मंगलवार, 16 जुलाई 2013

टीबी की दवा के साथ हरी चाय कम होगा साइड इफेक्ट

    हरी चाय का सत   टीबी की दवा
 
 
 अब टीबी की दवाओं का दर्द नहीं सताएगा। टीबी की दवा चलने पर कुछ समय बाद पेट में दर्द, उल्टी, मिचली, थकान और लीवर एंजाइम बढऩे की परेशानी होती है। इस परेशानी निपटने  के लिए छत्रपति साहू जी महाराज मेडिकल विवि के विज्ञानियों ने लंबे शोध के बाद कहा है यदि एटीटी( एंटी ट्यूबर कुलर ट्रीटमेंट) के साथ हरी चाय का सत (एक्सट्रेक्ट) केटकिन दिया जाए दवा का साइड इफेक्ट काफी हद तक कम हो जाता है साथ टीबी की दवाओं की कार्य शक्ति बढ़ जाती है।  कैटेचिन देने से फ्री रेडिकल का स्तर सामान्य रहता है। इनका स्तर बढऩे पर शरीर की कोशिकाओं को नुकसान होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि एटीटी दवा चलने पर फ्री रेडिकल्स का स्तर बढ़ता है जिसे आक्सीडेटिव स्ट्रेस कहते हैं। इसी वजह से दवा के साइड इफेक्ट होते हैं। केटकिन को एडजुएंट थिरेपी के रूप में शामिल करने की सिफारिश विशेषज्ञों ने की है। इस थिरेपी के तहत टीबी की दवाओं के साथ केटकिन को भी शामिल किया जाता है।  
मेडिकल विवि के माइक्रोबायोलोजी विभाग के डा. ए अग्रवाल , डा. अंिमता जैन और चेस्ट विभाग के डा. राजेंद्र प्रसाद के इस तथ्य को फायटोमेडिसिन जरनल ने भी स्वीकार किया है। शोध विज्ञानियों ने टीबी के दौ सौ मरीज पर शोध किया। इनमें सौ मरीज को ग्रीन ट्री एक्सट्रैक्ट कैटेचिन की ५०० माइक्रोग्राम एटीटी दवा के साथ दिया और बाकी सौ मरीज को ५०० माइक्रोग्राम स्टार्च एटीटी के साथ दिया। दोनों वर्ग को मरीजों में एक और चार महीने बाद आक्सीडेटिव स्ट्रेस का अध्ययन किया तो पाया कि कैटेचिन वाले मरीजों में फ्री रेडिकल को सामान्य रहा। इनमें एंटी आक्सीडेंट एंजाइम सुपर आक्साइड डिसम्यूटेज, नाइट्रिक आक्साइड,  का स्तर स्टार्ज वाले मरीजों के मुकाबले स्तर बढ़ा हुआ पाया गया जबकि आक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ाने वाला लिपिड पराक्सीडेज, कैटेलज और टोटल थायाल फ्री रेडिकल का स्तर कम हुआ।
     

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