रविवार, 21 जुलाई 2013



'जरा सी अजवायन, ठीक करे मर्ज इक्यावन
अस्थमा, पाचन तंत्र की गड़बड़ी, गठिया के लिए रामबाण
अजवायन में पाए जाने वाना रसायन थाइमाल कई रोगों में फायदेमंद
कुमार संजय
लखनऊ । एक कहावत है 'जरी सी अजवायन, ठीक करे मर्ज इक्यावनÓ। विज्ञानियों  ने अजवायन के औषधीय गुणों की जो जानकारी दी है उससे यह कहावत सौ फीसदी सच साबित होती है। छोटे-मोटे मर्च छोड़ दीजिए या संक्रमण, अस्थमा, पाचन तंत्र व गठिया जैसे मर्जों को आदमी से दूर रखती है। यही नहीं घावों पर यदि अजवायन के सत् में डूबी पट्टी रखकर बांध दी जाए तो वह अन्य औषधियों के उपयोग की अपेक्षा जल्दी भरता है। अजवायन में पाए जाने वाला औषधीय रसायन थाइमाल, अल्फा-पाइनेन, पी-साइमेन व गामा -टेरपाइनेन कई मर्जों के इलाज में रामबाण है।
 अजवायन में  कैल्शियम व लौह की अधिकता होने के कारण यह पाचन तंत्र की बीमारियों के खिलाफ सहायक होता है। अस्थमा व गठिया से राहत दिलता है। अजवायन का मुख्य घटक थाइमाल का इस्तेमाल कफ व गले की जलन के विरूद्ध दावओं में किया जाता है। थाइमाल का एक घटक अजावयन को शक्तिशाली कवक नाशी (एंटी फंगल) बनाता है। थाइमाल एक शक्तिशाली जीवाणुनाशी व कवक नाशी है। थाइमाल का आंतरिक एवं वाह्य दोनो प्रकार के इस्तेमाल के लिए  प्रभावकारी रोगाणुरोधक है। इसका शल्य संबंधी मरहम-पट्टी  के लिए जाली एवं ऊन को चिकित्सकीय रूप से उपाचारित करने हेतु किया जाता है। यह अपने कार्यो में कार्बोलिक अम्ल के समान शक्ेितशाली रोगाणुरोधी के रूप में काम करता है लेकिन कार्बोलिक अम्ल की तरह जलनशील नहीं होता है। त्वचा के लिए मृदु होता है व घावों के लिए कम जलनशील होता है जबकि जीवाणुरोधी क्रिया अधिक होती है। इसके अलावा एड्स रोगियों के मुंह में होने वाले संक्रमण के उपचार में कारगर है। अजवायन में पाए जाने वाले रसायनिक यौगिकों के बारे में बताया गया है कि अजावयन से ९५ प्रतिशत थाइमाल अलग किया जा सकता है। अजावन का इस्तेमाल उच्चताप मान बर भूनने के बजाए साधारण ताप धीरे-धीरे भूनना चाहिए। इससे  तैयार करना अधिक परिष्कृत होता है। मसालों में मिले अधिकांश सुगंध लिपोफिलिक होते हैं। पानी की अपेक्षा वसा में अच्छी तरह मिल जाते हैं। इस प्रकार अजवायन के मक्खन में भूनने से सुगंध ही नहीं बढ़ता है बल्कि यह अच्छी तरह से भोजन में चारों तरफ फैल जाता है। बताया गया है कि अजवायन उस पुष्प छत्रक परिवार का सदस्य है जिसमें सोआ,जीरा व स्याह जीरा सहित कुल २७०० सदस्य हैं। अजावन का इस्तेमाल मसाले के रूप में किया जाता है। स्वाद तीक्ष्ण, तीखा गर्म व तेज होता है जिससे एक क्षण के लिए हल्के खुश नुमा स्वाद के बाद जीभ सुन्न हो जाती है।     एतिहासिक रूप से पुराने मिश्र में जीवाणुनाशक व कवक नाशी विशेषताओं के कारम अजावयन का सत शवों को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था। सत की औषधीय गुणवत्ता इसके अणु में कार्बन व हाइड्रोजन एवं आक्सीजन परमाणुओं के विन्यास के कारण है।                                                                                                         

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