बिना आपरेशन अनचाहे गर्भ से निजात संभव
क्रासर-भारत के शोध पर विदेशी विज्ञानियों की मुहर
क्रासर-सुरक्षित है आरयू-४८६ की खुराक
लखनऊ। अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए अब न तो अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा और न ही सर्जिकल प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। इस प्रकार के गर्भ से छुटकारा दिलाने के लिए विज्ञानियों ने आरयू-४८६ दवा खोजी है। इस दवा के प्रभाव पर छत्रपति साहू जी महाराज मेडिकल विश्वविद्यालय की प्रो. विनीता दास, डॉ. स्वाति जैन और डॉ. हेमप्रभा गुप्ता ने शोध करने के बाद बताया कि सर्जिकल गर्भपात की तरह ही दवा से भी गर्भपात सुरक्षित है।
इन विज्ञानियों ने केवल ३२४ मरीजों पर दवा का परीक्षण किया। इनके शोध पत्र को विज्ञानियों की बिरादरी ने स्वीकार करते हुए जर्नल आफ आबस्टे्रक्टिव एंड गायनकोलाजी आफ इंडिया में स्थान दिया। प्रो. विनीता के शोध में महिलाओं की संख्या कम थी इसलिए विज्ञानियों ने शोध जारी रखा। अब न्यू-इग्लैंड जर्नल आफ मेडिसन में विज्ञानियों ने १२००० महिलाओं पर शोध के बाद प्रो. विनीता के शोध की सफलता पर मुहर लगा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण करने में परेशानी की आशंका होती है। गर्भपात के बाद स्वत: गर्भपात, गर्भनाल में गर्भधारण, समय से पहले प्रसव एवं कम वजन के शिशु के जन्म की परेशानी की आशंका रहती है। माना जाता रहा है कि सर्जिकल तकनीक से गर्भपात कराने पर यह परेशानियां कम होती है जबकि दवा से गर्भपात कराने पर इन परेशानियोंं की आशंका अधिक होती है।
इसी अवधारणा को विज्ञान की कसौटी पर साबित करने के लिए पहले राजधानी के विशेषज्ञों ने शोध किया। फिर बाद में १२ हजार से अधिक महिलाओं पर शोध के बाद विज्ञानियों ने साबित किया है कि गर्भपात के लिए दवा या सर्जिकल तकनीक का इस्तेमाल करने पर दोबारा गर्भधारण होने या गर्भधारण के बाद परेशानियों की आशंका दोनों तकनीक में मात्र २.५ फीसदी रहती है। जबकि प्रो. विनीता दास ने बताया है कि इसकी आशंका ५.६ फीसदी रहती है। विशेषज्ञों ने बताया कि अनचाहे गर्भ से छुटकारा दिलाने के लिए अमूमन सर्जिकल तकनीक अपनायी जाती है जिसमें वेकूम पम्प, सर्जरी आदि के जरिए भ्रूण को निकला जाता है। सर्जिकल तकनीक में महिला को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। कई बार रक्तस्राव अधिक होने के कारण परेशानी हो जाती है। अब विज्ञानियों ने देखा है कि आरयू-४८६ यानी मीफोप्रास्टीन की एक गोली देने के एक या दो दिन बाद चार गोली मीसोप्रास्टील देने से भ्रूण स्वत: बाहर आ जाता है। मीफोप्रास्टीन दवा भ्रूण और गर्भाशय से जुडी कनेक्टिव टिशू को हटा देती है, जबकि मीलोप्रास्टीन गर्भाशय को संकुचित कर देता है। इससे भ्रूण गर्भाशय से बाहर आ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा महिलाओं को अधिक आकर्षित कर रही है क्योंकि इससे घर पर चुपचाप गर्भपात संभव है। पहले के शोधों में बताया गया था कि सर्जिकल तकनीक से गर्भपात कराने पर खतरे की आशंका नहीं रहती है क्योंकि इस तकनीक में भू्रण एवं ऊतक को पूरा निकाल दिया जाता है, जबकि दवा से गर्भपात कराने पर प्लेसेंटा के कुछ हिस्से और भ्रूणीय तत्व बच जाते हैं जो परेशानी पैदा करते हैं। हाल के शोध से साबित हो गया कि दवा और सर्जिकल तकनीक दोनों में न के बराबर रिस्क है।
