चलो कुछ तो घटी प्रजनन दर
अभी भी प्रजनन दर के मामले में प्रदेश नंबर वन
शिक्षा एवं आर्थिक स्तर से सीधा है प्रजनन दर का रिश्ता
तमाम सरकारी कमियों के बीच एक सरकारी आंकड़ा थोड़ा सा लोगों को राहत देने वाला आया है। प्रदेश की कुल प्रजनन दर में थोड़ी से कमी आयी है। इस कमी से यह आभास होता है कि लोगों में जन संख्या नियंत्रण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। दूसरी बात जो थोड़ा पर परेशाना करती है कि प्रजनन दर में जो कमी आयी है वह केवल पढ़लिखे और उच्च आर्थिक स्तर वाले लोगों से आयी है प्रदेश का कम पढ़ा लिखा और गरीब तब का अभी भी आबादी की रफ्तार कम नहीं कर रहा है। नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे- दो की रिर्पोट पर गौर करें तो पता चलता है कि दस साल पहले प्रजनन दर ४.१ यानि प्रति महिला प्रजनन दर ४.१ था । नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे तीन की रिर्पोट में यह घट कर ३.८ हुआ यानि दस साल में प्रजनन दर में गिरावट आयी। इस प्रजनन दर के साथ अभी भी प्रदेश प्रजनन दर के मामले में नंबर वन है जबिक देश की प्रजनन दर २.७ है।
रिर्पोट के मुताबिक शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में प्रजनन दर अधिक है। शहरी क्षेत्र में प्रजनन दर तीन पाया गया जबकि ग्रामीण क्षेत्र में प्रजनन दर ४.१ है। वर्ग के आधार पर प्रजनन दर देखा गया तो पाया गया कि एसी( जनसूचित जाति) में प्रजनन दर ४.५. पिछड़े वर्ग में ३.८ जबकि सामान्य वर्ग में प्रजनन दर ३.२ पाया गया। मुस्लमानों में प्रजनन दर ४.३ जबकि हिन्दुओं में प्रजनन दर ३.७ पाया गया। रिपोर्ट में सबसे बड़ी बात जो सामने आयी कि शिक्षा और आर्थिक स्तर का प्रजनन दर से सीधा रिश्ता है। अनपढ़ में प्रजनन दर ४.६, प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूल तक शिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर ३.३ और हाई स्कूल से अधिक शिक्षित वर्ग में प्रजनन दर २.४ पाया गया। इसी तरह वेल्थ इंडेक्स( आर्थिक स्तर) के आधार पर देखा गया तो पाया गया कि निम्न आर्थिक वर्ग में प्रजनन दर ४.६, मध्य आय वर्ग में ३.९ एवं उच्च आय वर्ग में २.३ पाया गया।
अभी भी प्रजनन दर के मामले में प्रदेश नंबर वन
शिक्षा एवं आर्थिक स्तर से सीधा है प्रजनन दर का रिश्ता
तमाम सरकारी कमियों के बीच एक सरकारी आंकड़ा थोड़ा सा लोगों को राहत देने वाला आया है। प्रदेश की कुल प्रजनन दर में थोड़ी से कमी आयी है। इस कमी से यह आभास होता है कि लोगों में जन संख्या नियंत्रण के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। दूसरी बात जो थोड़ा पर परेशाना करती है कि प्रजनन दर में जो कमी आयी है वह केवल पढ़लिखे और उच्च आर्थिक स्तर वाले लोगों से आयी है प्रदेश का कम पढ़ा लिखा और गरीब तब का अभी भी आबादी की रफ्तार कम नहीं कर रहा है। नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे- दो की रिर्पोट पर गौर करें तो पता चलता है कि दस साल पहले प्रजनन दर ४.१ यानि प्रति महिला प्रजनन दर ४.१ था । नेशनल फेमली हेल्थ सर्वे तीन की रिर्पोट में यह घट कर ३.८ हुआ यानि दस साल में प्रजनन दर में गिरावट आयी। इस प्रजनन दर के साथ अभी भी प्रदेश प्रजनन दर के मामले में नंबर वन है जबिक देश की प्रजनन दर २.७ है।
रिर्पोट के मुताबिक शहरी क्षेत्र के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्र में प्रजनन दर अधिक है। शहरी क्षेत्र में प्रजनन दर तीन पाया गया जबकि ग्रामीण क्षेत्र में प्रजनन दर ४.१ है। वर्ग के आधार पर प्रजनन दर देखा गया तो पाया गया कि एसी( जनसूचित जाति) में प्रजनन दर ४.५. पिछड़े वर्ग में ३.८ जबकि सामान्य वर्ग में प्रजनन दर ३.२ पाया गया। मुस्लमानों में प्रजनन दर ४.३ जबकि हिन्दुओं में प्रजनन दर ३.७ पाया गया। रिपोर्ट में सबसे बड़ी बात जो सामने आयी कि शिक्षा और आर्थिक स्तर का प्रजनन दर से सीधा रिश्ता है। अनपढ़ में प्रजनन दर ४.६, प्राइमरी और जूनियर हाई स्कूल तक शिक्षित महिलाओं में प्रजनन दर ३.३ और हाई स्कूल से अधिक शिक्षित वर्ग में प्रजनन दर २.४ पाया गया। इसी तरह वेल्थ इंडेक्स( आर्थिक स्तर) के आधार पर देखा गया तो पाया गया कि निम्न आर्थिक वर्ग में प्रजनन दर ४.६, मध्य आय वर्ग में ३.९ एवं उच्च आय वर्ग में २.३ पाया गया।
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