इसकी नही है किसी को फिक्र
पूर्वांचल के ८० फीसदी हैंड पम्म उगल रहे हैं जहर
विज्ञानियों ने तीन जिलों के ४७८० हैंड पम्म के पानी का किया अध्ययन
कुमार संजय
लखनऊ। बनारस , गाजीपुर और बलिया के अस्ससी फीसदी हैंड पंप पानी के साथ जहर उगल रहे हैं। इस जहर के कारण यहां के लोग या तो बीमार हो गए हैं नहीं तो बीमारी के मुहाने पर खड़े हैं। इन हैंड पंप के पानी में आर्सेनिक मानक से कई गुना अधिक आ रहा है। विज्ञानियों ने इन जिलों के दस ब्लाक के १२२ गांव के हैंड पंप के ४७८० के पानी में परीक्षण करने के बाद देखा गया कि सौ गांव के हैंड के पानी में आर्सेनिक की मात्रा १० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक है। ६९ गांव के हैंड पम्म के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ५० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पीने के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ५० माइक्रोग्राम प्रति लीटर(१० पीपीएम) से अधिक नहीं होनी चाहिए।
विज्ञानियों ने अपनी रिर्पोट जिला एवं प्रदेश के स्वास्थ्य एवं जल विभाग के अधिकारियों को सौंप दी है। शोध रिर्पोट के मुताबिक ४५.४ फीसदी हैंड के पानी में आर्सेनिक की मात्रा १० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक और २६.५१ फीसदी में मात्रा ५० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक पायी गई है। दस फीसदी हैंड पंप के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ३०० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक पायी गई यानि यह पानी लगभग जहर हो चुका है। बलिया के पांच, गाजीपुर के चार और बनारस के एक ब्लाक के गांव के हैंड पंप के पानी में आर्सेनिक अध्ययन किया गया। शोद विज्ञानियों ने देखा कि इन गांव के १५४ लोगों में आर्सेनिक का प्रभाव भी देखने को मिला। इनके त्वचा पर धब्बे, मोटा पन होने के साथ ही छोटे-छोटे दाने भी देखने को मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि आगे चल कर इनमें त्वचा, लंग, पेट और गुर्दे के कैंसर की आशंका रहती है।
पूर्वांचल के ८० फीसदी हैंड पम्म उगल रहे हैं जहर
विज्ञानियों ने तीन जिलों के ४७८० हैंड पम्म के पानी का किया अध्ययन
कुमार संजय
लखनऊ। बनारस , गाजीपुर और बलिया के अस्ससी फीसदी हैंड पंप पानी के साथ जहर उगल रहे हैं। इस जहर के कारण यहां के लोग या तो बीमार हो गए हैं नहीं तो बीमारी के मुहाने पर खड़े हैं। इन हैंड पंप के पानी में आर्सेनिक मानक से कई गुना अधिक आ रहा है। विज्ञानियों ने इन जिलों के दस ब्लाक के १२२ गांव के हैंड पंप के ४७८० के पानी में परीक्षण करने के बाद देखा गया कि सौ गांव के हैंड के पानी में आर्सेनिक की मात्रा १० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक है। ६९ गांव के हैंड पम्म के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ५० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पीने के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ५० माइक्रोग्राम प्रति लीटर(१० पीपीएम) से अधिक नहीं होनी चाहिए।
विज्ञानियों ने अपनी रिर्पोट जिला एवं प्रदेश के स्वास्थ्य एवं जल विभाग के अधिकारियों को सौंप दी है। शोध रिर्पोट के मुताबिक ४५.४ फीसदी हैंड के पानी में आर्सेनिक की मात्रा १० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक और २६.५१ फीसदी में मात्रा ५० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक पायी गई है। दस फीसदी हैंड पंप के पानी में आर्सेनिक की मात्रा ३०० माइक्रोग्राम प्रति लीटर से अधिक पायी गई यानि यह पानी लगभग जहर हो चुका है। बलिया के पांच, गाजीपुर के चार और बनारस के एक ब्लाक के गांव के हैंड पंप के पानी में आर्सेनिक अध्ययन किया गया। शोद विज्ञानियों ने देखा कि इन गांव के १५४ लोगों में आर्सेनिक का प्रभाव भी देखने को मिला। इनके त्वचा पर धब्बे, मोटा पन होने के साथ ही छोटे-छोटे दाने भी देखने को मिला। विशेषज्ञों का कहना है कि आगे चल कर इनमें त्वचा, लंग, पेट और गुर्दे के कैंसर की आशंका रहती है।
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