क्रासर-भारत के शोध पर विदेशी विज्ञानियों की मुहर
क्रासर-सुरक्षित है आरयू-४८६ की खुराक
लखनऊ। अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए अब न तो अस्पताल में भर्ती होना पड़ेगा और न ही सर्जिकल प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। इस प्रकार के गर्भ से छुटकारा दिलाने के लिए विज्ञानियों ने आरयू-४८६ दवा खोजी है। इस दवा के प्रभाव पर छत्रपति साहू जी महाराज मेडिकल विश्वविद्यालय की प्रो. विनीता दास, डॉ. स्वाति जैन और डॉ. हेमप्रभा गुप्ता ने शोध करने के बाद बताया कि सर्जिकल गर्भपात की तरह ही दवा से भी गर्भपात सुरक्षित है।
इन विज्ञानियों ने केवल ३२४ मरीजों पर दवा का परीक्षण किया। इनके शोध पत्र को विज्ञानियों की बिरादरी ने स्वीकार करते हुए जर्नल आफ आबस्टे्रक्टिव एंड गायनकोलाजी आफ इंडिया में स्थान दिया। प्रो. विनीता के शोध में महिलाओं की संख्या कम थी इसलिए विज्ञानियों ने शोध जारी रखा। अब न्यू-इग्लैंड जर्नल आफ मेडिसन में विज्ञानियों ने १२००० महिलाओं पर शोध के बाद प्रो. विनीता के शोध की सफलता पर मुहर लगा दी है। विशेषज्ञों का कहना है कि गर्भपात के बाद दोबारा गर्भधारण करने में परेशानी की आशंका होती है। गर्भपात के बाद स्वत: गर्भपात, गर्भनाल में गर्भधारण, समय से पहले प्रसव एवं कम वजन के शिशु के जन्म की परेशानी की आशंका रहती है। माना जाता रहा है कि सर्जिकल तकनीक से गर्भपात कराने पर यह परेशानियां कम होती है जबकि दवा से गर्भपात कराने पर इन परेशानियोंं की आशंका अधिक होती है।
इसी अवधारणा को विज्ञान की कसौटी पर साबित करने के लिए पहले राजधानी के विशेषज्ञों ने शोध किया। फिर बाद में १२ हजार से अधिक महिलाओं पर शोध के बाद विज्ञानियों ने साबित किया है कि गर्भपात के लिए दवा या सर्जिकल तकनीक का इस्तेमाल करने पर दोबारा गर्भधारण होने या गर्भधारण के बाद परेशानियों की आशंका दोनों तकनीक में मात्र २.५ फीसदी रहती है। जबकि प्रो. विनीता दास ने बताया है कि इसकी आशंका ५.६ फीसदी रहती है। विशेषज्ञों ने बताया कि अनचाहे गर्भ से छुटकारा दिलाने के लिए अमूमन सर्जिकल तकनीक अपनायी जाती है जिसमें वेकूम पम्प, सर्जरी आदि के जरिए भ्रूण को निकला जाता है। सर्जिकल तकनीक में महिला को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है। कई बार रक्तस्राव अधिक होने के कारण परेशानी हो जाती है। अब विज्ञानियों ने देखा है कि आरयू-४८६ यानी मीफोप्रास्टीन की एक गोली देने के एक या दो दिन बाद चार गोली मीसोप्रास्टील देने से भ्रूण स्वत: बाहर आ जाता है। मीफोप्रास्टीन दवा भ्रूण और गर्भाशय से जुडी कनेक्टिव टिशू को हटा देती है, जबकि मीलोप्रास्टीन गर्भाशय को संकुचित कर देता है। इससे भ्रूण गर्भाशय से बाहर आ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा महिलाओं को अधिक आकर्षित कर रही है क्योंकि इससे घर पर चुपचाप गर्भपात संभव है। पहले के शोधों में बताया गया था कि सर्जिकल तकनीक से गर्भपात कराने पर खतरे की आशंका नहीं रहती है क्योंकि इस तकनीक में भू्रण एवं ऊतक को पूरा निकाल दिया जाता है, जबकि दवा से गर्भपात कराने पर प्लेसेंटा के कुछ हिस्से और भ्रूणीय तत्व बच जाते हैं जो परेशानी पैदा करते हैं। हाल के शोध से साबित हो गया कि दवा और सर्जिकल तकनीक दोनों में न के बराबर रिस्क है।
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