बुधवार, 17 जुलाई 2013


गोरा बनने के युवा कर रहे हैं स्टेरायड  का इस्तेमाल
देश के बार सेंटर के विशेषज्ञों ने शोध के बाद किया खुलासा
स्टेरायड का इस्तेमाल करने वाले नब्बे फीसदी में दिखा साइड इफेक्ट
आम लोगों की सलाह पर इस्तेमाल करते हैं यह क्रीम
कुमार संजय
लखनऊ। गोरा बनने और चेहरे को निखारने के चक्कर में लगभग पंद्रह फीसदी युवा कार्टिकोस्टेरायड युक्त क्रीम का इस्तेमाल कर बीमारी मोल ले रहे हैं। खुद इनके इस्तेमाल तक बात खत्म नहीं होती है ब्यूटीशियन दूसरी क्रीम में मिला कर कुछ समय के लिए लोगों को गोरा बना रही है।  ऐसा नहीं है कि केवल लड़कियां गोरा बनने के लिए इस क्रीम का इस्तेमाल कर रही है इस दौड़ में लड़के भी काफी हद तक शामिल है। विज्ञानियों ने स्टेरायड युक्त क्रीम का इस्तेमाल करने वाले लगभग नब्बे फीसदी लोगों में इसका साइड इफेक्ट देखा है। कार्टिकोस्टेरायड युक्त क्रीम का इस्तेमाल पता लगाने के देश के विभिन्न अस्पतालों के बारह विज्ञानियों ने ओपीडी में आने वाले त्वचा रोग से ग्रस्त मरीजों पर लंबे शोध के बाद इस बात का खुलासा इंडियन जर्नल आफ डर्मेटोलाजी, वेनरोलाजी एंड लेप्रोलाजी में किया है।
मख्य शोध कर्ता इंदु श्री स्किन क्लीनिक के डा. अबीर सारस्वत कहते हैं स्टेरायड युक्त क्रीम हर घर में मिल जाएगी। अधिक दिन तक इस्तेमाल करने से इसका नशा हो जाता है। क्रीम लगाना बंद करते ही चेहरे फिर काला पड़ जाता है। इस लिए लोग लगातार इस्तेमाल करते रहते हैं। डा. अबीर कहते हैं कि बीटामीथासोन स्टेरायड युक्त वेटनोवेट तो हर व्यक्ति के जुबान पर है। इससे अंदाजा लगा सकते है कि लोग स्टेरायड युक्त क्रीम का कितना इस्तेमाल कर रहे हैं।  शोध ने देश के बारह स्किन केयर सेंटर के  ओपीडी में आने वाले दो हजार नौ छब्बीस लोगों में सर्वे किया तो पाया कि चार सौ तैंतिस लोग ट्रांपिकल स्टेरायड क्रीम का इस्तेमाल मुंहासे और गोरे बन के लिए करते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस क्रीम का इस्तेमाल करने में एक सौ बारह लड़के और तीन सौ इक्कीस लड़कियां शामिल हैं। विशेषज्ञों ने देखा कि इनमें से उन्नतीस फीसदी लोग गोरा बनने और सेविंग के बाद क्रीम की तरह इस्तेमाल करते हैं ।  चौबिस फीसदी लोग मुंहासे के लिए इस क्रीम का इस्तेमाल करते हैं। सबसे अधिक इस क्रीम का इस्तेमाल ग्रामीण और कस्बों में किया जाता है। इन क्रीमों का इस्तेमाल सबसे अधिक इक्कीस से तीस साल के आयु वर्ग वाले करते हैं। शोध रिपोर्ट के मुताबिक  सबसे बड़ी बात यह है कि इन क्रीमों के इस्तेमाल की सलाह लगभग साछ फीसदी लोगों नान फिजिशियन यानि आम लोग देते हैं। केवल लगभग चौवालिस फीसदी लोगों को डाक्टरों ने सलाह दी यह वह डाक्टर है जो त्वचा रोग विशेषज्ञ नहीं थे। शोध के मुताबिक अधिकतर लोगों ने पोटेंट और सुपर पोटेंट क्रीम का इस्तेमाल किया। इन क्रीमों में हाइड्रोकार्टिकोसोन से  सौ से  ६०० गुना अधिक प्रभावी रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। डा. अबीर सारस्वत के मुताबिक हाइड्रोकार्टिकोसेन सबसे सुरक्षित रसायन है।  

यह अवशोषित करता है स्टेरांयड
विशेषज्ञों के मुताबिक चेहरा सात फीसदी तक और आई लिड तीस फीसदी तक स्टेरांयड को अवशोषित करता है।

क्या हो सकती है परेशानी
लखनऊ। स्टेरायड युक्त क्रीम के इस्तेमाल चेहर लाल चकत्ते, रक्त वाहिकाओं के फैलने, लाल धारीयां, चेहरे पर बाल हो सकता है। यह वह परेशानियां जो दिखती है। शरीर के भीतरी हिस्से में जो कुप्रभाव पड़ता है वह और भी खतरनाक है। शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता कम हो जाती है जिससे  जल्दी संक्रमण होने की आशंका रहती है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस क्रीम के अधिक इस्तेमाल से एड्रिनल ग्रंथि से स्रावित होने वाला कार्टीसोन हारमोन का स्तर कम हो सकता है जिससे शरीर में सोडियम , पोटैशियम की मात्रा कम हो सकती है। कुंशिंग सिड्रोम की परेशानी हो सकती है जिसमें चेहरे पर सूजन और शरीर का भार बढ़ जाती है। इसके अलावा ग्लूकोमा और कट्रैक्ट ( मोतियाबिंद)की भी आशंका बढ़ जाती है। 

कैसे पहचाने व्यूटीशियन कर रहे स्टेरांयड का इस्तेमाल
लखनऊ। त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अबीर सारस्वत के मुताबिक यदि व्यूटीशियन की क्रीम का इस्तेमाल   करने के बाद चेहरे पर लाली, चकत्ता, चेहरे पर बाल की परेशानी हो रही है तो इसका मतलब है कि व्यूटीशियन गोरा बनाने के लिए दूसरी क्रीम के साथ स्टेरांयड युक्त क्रीम का इस्तेमाल कर रही है। मिलावट को पहचनाने को कोई दूसरा तरीका नहीं है।

इतने सेंटर को मिला कर किया गया शोध
लखनऊ। डा. अबीर सारस्वत के साथ शोध में अपोलो ग्लीनएंगिल्स हास्पिटल कोलकता के डा. कौशिक लहरी,आर्मड फोर्स मेडिकल कालेज पुणे के डा. मानस चटर्जी, आसाम मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल डिबरूगढ़ के डा. एस बरूवा, विवेकानंद इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंस कोलकता के डा. अर्जित कोंडो, आरएनटी मेडिकल कालेज उदयपुर के डा. आशीष मित्तल, केपीसी मेडिकल कालेज कोलकता के डा. एस पांडा, अपोलो हास्पिटल मद्रास डा. एम राज गोपालन, विशेन स्किन सेंटर अलीगढ़ के डा. राजीव शर्मा, सेंट जांस मेडिकल कालेज बंगलौर के डा. अनिल अब्राहम, निर्वाण स्किन केयर बडौदरा के डा. एस बी वर्मा, पीएसजी हास्पिटल के डा. सीआर श्रीनिवास शामिल हैं।

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