चेहरे पर सूजन आना, खून की कमी होना, बार-बार और बहुत ज्यादा पेशाब आना। पेशाब के रास्ते में
संक्रमण या जलन, गर्भपात और प्रसव के समय अत्यधिक रक्तस्राव आदि कारणों से
महिलाओं में किडनी रोग की आशंका बढ़ जाती है। प्रेगनेंसी के दौरान हाइपर टेंशन
होना। यदि इस प्रकार के लक्षण किसी में दिखाई दें तो तुरंत जांच करानी चाहिए
क्योंकि किडनी संबंधी बीमारियां जल्दी पकड़ में नहीं आती हैं।