सात फीसदी महिलाओं में होता है असुरिक्षत गर्भपात
असुरक्षित गर्भपात बन सकता है 23 फीसदी मौत का कारण
क्वीन मैरी अस्पताल की प्रो.विनिता दास के शोध में हुआ खुलासा
कुमार संजय
लखनऊ। कभी समाज का डर तो कभी परिवार बढऩे के डर से गर्भपात कराने वाली प्रदेश की पंद्रह से तीस फीसदी महिलाएं असमय मौत का शिकार बन रही हैं। चूक के कारण होने गर्भधारण से छुटकारा पाने के लिए गर्भपात की एक मात्र रास्ता होता । असुुरक्षित गर्भपात के कारण होने वाली परेशानियों के कारण 23.21 फीसदी महिलाओं की मौत हो जाती है। इस तथ्य का खुलासा छत्रपति शाहू जी महाराज मेडिकल विश्वविद्यालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रो.विनीता दास एवं डा.अंजू अग्रवाल ने पांच हजार से अधिक महिलाओं पर शोध के बाद किया है। इनके इस शोध को जर्नल आफ आब्सट्रिक्स एंड गायनकोलाजी आफ इंडिया ने मान्यता दी दै।
प्रो.दास ने शोध रिर्पोट में बताया है कि इनके अस्पताल में पांच हजार महिलाएं गर्भावस्था की परेशानी के साथ भर्ती हुई जिसमें से सात फीसदी महिलाएं गर्भपात की बाद होने जटिलता की परेशानी के साथ भर्ती हुई इनमें 34.66 फीसदी महिलाएं सेप्टिक एर्बाशन की परेशानी थी। इनमें से 26 फीसदी की मौत गर्भपात की जटिलता के कारण मौत हुई। 87 फीसदी गर्भपात निजि क्षेत्रों के अनाड़ी हाथों से होता है, जिसका नतीजा है कि हर साल तीस से चालिस हजार महिलाएं गर्भपात की जटिलता के कारण मौत का शिकार हो जाती है। प्रति एक लाख में से केवल चार को सुरक्षित गर्भपात की सुविधा नसीब होती है।
अंजता हास्पिटल की स्त्री रोग एवं टेस्ट ट्यूब बेबी विशेषज्ञा डा. गीता खन्ना गर्भपात के लिए अभी भी हर्बल दवा, काढ़ा जैसी पुरानी प्रचलित तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। गर्भपात का कारण गर्भनिरोधक फेल होना, गर्भस्थ शिशु में बनावटी विकृति, समाजिक डर , दो के बाद तीसरी की चाह में कमी है। सबसे अधिक खतरा उनमें है जो सामाजिक डर से गर्भपात का सहारा लेती है। यह किसी ऐसे के पास जाना चाहती है जिससे किसी को पता न चलें। ऐसे में यह अप्रिशिक्षत डाक्टरों के हाथ में आसानी से फंस जाती है।
असुरक्षित गर्भपात से खतरा
-गर्भाशय में छेद जिससे लंबे समय तक रक्त स्राव
-विसंक्रमित उपकरणों के इस्तेमाल से संक्रमण का खतरा
-संक्रमण की वजह से फेलोपियन ट्यूब में रूकावट जिससे प्रजनन पर खतरा
-पूर्ण गर्भपात न होने पर दर्द सहित रक्त स्राव
-असुरिक्षत गर्भपात की वजह से पेल्विक संक्रमण एवं सेप्सिस
असुरक्षित गर्भपात बन सकता है 23 फीसदी मौत का कारण
क्वीन मैरी अस्पताल की प्रो.विनिता दास के शोध में हुआ खुलासा
कुमार संजय
लखनऊ। कभी समाज का डर तो कभी परिवार बढऩे के डर से गर्भपात कराने वाली प्रदेश की पंद्रह से तीस फीसदी महिलाएं असमय मौत का शिकार बन रही हैं। चूक के कारण होने गर्भधारण से छुटकारा पाने के लिए गर्भपात की एक मात्र रास्ता होता । असुुरक्षित गर्भपात के कारण होने वाली परेशानियों के कारण 23.21 फीसदी महिलाओं की मौत हो जाती है। इस तथ्य का खुलासा छत्रपति शाहू जी महाराज मेडिकल विश्वविद्यालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ प्रो.विनीता दास एवं डा.अंजू अग्रवाल ने पांच हजार से अधिक महिलाओं पर शोध के बाद किया है। इनके इस शोध को जर्नल आफ आब्सट्रिक्स एंड गायनकोलाजी आफ इंडिया ने मान्यता दी दै।
प्रो.दास ने शोध रिर्पोट में बताया है कि इनके अस्पताल में पांच हजार महिलाएं गर्भावस्था की परेशानी के साथ भर्ती हुई जिसमें से सात फीसदी महिलाएं गर्भपात की बाद होने जटिलता की परेशानी के साथ भर्ती हुई इनमें 34.66 फीसदी महिलाएं सेप्टिक एर्बाशन की परेशानी थी। इनमें से 26 फीसदी की मौत गर्भपात की जटिलता के कारण मौत हुई। 87 फीसदी गर्भपात निजि क्षेत्रों के अनाड़ी हाथों से होता है, जिसका नतीजा है कि हर साल तीस से चालिस हजार महिलाएं गर्भपात की जटिलता के कारण मौत का शिकार हो जाती है। प्रति एक लाख में से केवल चार को सुरक्षित गर्भपात की सुविधा नसीब होती है।
अंजता हास्पिटल की स्त्री रोग एवं टेस्ट ट्यूब बेबी विशेषज्ञा डा. गीता खन्ना गर्भपात के लिए अभी भी हर्बल दवा, काढ़ा जैसी पुरानी प्रचलित तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। गर्भपात का कारण गर्भनिरोधक फेल होना, गर्भस्थ शिशु में बनावटी विकृति, समाजिक डर , दो के बाद तीसरी की चाह में कमी है। सबसे अधिक खतरा उनमें है जो सामाजिक डर से गर्भपात का सहारा लेती है। यह किसी ऐसे के पास जाना चाहती है जिससे किसी को पता न चलें। ऐसे में यह अप्रिशिक्षत डाक्टरों के हाथ में आसानी से फंस जाती है।
असुरक्षित गर्भपात से खतरा
-गर्भाशय में छेद जिससे लंबे समय तक रक्त स्राव
-विसंक्रमित उपकरणों के इस्तेमाल से संक्रमण का खतरा
-संक्रमण की वजह से फेलोपियन ट्यूब में रूकावट जिससे प्रजनन पर खतरा
-पूर्ण गर्भपात न होने पर दर्द सहित रक्त स्राव
-असुरिक्षत गर्भपात की वजह से पेल्विक संक्रमण एवं सेप्सिस
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें